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लखनऊ विश्वविद्यालय जिसने तमाम राजनेता, खिलाड़ी, राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस, मुख्यमंत्री और वैज्ञानिक दिए हैं। आज ही के दिन इस विश्वविद्यालय की नीव रखी गई थी। आज लखनऊ विश्विद्यालय 103 साल का हो गया है। इस मौके पर आज स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान होने वाले सांस्कृतिक आयोजन में सुरों से शाम सजेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी नींव किसने रखी थी। आइए जानते हैं इसका इतिहास विस्तार से....
स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे ये अतिथि-
विवि के स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी होंगी। अध्यक्षता राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी। कार्यक्रम में राजनीति, विज्ञान, सिविल सेवा, न्यायपालिका व पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवा दे रहे विवि के सात पूर्व छात्रों को सम्मानित किया जाएगा। इनमें इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिक ऋतु करिधाल, वैज्ञानिक डॉ. अश्वनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति एआर मसूदी असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश कुमार शुक्ला, नेपाल के सांसद रमेश लेखक, न्यूज एंकर व पत्रकार प्रतीक त्रिवेदी शामिल हैं। कार्यक्रम में विवि की कॉफी टेबल बुक लॉन्च की जाएगी। सांस्कृतिक आयोजन के दौरान प्रो. मधुरिमा लाल बेगम अख्तर की गजलें पेश करेंगी। आइए जानते हैं लखनऊ विश्वविध्यालय के इतिहास के बारे में....
ऐसी रखी गई थी लखनऊ विश्वविद्यालय की नींव-
यूं तो इस सफर में लखनऊ विश्वविद्यालय, खुद में तमाम रंग समेटे है। अपने स्वर्णिम इतिहास को संजोए लखनऊ विश्वविद्यालय ने न सिर्फ यूपी को बल्कि देश-दुनिया को कई अनमोल रत्न दिए हैं। विश्वविद्यालय के छात्रों ने दुनियाभर में कामयाबी का डंका बजाया है। राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक देने वाला ये विश्वविद्यालय आज अपने उन्हीं पूर्व छात्रों की उपलब्धियों पर गौरवांवित है।
साल1864 में कैनिंग कॉलेज की शुरुआत आठ छात्रों के साथ हुई थी। अगले दो साल यहां सिर्फ हाईस्कूल तक की पढ़ाई होती थी। आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल टॉमस साहब की निगरानी में यह कलकत्ता विवि से संबद्ध था। वर्ष 1887 में इलाहाबाद विवि बनने के बाद उससे संबद्ध हो गया। आपको बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय की नींव रखने का विचार सबसे पहले राजा महमूदाबाद मोहम्मद अली खान, खान बहादुर को आया और उन्होंने यूनाइटेड प्रोविंस के लेफ्टिनंट गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने इसे मूर्त रूप देने में अहम भूमिका निभाई। 25 नवंबर 1920 को गवर्नर जनरल ने विश्वविद्यालय के एक्ट पर हस्ताक्षर किए और इसी तारीख को विश्वविद्यालय अपना स्थापना दिवस मनाता है।
कब शुरू हुआ पहला शैक्षिक सत्र-
17 जुलाई 1921 को पहला शैक्षिक सत्र शुरू हुआ। विश्वविद्यालय बनने से पहले इसे कैनिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था। विश्वविद्यालय को चलाने के लिए कैनिंग कॉलेज को एक जुलाई 1922 को हस्तांतरित किया गया। कभी किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय और आईटी कॉलेज भी इसका हिस्सा हुआ करता था। लेकिन बाद में दायरा बढ़ने पर इन्हें अलग कर दिया गया। शताब्दी वर्ष पूरा करने के बाद साल 2022 में लखनऊ विश्वविद्यालय को NAAC रेटिंग में A++ ग्रेड मिला। इसे अब तक की सभी बड़ी उपलब्धियों में से एक गिना जाता है।
टैगोर लाइब्रेरी में मौजूद हैं लाखों किताबें-
आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा शहर को डिजाइन करने वाले मशहूर अमेरिकी आर्किटेक्ट मिंटर ग्रिफिन ने टैगोर लाइब्रोरी का नक्शा बनाया था। 2 अप्रैल 1941 को इस लाइब्रेरी को अपना भवन मिल गया था। इस लाइब्रेरी में 5 लाख से ज्यादा की किताबें हैं। इस पुस्तकालय में कोर्स वर्क के अलावा विज्ञान, तकनीकी, कला, संस्कृति और मैनेजमेंट से जुड़ी कई नायाब धरोहर हैं।
LU के खास डिपार्टमेंट के बारे में जानें-
शिक्षा शास्त्र संकाय- लखनऊ विश्वविद्यालय में वर्ष 1944 में दर्शन शास्त्र विभाग में यह विषय टीचिंग सब्जेक्ट के तौर पर शुरू हुआ। 1953 में शिक्षा शास्त्र विभाग कला संकाय में खुला था। वर्ष 1978 में यह अलग संकाय बनाया गया और डॉक्टर एसएन झा पहले डीन बने। इस संकाय में बीए एमए बीएड, एम एड, पीएचडी डी. लिट और सर्टिफिकेट कोर्स चलते हैं।
कॉमर्स फैकल्टी- विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही वर्ष 1921 से ही ये हमेशा देश के टॉप-10 संकायों में रहता है। इसके अंतर्गत कॉमर्स विभाग में बीकॉम, एमकॉम कॉमर्स एमफिल डी. लिट एचडी की पढ़ाई होती है। वहीं अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग भी 1921 में खुला। इसमें एमकॉम अप्लाइड इकोनॉमिक्स एचडी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग यानी लुंबा 1956 में शुरू हुआ। इसमें एमबीए कोर्सेज चलते हैं।
विधि संकाय- लॉ फैकल्टी भी वर्ष 1921 में ही शुआ हुआ था इसके पहले पहले अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन थे। यहां पर प्रोफेसर आरयू सिंह जैसे शिक्षक रहे हैं। यहां एलएलबी ऑनर्स, एलएल बी त्रिवर्षीय, एलएलएम एलएलएम जैसे कोर्स चलते हैं।
फैकल्टी ऑफ आर्ट्स- इसकी स्थापना वर्ष 1921 में हुई। इसमें कुल 27 विभाग हैं। देश में पहला राजनीति विज्ञान विभाग सबसे पहले यहीं पर स्थापित हुआ। अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर राधा कम मुखर्जी, समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर राधा कुमुद मुखर्जी व मानव विज्ञान विभाग में मशहूर मानव शास्त्री प्रोफेसर मजूमदार यहां पर शिक्षक रहे।
इसमें प्राचीन भारतीय इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, मानव शास्त्र आधुनिक और मध्यकालीन इतिहास दर्शनशास्त्र, शारीरिक शिक्षा विभाग, मनोविज्ञान विभाग, भूगोल, होम साइंस समेत पत्रकारिता और जनसंचार, ज्योतिष विज्ञान विभाग, पर्शियन भाषा विभाग, अरबी वेस्टर्न, हिस्ट्री, सोशल वर्क, समाजशास्त्र, उर्दू शामिल है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के गुरुजन-
पुरावनस्पति विज्ञान के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रो. बीरबल साहनी यहां बॉटनी विभाग के संस्थापक प्रमुख थे। इन्होंने यहां वर्ष 1921 से लेकर 1949 तक पढ़ाया।साल 1921 से 1945 तक LU के फिजिक्स डिपार्टमेंट के पहले प्रोफेसर और हेड रहे प्रो.वली मोहम्मद के नाम पर UK में भी स्कॉलरशिप चलती है। साल 1946 में वो हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के भी कुलपति बने।1950 में LU के गणित और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एएन सिंह के प्रयास से 1950 में नक्षत्रशाला की स्थापना हुई। यह प्रदेश की पहली नक्षत्रशाला रही। प्रसिद्ध मानव शास्त्री प्रोफेसर डीएन मजूमदार यहां पर वर्ष 1952 में स्थापित मानव शास्त्र विभाग के पहले हेड बने।अर्थशास्त्र विभाग के पहले हेड जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर राधा कमल मुखर्जी वर्ष 1955 तक हेड रहे। ये फेहरिस्त काफी लंबी है। इसके साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय ने देश-दुनियां को कई रत्न दिए हैंं जो आज भी विश्विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 25 November, 2023, 2:15 pm
Author Info : Baten UP Ki