महाकुंभ मेला, जो न केवल एक आध्यात्मिक महासंस्कार है, बल्कि एक अद्वितीय ऐतिहासिक, आर्थिक और प्रबंधन आयोजन भी है, अब वैश्विक शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 2025 में होने वाला यह भव्य मेला, जिसमें धर्म, संस्कृति और प्रबंधन की अनगिनत परतें छिपी हुई हैं, अब भारत के शीर्ष चार IIM—इंदौर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और लखनऊ—द्वारा गहन अध्ययन के लिए चुना गया है। इन संस्थानों ने महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं, जैसे आयोजन का प्रबंधन, पर्यटन, मीडिया की भूमिका और सामाजिक प्रभावों पर विशिष्ट शोध परियोजनाएं शुरू की हैं, जो इस विश्व प्रसिद्ध आयोजन के महत्व को और अधिक उजागर करेंगी।
45 दिनों में बन रही अद्वितीय अस्थायी नगरी-
13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस 45 दिवसीय मेले के लिए 4,000 हेक्टेयर में एक अस्थायी नगरी बसाई गई है। 25 सेक्टरों में विभाजित इस मेले में:
- 12 किलोमीटर के स्नान घाट,
- 30 पांटून पुल,
- 1.60 लाख टेंट, और
- डेढ़ लाख शौचालय बनाए गए हैं।
साथ ही, 10,000 से अधिक संस्थाओं ने अपने शिविर लगाए हैं। यह भव्य प्रबंधन आयोजन की कुशलता और योजना की उत्कृष्ट मिसाल प्रस्तुत करता है।
IIM इंदौर: पर्यटन और डिजिटल मीडिया का अध्ययन-
IIM इंदौर ने महाकुंभ के दौरान पर्यटन उद्योग, मीडिया की भूमिका, और सोशल मीडिया प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रथाओं का विश्लेषण शुरू किया है। उनका शोध यह समझने पर केंद्रित है कि डिजिटल मीडिया और प्रचार अभियान इस आयोजन को कैसे वैश्विक पर्यटन ब्रांड में बदल सकते हैं।
IIM बेंगलुरु और लखनऊ-
दो प्रमुख संस्थान—IIM बेंगलुरु और IIM लखनऊ—महाकुंभ के लिए कुशल रणनीतिक प्रबंधन और नियोजन पर अध्ययन कर रहे हैं। उनके शोध का उद्देश्य यह है:
- भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियां।
- सरकारी एजेंसियों और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय।
- आयोजन की जटिलताओं को समझने और नवाचारों की सिफारिश करना।
IIM अहमदाबाद: बहुआयामी प्रभावों का अध्ययन-
IIM अहमदाबाद का अध्ययन महाकुंभ के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक प्रभावों पर केंद्रित है। "Beyond the Holy Dip" शीर्षक के इस शोध का उद्देश्य यह समझना है कि महाकुंभ:
- स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार को कैसे प्रभावित करता है।
- शहरी ढांचे और सांस्कृतिक गतिशीलता में किस प्रकार बदलाव लाता है।
यह अध्ययन व्यापारियों, स्थानीय समुदायों और नीति निर्माताओं के लिए नई दिशाओं का प्रस्ताव देगा।
महाकुंभ: रोजगार, पर्यटन और मीडिया का संगम-
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह रोजगार, पर्यटन और मीडिया के लिए एक प्रमुख अवसर भी है। IIM के शोधकर्ता मानते हैं कि इसके कुशल प्रबंधन और प्रचार के माध्यम से इसे एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित किया जा सकता है।
महाकुंभ का वैश्विक प्रभाव-
महाकुंभ 2025 का यह व्यापक अध्ययन न केवल इसके कुशल प्रबंधन को समझने में सहायक होगा बल्कि इसे एक वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी मार्गदर्शन करेगा। यह आयोजन न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ करेगा बल्कि इसे आधुनिक प्रबंधन के क्षेत्र में भी प्रेरणास्रोत बनाएगा।