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केन-बेतवा लिंक परियोजना में जुड़ेगा यूपी का एक और जिला, किसानों के लिए साबित होगी फायदेमंद

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भारत में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है, खासकर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में, जहाँ लोग सालों से सूखे और पानी की कमी से जूझ रहे हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाई थी, जिसे केन-बेतवा लिंक परियोजना कहा जाता है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच प्रस्तावित है, और इसका मुख्य उद्देश्य केन नदी के पानी को बेतवा नदी में लाकर उन क्षेत्रों तक पहुंचाना है, जहां पानी की सख्त जरूरत है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य-

केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर पहली बार 2005 में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड के किसानों और वहां के लोगों को पानी की कमी से राहत दिलाना है। इसके तहत, केन नदी से एक्स्ट्रा पानी को एक नहर के माध्यम से बेतवा नदी में डाला जाएगा। इससे बुंदेलखंड के उन जिलों में पानी पहुंचेगा, जहां सिंचाई और पीने के लिए पानी की बहुत कमी है।

केन-बेतवा यूपी में इस नदी से मिलती हैं-

लेकिन जिन केन और बेतवा नदी को मिलाने की बात इस प्रोजेक्ट में की जा रही है उनके बारे में भी कुछ बातें जान लेते हैं। दरअसल केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किमी उत्तर की ओर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला गांव में यमुना नदी में मिलती है। केन और इसकी सहायक नदियों पर पांच बांध हैं। वहीं बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले निकलकर 576 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा और इसकी सहायक नदियों पर पहले से 24 बांध हैं। 

मध्य प्रदेश के इस जिले में बनाया जाएगा डैम-

इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के डोडन गांव में एक बड़ा बांध बनाया जाएगा। इस बांध से 220 किमी लंबी नहर बनेगी, जिसके जरिए केन नदी का पानी झांसी के बरुआसागर तालाब में जाएगा। इसके बाद, यह पानी बेतवा नदी में डाला जाएगा। इस प्रक्रिया से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों की पानी की समस्या हल हो जाएगी। यह परियोजना लगभग 44,605 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी, जिसमें 90% खर्च केंद्र सरकार उठाएगी और 10% खर्च उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारें मिलकर उठाएंगी। परियोजना के पूरा होने के बाद, इससे 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और 62 लाख लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध होगा।

पहले यूपी के चार जिलों को जोड़े जाने का था प्रस्ताव-

इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के चार जिलों-बांदा, महोबा, झांसी, और ललितपुर को जोड़े जाने का प्रस्ताव था लेकिन अब खबर है कि हमीरपुर जिले को भी इस परियोजना से जोड़ा जाएगा। यह परियोजना इन जिलों की 2.51 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, और उन्हें अच्छी फसल उगाने में मदद मिलेगी।

केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के लिए वरदान-
 
बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी के कारण किसानों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस कारण से, इस क्षेत्र के लोग अन्य जगहों पर पलायन कर जाते हैं। ऐसे में केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि इससे इस क्षेत्र में पानी की कमी की समस्या का स्थायी समाधान हो सकेगा। परियोजना के तहत सिंचाई के लिए मिलने वाला पानी यहां के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इससे उनकी फसलें अच्छी होंगी और उनकी इनकम भी बढ़ेगी। साथ ही, पीने के पानी की कमी भी दूर हो जाएगी, जिससे यहां के लोगों का जीवन बेहतर हो सकेगा

आठ साल में पूरा करने का रखा गया लक्ष्य-

केन-बेतवा लिंक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य आठ साल का रखा गया है। इस परियोजना का राजनीतिक महत्व भी है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सरकार इस परियोजना के जरिए बुंदेलखंड के लोगों को खुश करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनाव में उन्हें समर्थन मिल सके। परियोजना के शुरू होने से पहले ही, यह लोगों में आशा की किरण जगा रही है। अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे बुंदेलखंड के किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आ सकता है। साथ ही इससे क्षेत्र में पलायन की समस्या पर भी रोक लग सकेगी। 

केन-बेतवा लिंक परियोजना की चुनौतियाँ

केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड के लोगों को बहुत फायदा हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियाँ भी हैं। जैसे कि भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण पर प्रभाव, और तकनीकी समस्याएं। इन चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है ताकि परियोजना समय पर पूरी हो सके और इससे लोगों को लाभ मिल सके। यदि यह परियोजना सफलतापूर्वक पूरी होती है, तो यह बुंदेलखंड के लोगों के लिए एक नई शुरुआत होगी। यह परियोजना न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाएगी, बल्कि इसे भारत के जल प्रबंधन में एक उदाहरण के रूप में भी देखा जाएगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के सूखे क्षेत्रों के लिए एक नई आशा की किरण है, जिससे उनके जीवन में खुशहाली आ सकती है।

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