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अब यूपी में AI से होगी रोड सेफ्टी, हादसों की पहचान करेगी ये मशीन!

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उत्तर प्रदेश अब सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने प्रदेश की एआई और डेटा विश्लेषण आधारित सड़क सुरक्षा पायलट परियोजना को औपचारिक अनुमति दे दी है। यह परियोजना न केवल यूपी बल्कि देश की पहली AI-संचालित सड़क सुरक्षा पहल होगी, जो तकनीक के ज़रिए सड़क हादसों को कम करने की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगी।

कैसे काम करेगा यह सिस्टम?

इस पायलट प्रोजेक्ट में AI (Artificial Intelligence) तकनीक के ज़रिए अलग-अलग स्रोतों से डेटा इकट्ठा किया जाएगा — जैसे दुर्घटना की रिपोर्टें, मौसम की स्थिति, वाहन की गतिविधियाँ (टेलीमैटिक्स), ड्राइवर की प्रोफाइल और सड़क की संरचना। इसके आधार पर मशीन खुद यह तय करेगी कि दुर्घटनाएं कहां और क्यों हो रही हैं, कौन से इलाके ब्लैक स्पॉट बन चुके हैं, और किस तरह की पॉलिसी और एक्शन की ज़रूरत है।

फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस और ऑन-स्पॉट चालान भी स्मार्ट होंगे

AI इंजन को बाद में फेसलेस लाइसेंस-परमिट सिस्टम, ई-चालान, ड्राइवर प्रोफाइलिंग, वाहन सारथी प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि अब लाइसेंस बनवाना, चालान कटना या परमिट मिलना भी स्वचालित निर्णय मॉडल से होगा। मशीन खुद यह तय करेगी कि किस आवेदन को मंजूरी दी जाए, कहां नियम उल्लंघन हो रहा है और किस वाहन की स्थिति संदिग्ध है।

सरकार पर नहीं आएगा बोझ, 10 करोड़ का बजट पहले से तय

इस परियोजना को शून्य लागत पर संचालित किया जाएगा, यानी केंद्र सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं आएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पहले ही वित्त वर्ष 2025-26 में 10 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। इस काम को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ITI लिमिटेड और वैश्विक टेक्नोलॉजी फर्म MLOGICA मिलकर अंजाम देंगे।

क्या होगा फायदा?

  • दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना

  • ब्लैक स्पॉट की पहचान और समय रहते कार्रवाई

  • धोखाधड़ी की रीयल-टाइम पहचान

  • चालकों और वाहनों की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन

  • नागरिकों को तेज, पारदर्शी और वैज्ञानिक सेवाएं

AI से नीति भी बनेगी और निगरानी भी

AI इंजन राजस्व, चालान, दस्तावेज़ स्थिति जैसे डेटा को एक ही डैशबोर्ड पर पेश करेगा, जिससे नीति निर्धारण और संसाधन आवंटन और अधिक पारदर्शी और सटीक हो जाएगा। परिवहन आयुक्त बृजेश नारायण सिंह ने बताया कि परियोजना को लागू करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दे दिए गए हैं। डेटा की गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और कानूनी अनुपालन का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश की यह पहल न केवल सड़क सुरक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि यह भारत को AI और टेक-ड्रिवन गवर्नेंस की ओर अग्रसर करने वाली एक बड़ी उपलब्धि भी होगी।

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