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राज्य सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत मदरसों को लेकर एक बड़ा आदेश जारी किया है। केंद्र के बाद अब योगी सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में शिक्षकों को मानदेय नहीं देगी। दरअसल, साल 2016 में मौजूदा सरकार द्वारा बढ़ाए गए मदरसा शिक्षकों को हर महीने 8000 रुपये (स्नातक मदरसा टीचर) और 15000 रुपये (परास्नातक शिक्षक) मानदेय दिया जा रहा था। जिस पर केंद्र सरकार ने पहले ही रोक लगा दी थी और अब योगी सरकार ने भी इसे बंद कर दिया है और शासन के निर्देश पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे. रीभा ने इसकी जानकारी सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को भेज दी है।
केंद्र सरकार ने 1995 में शुरु की थी योजना
आपको बता दे कि मदरसों में दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा देने के लिए वर्ष 1995 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू की थी। इसके तहत मदरसे में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान को पढ़ने के लिए शिक्षक रखे गए थे। साल 2008 में इस स्कीम फॉर प्रोविजनिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा के नाम पर चलाए जाने लगा। इस स्कीम के तहत 25000 शिक्षक रखे गए थे जिसमें ग्रेजुएट शिक्षकों को 6000 और मास्टर्स कर चुके शिक्षकों को 12000 प्रति माह मानदेय दिया जाता था।
2016 में अखिलेश यादव ने शिक्षकों का बढ़ाया था मानेदय
इसके बाद साल 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत स्नातक मदरसा शिक्षकों को केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले 6000 रुपये के मानदेय के अलावा 2000 रुपये और परास्नातक शिक्षकों को केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले 12000 रुपये के मानदेय के अलावा 3000 रुपये अपने हिस्से से देने का निर्णय लिया था। इस फैसले के बाद से स्नातक मदरसा शिक्षकों को कुल 8000 रुपये और परास्नातक शिक्षकों को कुल 15000 रुपये मानदेय दिया जा रहा था। जिस पर अब राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। वहीं मानदेय को लेकर आधुनिक विषयों के शिक्षक लगातार आंदोलनरत हैं। पिछले दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने उनके मानदेय को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा करने की बात कही थी।
2021-22 तक थी योजना
बता दें कि अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अतिरिक्त मानदेय को लेकर 28 नवंबर 2016 को जारी शासनादेश में यह शर्त थी कि राज्य सरकार अतिरिक्त मानदेय तभी तक देगी, जब तक केंद्र से इन शिक्षकों को मानदेय मिलता रहेगा। केंद्र द्वारा मानदेय बंद किए जाने के बाद राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था भी समाप्त मानी जाएगी। इतना ही नहीं, इसके बाद इस योजना के लिए वित्तीय स्वीकृति भी नहीं जारी होगी। केंद्र सरकार से इस योजना को 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी। उसके बाद से केंद्र ने इन शिक्षकों के लिए मानदेय भी नहीं जारी किया है। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से कहा गया है कि उक्त शासनादेश के निर्देशानुसार ही इस मामले में कार्यवाही की जाए।
Baten UP Ki Desk
Published : 10 January, 2024, 12:48 pm
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