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यूपी के उपचुनाव में सत्ता पक्ष के हिंदुत्व एजेंडे और विपक्ष के जातिवादी एजेंडे के बीच होगा कड़ा मुकाबला!

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हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अपेक्षित परिणाम न मिलने के बाद अब भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी विधानसभा उपचुनाव में विपक्ष के नकारात्मक प्रचार का मजबूती से जवाब देने की रणनीति बनाई है। भाजपा संगठन और सरकार आपस में समन्वय बनाकर संगठित रूप से सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के एजेंडे को कड़ी चुनौती देंगे। भाजपा प्रदेशवासियों को यह बताएगी कि सपा का पीडीए केवल भ्रम और छलावा है, जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

हिंदुत्ववादी एजेंडे बनाम जातिवादी एजेंडे का मुकाबला-

बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भाजपा संगठन, और सरकार के बीच हुई समन्वय बैठक में विपक्ष के जातिवादी एजेंडे का मुकाबला करने के लिए हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देने पर सहमति बनी। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह, और दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक मौजूद थे। बैठक में संगठन और सरकार के कामकाज और समन्वय पर विस्तृत चर्चा हुई, साथ ही विधानसभा उपचुनाव के लिए फीडबैक भी साझा किया गया।

जातिवाद से निपटने की आवश्यकता पर बल-

सूत्रों के अनुसार, संघ ने स्वीकार किया कि वर्तमान में जातिवाद की बढ़ती प्रवृत्ति भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि हिंदू समुदाय को एकजुट करने की आवश्यकता है ताकि भाजपा को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सके।

केशव मौर्य की बयानबाजी से उपजे विवाद पर चर्चा-

बैठक में हाल ही में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए बयान पर भी चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि "पार्टी का संगठन सरकार से बड़ा होता है।" इस बयान को विपक्ष ने खूब उछाला था। हालांकि, अब केशव मौर्य सार्वजनिक मंचों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना कर रहे हैं, जिससे विवाद को शांत करने का प्रयास किया जा रहा है।

पुराने कार्यकर्ताओं को मिलेगा सम्मान और पद-

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को निगम, आयोग, और बोर्ड में वरीयता दी जाएगी। पिछले दिनों तैयार की गई सूची पर भी चर्चा हुई और इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी कीमत पर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी न की जाए। इसके अलावा, प्रभारी मंत्री जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ नियमित बैठकें करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेंगे।

संघ के संगठनों के साथ सरकार का समन्वय-

संघ के सेवा, शिक्षा, कृषि, और उद्योग आदि समूहों के कामकाज और उसके फीडबैक पर भी बैठक में विचार-विमर्श हुआ। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संबंधित विभागीय मंत्री संघ के समूहों के साथ नियमित रूप से बैठक करेंगे, और जो भी उचित सुझाव सामने आएंगे, उन्हें सरकार द्वारा अमल में लाया जाएगा। भाजपा और संघ के इस संयुक्त प्रयास से विधानसभा उपचुनाव में विपक्ष के प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की तैयारी की जा रही है।

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