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माफिया मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मुख्तार को डेढ़ साल में आठवें मामले में सजा सुनाई गई है। इससे पहले अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई है।
उम्रकैद के साथ ही देना होगा जुर्माना-
गाजीपुर में 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में दो लाख दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
क्या था मामला-
अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूस वाली बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था। इस फर्जीवाड़े के उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन, पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों का बयान दर्ज किया गया था। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह एवं सीबीसीआईडी की ओर से ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी उदयराज शुक्ला ने पैरवी की थी।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 March, 2024, 4:39 pm
Author Info : Baten UP Ki