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भारत का पहला जटायु संरक्षण और संवर्धन केंद्र

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देश के विशालतम पक्षी गिद्धराज जटायु का ज़िक्र रामायण काल से है। उत्तर प्रदेश में अब भारत का पहला जटायु संरक्षण और संवर्धन केंद्र (Jatayu Conservation And Breeding Centre) बनकर तैयार हो गया है। इसे ख़ासतौर पर रेड हेडेड गिद्धों के लिए विशेष रूप से बनाया और डिज़ाइन किया गया है। जल्द इसका उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर सकते हैं। जटायु संरक्षण केंद्र को गोरखपुर वन प्रभाग के अंतर्गत महाराजगंज जिले में बनाया  गया है। 

जटायु संरक्षण और संवर्धन केंद्र का इंफ्रास्ट्रक्टर 
1.5 हेक्टेयर में फैले इस केंद्र को गोरखपुर वन मंडल में निर्मित किया गया है, जिसकी कीमत करीब 15 करोड़ रूपए हैं। इस केंद्र में गिद्धों के लिए कई पिंजरे हैं, जैसे कि दो होल्डिंग या डिस्प्ले एवियरी, दो नर्सरी एवियरी, दो मेडिकल हेल्प के लिए हॉस्पिटल एवियरी, 1 रिकवरी एवियरी और 1 खाद्य प्रसंस्करण केंद्र (Food Processing Centre) है। जहां गिद्धों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा।

गिद्धों का संरक्षण जरुरी क्यों 
देश में गिद्धों की आबादी लगभग लुप्त होने की कगार पर है। ऐसे में इस केंद्र के बनने से न केवल गिद्धों की आबादी बढ़ेगी बल्कि टूरिस्ट के आने से इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। देश और विदेश से आने वाले लोग प्रकृति और वातावरण से जुड़े अपने अनुभव को साझा कर सकेंगे। जटायु संरक्षण केंद्र के निर्माण के लिए सरकार अब तक दो किश्तों में 1.86 करोड़ रूपए जारी कर चुकी है।

IUCN ने किया रेड लिस्ट में शामिल 
मुख्य रूप से उत्तरी भारत (North India) में पाये जाने वाला रेड हेडेड वल्चर को एशियाई किंग वल्चर भी कहा जाता है। IUCN की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 में इनकी स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं थी, लेकिन वर्ष 2007 से    इसकी घटती संख्या को देखते हुए इस प्रजाति को रेड लिस्ट में शामिल करके गंभीररूप से संकटग्रस्त करार दे दिया गया।

इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
इस केंद्र को बनाने का उद्देश्य, कैद में गिद्धों का प्रजनन और जंगल में गिद्धों की प्रजातियों को स्थाई रूप से बनाए रखना है। 15 साल की इस परियोजना का लक्ष्य कम से कम 40 गिद्धों का पालन करना है।

एशिया का पहला गिद्ध केंद्र पिंजौर में स्थित है 
महाराजगंज के इस केंद्र को हरियाणा  के पिंजौर में स्थापित जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र की तर्ज पर बनाया गया है। साल 2001 में बना पिंजौर का यह केंद्र एशिया का पहला ऐसा केंद्र है जिसकी स्थापना भारतीय गिद्धों और घरेलू गौरैया (House Sparrow) के प्रजनन और संरक्षण के लिए की गई है।

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