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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले में दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंकने की अनोखी परंपरा है। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और आज भी पूरी लगन से निभाई जाती है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण यह परंपरा एक बार टूट चुकी थी। इस परंपरा के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि सौ साल पहले जब इस क्षेत्र में रामलीला शुरू हुई थी, तब उस समय रामलीला का मैदान जलमग्न रहता था। दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाने के लिए मैदान सूखने में दस दिन लग जाते थे। इस कारण दीपावली के दिन रावण का पुतला जलाने की परंपरा शुरू हो गई। हर साल दीपावली के दिन राठ कस्बे में विशालकाय रावण का पुतला तैयार किया जाता है। इस पुतले को बनाने के लिए लकड़ी, बांस, कपड़ा और कागज का इस्तेमाल किया जाता है। पुतले की ऊंचाई करीब 100 फीट होती है।
देश-विदेश से देखने आते हैं अनोखी परंपरा-
आपको बता दें कि दीपावली के दिन राठ कस्बा रावण के पुतले के दहन से जयकारों से गूंज उठता है। यह परंपरा बुंदेलखंड की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती है। यह परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह परंपरा लोगों को बुराई से दूर रहने और अच्छाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। दीपावली के दिन राठ कस्बे में विशालकाय रावण का पुतला तैयार किया जाता है। पुतले को बनाने के लिए लकड़ी, बांस, कपड़ा और कागज का इस्तेमाल किया जाता है। पुतले की ऊंचाई करीब 100 फीट होती है। दीपावली की शाम को रामलीला का मंचन होता है। राम, लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण का युद्ध होता है। युद्ध में रावण मारा जाता है। इसके बाद रावण का पुतला जलाया जाता है। इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं
ऐसे पड़ी रामलीला की अनूठी परम्परा-
रामलीला कमेटी के आजीवन सदस्य हरीमोहन चंदसौरिया के मुताबिक यह कार्यक्रम छोटे स्तर पर होता था मगर समय बदलने के साथ पिछले कई दशकों से यह परम्परा अनोखे ढंग से चलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि सौ वर्ष पहले जब रामलीला महोत्सव की शुरुआत हुई थी, तब उस समय रामलीला के स्थान पर बरसात का पानी भरा रहता था। बरसात का पानी सूखने में दशहरा पर्व निकल जाता था। इसीलिये दशहरा पर्व दीपावली के दिन मनाने की परम्परा पड़ी। वह बताते हैं कि राठ में दशहरे का रावण पुतला फूंकने के लिये कोई दूसरी जगह नहीं है। जो जगह है उसका पानी सूखने में दस दिन लग जाते थे इसलिए राठ नगर में दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंक कर दशहरा मनाने की परंपरा पड़ गई जो आजतक चलती चली आ रही है।
Baten UP Ki Desk
Published : 11 November, 2023, 12:00 pm
Author Info : Baten UP Ki