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पानी में तेल के अंश मिलने से बढ़ी उम्मीदें, वैज्ञानिक पद्धति से हो रही जांच...

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उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में कच्चे तेल की खोज अब तक सफल नहीं हो सकी है, लेकिन तेल मिलने की उम्मीदें बरकरार हैं। हैदराबाद से आई अल्फा जियो इंडिया लिमिटेड की टीम, हाइटैक मशीनों और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल कर विभिन्न गांवों में बोरिंग कर रही है। दो महीने से दातागंज से लेकर बिल्सी तहसील तक कई गांवों में बोरिंग हो चुकी है।

टीम का डेरा और लगातार परीक्षण-

टीम के सदस्य बताते हैं कि ट्रांसमीटर और जीपीएस से पता चलता है कि जमीन में तेल के कण हैं। इसके बाद बोरिंग की जाती है और सतह बदलने का इंतजार किया जाता है। हर बोरिंग के बाद नमूने लिए जाते हैं और आवश्यकतानुसार ब्लास्ट भी किया जाता है। हालांकि, अभी तक तेल का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, फिर भी खोज जारी है।

पानी में तेल के अंश की संभावना-

नवंबर 2024 में बदायूं में पानी के साथ कच्चे तेल के अंश मिलने की सूचना मिली थी, जिसके बाद इस खोज को तेज कर दिया गया। टीम ने गोपनीय रूप से पानी के नमूने लेकर परीक्षण किए थे, और अब प्रशासन के सहयोग से बोरिंग का कार्य चल रहा है। अगर सफलता मिली तो यह एक ऐतिहासिक खोज हो सकती है।

तेल भंडार की उम्मीदें-

उघैती क्षेत्र के कुछ स्थानों से कच्चे तेल के अंश मिले हैं, जिससे तेल के भंडार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। कंपनी ने इस क्षेत्र में 500 फीट गहरी बोरिंग भी कराई है और तेल की तलाश तेज कर दी है।

यूपी में कच्चे तेल और खनिज की खोज: संभावनाओं की नई किरण

इससे पहले उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के नवाबगंज क्षेत्र में कच्चे तेल और खनिज भंडार मिलने की संभावना जताई गई। इस दिशा में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू किया, जिसकी जिम्मेदारी अल्फा जिया इंडिया लिमिटेड को सौंपी गई है। कंपनी ने यहां सेस्मिक सर्वे और थ्रीडी मैपिंग की आधुनिक तकनीकों का उपयोग  किया।

भूवैज्ञानिक सर्वे और संभावित इलाकों की पहचान

भूवैज्ञानिकों ने पहले सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से संभावित क्षेत्रों की पहचान की। उमरिया, होलापुर काजी, कल्यानपुर सहित एक दर्जन से अधिक स्थानों पर तेल और खनिज भंडार की संभावना देखी गई है। अब इन स्थानों पर 100 फीट तक की ड्रिलिंग और विस्फोट परीक्षण किए ।

कैसे होती है यह जांच?

  • ड्रिलिंग के बाद छोटे विस्फोट किए जाते हैं, जिनकी ऊर्जा 5-7 किलोमीटर तक गहराई में जाती है।
  • विस्फोट के कारण उत्पन्न तरंगों को सेंसर मशीनों से रिकॉर्ड किया जाता है।
  • इन आंकड़ों का विश्लेषण कर यह आकलन किया जाता है कि जमीन के अंदर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस या अन्य खनिज मौजूद हैं या नहीं।

150 विशेषज्ञ जुटे, किसानों को मुआवजा

इस सर्वेक्षण में करीब 150 विशेषज्ञ और कर्मचारी जुटे। कार्य 15 दिसंबर को आजमगढ़ से शुरू हुआ था । सर्वे के दौरान किसानों की फसल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रति स्थान 1500 से 2000 रुपये तक दिए गए।

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