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लखनऊ डीएम आवास का 40 साल से बकाया है किराया, जानिए किस कोठी में है डीएम आवास और क्या है इसका इतिहास?

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लखनऊ के हजरत गंज इलाके में स्थित डीएम आवास को तो आपने कई बार देखा होगा। यह बंगला इस समय सुर्खियों में है। इसकी वजह है बंगले का किराया न जमा किया जाना। जिसे लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन आमने-सामने है। एलडीए ने लखनऊ के डीएम को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि डीएम आवास का किराया 40 साल से क्यों नहीं जमा हुआ है? इसे तत्काल प्रभाव से जमा किया जाए। आपको बता दें कि वर्तमान समय में लखनऊ के डीएम हैं सूर्य पाल गंगवार हैं और एलडीए के वीसी हैं इंद्रमणि त्रिपाठी। जिला प्रशासन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए एडीएम शुभी सिंह ने एलडीए से कई विवरण तलब कर लिया है। 

कहां स्थित है डीएम आवास-

लखनऊ जिलाधिकार का आवास सरोजनी नायडू पार्क के पास नूर बख्श की कोठी में बना है। एलडीए ने इस कोठी को किराए पर दे रखा है। लेकिन करीब 40 साल से किराया नहीं जमा किया गया है।  जो अब तक करीब 1 लाख 67 हजार 31 हो गया है। एलडीए के ओएसडी ने नोटिस जारी करते हुए किराया जमा करने के लिए कहा है। इसके बाद एडीएम प्रशासन डॉ. शुभी सिंह की ओर से एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी को एक पत्र लिखा गया। इसमें पूछा गया है कि किराया किस अवधि का है और मासिक किराया कितना है। धनराशि किस मद में जमा करनी होगी। इसके अलावा लाभार्थियों का विवरण भी उपलब्ध कराने को कहा गया है। आइए अब जानते हैं कि जिस कोठी में डीएम आवास है उसका इतिहास क्या है....

कोठी नूर बख्श का इतिहास-

ऐसा माना जाता है कि लखनऊ के हजरतगंज में स्थित कोठी नूर बख्श का निर्माण अवध के छठे नवाब सआदत अली खान (1798-1814) ने कराया था। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण नवाब के पोते के लिए मकतब या स्कूल के रूप में किया गया था। जबकि अन्य लोगों का कहना है कि नवाब इसका उपयोग आवास के रूप में करते थे। एक अन्य किंवदंती यह भी है कि यह स्थल उनके बेटे गाजी-उद-दीन हैदर ने बनवाया था और फिर पोते के पास चला गया। नूर बख्श की कोठी को रोशनी देने वाले महल के नाम से भी जाना जाता है। ये नाम इसलिए दिया गया क्योंकि जब इसमें रोशनी जलती थी तो इसकी ऊंचाई के कारण वो मीलों दूरी तक दिखाई देती थी। 

स्वतंत्रता संग्राम से भी है संबंध-

यह संरचना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भी अपना स्थान रखती है। 1857-58 के बीच, जब इसका उपयोग तत्कालीन उपायुक्त के आवास के रूप में किया जाता था। आज इस कोठी की भव्यता जिला मजिस्ट्रेट के आवास और कैंप कार्यालय के रूप में सबके सामने है। 

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