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महामारी के बाद तस्करी किये गये बच्चों की संख्या में वृद्धि, यूपी, बिहार, आंध्रप्रदेश टॉप पर: रिपोर्ट

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नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था "कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन" (केएससीएफ) और गेम्स 24x7 ने अभी हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें साल 2016 से लेकर 2022 यानी छह वर्षों में देश में तस्करी होने वाले बच्चों का आंकड़ा जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी से पहले और बाद में तस्करी किए गए बच्चों की संख्या में "महत्वपूर्ण वृद्धि" हुई है, जो "देश में तस्करी की स्थिति पर महामारी के हानिकारक प्रभाव" की पुष्टि करती है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 से साल 2022 तक केएससीएफ ने कुल बच्चों 13,549 को बचाया है।


"भारत में बाल तस्करी: स्थितिजन्य डेटा विश्लेषण से अंतर्दृष्टि और तकनीक-संचालित हस्तक्षेप रणनीतियों की आवश्यकता" (Child Trafficking in India: Insights from Situational Data Analysis and the Need for Tech-driven Intervention Strategies) शीर्षक वाली यह रिपोर्ट को 30 जुलाई को "व्यक्तियों की तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस" को चिह्नित करते हुए जारी की गई है। 


इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जयपुर शहर देश में बाल तस्करी का हॉटस्पॉट बन कर उभरा है। इस जिले से सबसे ज्यादा यानी 1,115 बच्चों को बचाया गया है। यह आंकड़ा कुल बचाये गये बच्चों का लगभग 9 प्रतिशत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में औसतन तस्करी वाले बच्चों की संख्या में भी वृद्धि देखी गई है। कोविड के बाद के सालों यानी 2021-22 में यह संख्या 99 हो गई, है जबकि प्री-कोविड के सालों यानी 2016-20 में यही संख्या 48 थी। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि "राजस्थान सरकार राज्य को 'बाल श्रम मुक्त' बनाने के लिए आक्रामक रूप से काम कर रही है।"

 
जयपुर के बाद दिल्ली के दो जिले दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। जिसमें उत्तरी दिल्ली, से बचाए गए बच्चों का आंकड़ा कुल संख्या का 5.24 प्रतिशत और उत्तर पश्चिम दिल्ली से बचाए गए बच्चो का आंकड़ा कुल बच्चों की संख्या का 5.13 प्रतिशत है। इसी तरह से शीर्ष 10 जिलों की सूची में राष्ट्रीय राजधानी के पांच जिले शामिल हैं। दिल्ली में प्री-कोविड से लेकर पोस्ट-कोविड तक बाल तस्करी में 68 % तक की वृद्धि देखी गई।


राज्यों में अग्रणी रहे उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष औसतन सबसे अधिक बच्चों की तस्करी देखी गई। तस्करी की औसत संख्या प्री-कोविड चरण (2016-19) में 267 और पोस्ट-कोविड चरण (2021-22) में 1,214 रही है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार और आंध्र प्रदेश का नंबर आता है। यही शीर्ष तीन राज्य थे जहां से प्रति वर्ष औसतन सबसे अधिक बच्चों की तस्करी की जाती थी। कर्नाटक में प्रति वर्ष औसतन तस्करी किए गए बच्चों की संख्या में 18 गुना वृद्धि देखी गई। यहाँ कोविड से पहले के सालो में 6 मामले आये थे पर पोस्ट-कोविड यह संख्या 110 तक पहुंच गई।
जहाँ विभिन्न उद्योगों में 13 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की अधिकतम संख्या शामिल थी वंही कॉस्मेटिक उद्योग में 5 से 8 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चे शामिल किये।

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