बड़ी खबरें

पंजाब उपचुनाव में AAP 3, कांग्रेस एक सीट जीती:बरनाला में बागी की वजह से आप जीत से चूकी, 2 कांग्रेसी सांसदों की पत्नियां हारीं 13 घंटे पहले भाजपा ने कोंकण-विदर्भ में ताकत बढ़ाई, शरद पवार के गढ़ में भी लगाई सेंध 12 घंटे पहले बीजेपी दफ्तर पहुंचे पीएम मोदी, पार्टी नेताओं ने किया जोरदार स्वागत 6 घंटे पहले कांग्रेस 63 से 15, बीजेपी 79 से 133 पहुंची:महाराष्ट्र चुनाव में किनारे लगे उद्धव और शरद 6 घंटे पहले 15 राज्यों की 46 विधानसभा, 2 लोकसभा के नतीजे:वायनाड में प्रियंका 4 लाख+ वोटों से जीतीं; MP में मंत्री हारे, यूपी की 9 में 7 पर भाजपा गठबंधन जीता 6 घंटे पहले झारखंड में फिर से हेमंत सरकार:56 सीटों पर धमाकेदार जीत; हेमंत बोले- I.N.D.I.A. का परफॉर्मेंस अच्छा, रांची में पोस्टर- शेरदिल सोरेन फिर आया 6 घंटे पहले 33 साल बाद कटेहरी में खिला कमल:धर्मराज निषाद ने 34 हजार वोटों से शोभावती को हराया 6 घंटे पहले

बुजुर्गों की नहीं की केयर तो आपकी नहीं 'खैर,' संपत्ति से हो जाएंगे बेदखल!

Blog Image

उत्तर प्रदेश में अब बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों पर अत्याचार किया तो आपकी खैर नहीं। बुजुर्गों की सही से देखभाल हो इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शख्त नज़र आ रही है। बुजुर्गों की देखभाल न करेने वाले वारिस को उनकी संपत्ति से बेदखल किया जा सकेगा। 

भरण-पोषण नियमावली में होगा संशोधन-

प्रदेश सरकार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण- पोषण तथा कल्याण नियमावली 2014 में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इस बारे में समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के सामने शुक्रवार को प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रदेश सरकार प्रस्तावित संशोधनों पर महाधिवक्ता की सलाह लेकर आगे बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण- पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 को स्वीकार करते हुए 2014 में नियमावली लागू की गई है। राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि यह नियमावली केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। अभी नियमावली के तहत बुजुर्गों का ध्यान न रखने पर प्रतिमा अधिकतम ₹10000 भरण पोषण भत्ता देने या एक माह के कारावास की सजा का प्रावधान है। 

बुजुर्गों की संपत्ति से बेदखल करने पर विचार-

सप्तम विधि आयोग ने नियमावली के नियम 22 में तीन उप धाराएं जोड़ने की सिफारिश की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान न रखने पर बच्चों या नातेदारों को उसकी संपत्ति से बेदखल करने के प्रावधान की बात कही गई है। जिस पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार हो। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक होगी। वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं की सुनवाई के लिए तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में अधिकरण और जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपील अधिकरण हैं। प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से किसी की बेदखली के लिए अधिकरण को आवेदन दे सकते हैं। अगर वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संस्था भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकती है।

अधिकरण दे सकता है बेदखली का आदेश-

तथ्यों से संतुष्ट होने पर अधिकरण बेदखली का आदेश कर सकता है। संबंधित पक्ष को तीन दिन के भीतर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली के आदेश का पालन करना होगा। ऐसा न किए जाने पर पुलिस की मदद से संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया पूरी कर संपत्ति वरिष्ठ नागरिक को सौंप दी जाएगी।अधिकरण के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक अपील अधिकरण में 60 दिन के भीतर अपील भी कर सकता है।
 

 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें