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यूपी के विधायकों को मिला नए विधान भवन का तोहफा

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उत्तर-प्रदेश में 403 सदस्यों वाली विधान भवन का एड्रेस बहुत जल्द बदलने वाला है।  प्रदेश में नए विधानभवन की सौगात साल 2027 तक प्रदेश वासियों को मिलने की उम्मीद है। सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में इस नए विधानभवन को बनाने की योजना है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि इस नए भवन के लिए वितीय वर्ष 2023-24 के आम बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र का आयोजन इस नए विधानभवन में किया जा सके। 

नए विधानभवन की जरुरत क्यों
माना जा रहा है कि बढ़ती जरूरतों के मुताबिक जगह कम होने और आसपास बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए सरकार ने नया भवन बनाने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि 18वीं विधानसभा का कार्यकाल 2027 में समाप्त हो रहा है।  

नए भवन की खासियत
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नए विधानभवन के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इसे पूरी तरह ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इसकी डिजाइन बेहद खास होगी और इसको ऐसे तैयार किया जाएगा की पूरे देश में इसकी मिसाल दी जाए।

यूपी विधानभवन का इतिहास 
उत्तर प्रदेश विधानभवन के इतिहास की बात करें तो लखनऊ को 1922 में इलाहबाद के जगह राजधानी बनाई गई। इसके बाद उस समय के तात्कालिक यूपी के गवर्नर स्पेंसर हारकोर्ट बटलर ने विधानभवन की नींव रखी थी। उस समय इसके निर्माण में 21 लाख रूपये की लागत आई थी। सात साल में बनकर तैयार हुए इस भवन को कॉउंसिल हाउस के नाम से जाना जाता था। जिसका नाम 1937 में बदल दिया गया। 100 साल पुराने मौजूदा विधानभवन का निर्माण कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया है। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। मौजूदा विधानभवन यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह भवन मुख्य रूप से दो मंजिलो में मिर्जापुर चुनार के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों से निर्मित है। वहीं भवन के अंदर के हॉल आगरा और जयपुर से लाए गए पत्थरों से बनाये गए है जबकि बाहरी भाग के पोर्टिको के ऊपर संगमरमर से प्रदेश का राज्य चिन्ह अंकित है। इसमें फिलहाल 403 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है। जुलाई 1935 में विधान परिषद की बैठकों और कार्यालय कक्षों के लिये एक अलग चेंबर का प्रस्ताव किया गया। इस एक्सटेंशन भवन का निर्माण कार्य मेसर्स फोर्ड एंड मैक्डोनाल्ड को सौंपा गया। मुख्य वास्तुविद एएम मार्टीमंर की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा किया गया था। अभी विधानपरिषद में फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।

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