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सीएम मोहन यादव का सपा की पारिवारिक राजनीति पर हमला, आम यादवों को कुछ नहीं मिला

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि परिवारिक लाभ के लिए पार्टी ने यादवों को खपा दिया लेकिन आम यादव को इस पार्टी ने कुछ नहीं दिया। मैं एक साधारण यादव परिवार से हूं, आज एक प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं यह भाजपा में ही संभव है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री लखनऊ में आयोजित यादव महासभा के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।

 

लोकसभा चुनाव 2024 की पहली लिस्ट जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारा बढ़ चुका है। सभी नेता अब और तेजी से काम में लग गए हैं । इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ में यादव महाकुंभ का आयोजन किया। लखनऊ के गुडौरा मैदान में आयोजित यादव महाकुंभ में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हुए। यहां उन्होंने यादवों की ताकत का एहसास करने की बात कही। सीएम मोहन यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि, "केवल एक परिवार ने ही यादवों की राजनीति की है और उनका वोट बैंक भी हथिया लिया है लेकिन यादवों के लिए क्या किया? यह सवाल अब पूछे जाने की जरूरत है।"

अखिलेश यादव पर साधा निशाना-

सीएम मोहन यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव जमकर तंज कसा। इस दौरान उन्होंने यादव समाज को राजनीति में पर्याप्त ताकत न मिलने की बात दोहरायी। कार्यक्रम के दौरान सीएम मोहन यादव के आगे 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए लंबे समय से आंदोलनरत युवाओं द्वारा  पोस्टर लहराए गए। जिस पर उन्होंने कहा कि जो आप मुझे पोस्टर दिखा रहे हैं, उसे उन लोगों को दिखाओ जो आपकी लीडरशिप का ठेका लेकर वर्षों तक आपकी छाती पर मूंग दलते रहे। 

यादव चला मोहन के साथ का नारा-

सीएम मोहन यादव ने यादवों को सनातनी बताते हुए  कहा कि हम भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण को पूजने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि यादवों के वोट बैंक पर अपना कब्जा मान कर चलने वाले लोगों को सोचना होगा। जवाब देना होगा। उन्हें अब संदेश देने की जरूरत है। आजमगढ़ से अपना नाता जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज यहीं से गए थे। इसलिए जब भी मैं यहां आता हूं तो मुझे अपनेपन का एहसास होता है। यादव महाकुंभ के दौरान  'यादव चला मोहन के साथ' के नारे भी लगे। इस नारे को लेकर अब यूपी की राजनीति में हलचल बढ़ने लगी है।

क्या हैं इस आयोजन के सियासी मायने?

उत्तर प्रदेश में 8 से 9 फीसदी यादव वोटर के प्रभाव में 50 विधानसभा सीटें आती हैं। इसके साथ ही यूपी में यादवों के वर्चस्व वाली 10 लोकसभा सीटें भी हैं। देखा जाए तो यादव प्रदेश की OBC कैटेगरी में लगभग 20 फीसदी हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सपा और कांग्रेस गठबंन की सीट शेयरिंग को तोड़ने का प्लान भाजपा के पास तैयार है।

क्या भाजपा में मोहन हैं OBC का चेहरा

साल 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार में भाजपा कभी अपने बूते प्रचंड बहुमत की सरकार नहीं बना सकी। भाजपा उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी मोहन यादव के इस दांव के जरिए ये भी साबित करना चाहती है कि पार्टी ने ज्यादा ओबीसी जनसंख्या वाले राज्य में ओबीसी चेहरे को मौका दिया है। ऐसे में बिहार में भी अगर जनता भाजपा को मौका देती है तो यादव समाज को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

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