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अगर ऐसा हुआ तो यूपी में दौड़कर आएंगी कंपनियां !

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उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्रस्तावित की गई एक नई और महत्वपूर्ण नीति जिसका नाम है 'ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर' नीति। सबसे पहले बात करते हैं ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर की । सोचिए कि आपके पास एक बड़ी कंपनी है जो पूरी दुनिया में काम करती है। अब, इस कंपनी को अपना काम करने के लिए बहुत सारे लोगों की मदद चाहिए। जिसके लिए ये मल्टीनेशनल कंपनियां ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर यानी GCC बनाती हैं। GCC एक ऐसी जगह है जहां कंपनी अपने कुछ काम करवाने के लिए दूसरे देश में एक ऑफिस खोलती है जहाँ अच्छे सोर्स और सुविधाएं आसानी से मिल जाएं। यह ऑफिस कंपनी के लिए अलग-अलग तरह के काम करता है, जैसे डेटा मैनेजमेंट, डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट और सर्विस मैनेजमेंट। कंपनी ऐसा इसलिए करती है क्योंकि इससे कम्पनी का खर्च कम होता है और यह सारा काम एक ही जगह से हो जाता है। भारत में भी ऐसे बहुत सारे GCC हैं, जहां दूसरे देशों की कंपनियों के लिए काम होता है।

इससे कंपनियों को क्या लाभ होता है?

इस सेंटर की वजह से कंपनियाँ अपने सभी बिजनेस ऑपरेशन को एक ही जगह से संचालित कर सकती हैं। डेटा मैनेजमेंट, डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट और सर्विस मैनेजमेंट जैसे कार्य आसान हो जाएंगे। इसके अलावा, कंपनियाँ अपने संचालन की लागत को कम करने, शोध को बढ़ावा देने, वित्तीय प्रबंधन और डेटा एनालिटिक्स को भी बेहतर तरीके से कर सकेंगी। इससे न केवल कंपनियों की संचालन लागत कम होगी, बल्कि वे नई तकनीकों का उपयोग करके अपने व्यवसाय को और अधिक बेहतर बना सकेंगी। इन केंद्रों के माध्यम से कंपनियां न केवल अपने आईटी संसाधनों का बेहतर उपयोग करेंगी, बल्कि वे ह्यूमन रिसोर्स, वित्तीय सेवाओं और शोध कार्यों को भी एक ही स्थान से नियंत्रित कर पाएंगी।

यूपी सरकार बना रही नई नीति-

ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर के इन्हीं फायदों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार भी इसके सम्बन्ध में एक नई नीति बनाने की तैयारी में है। ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर की इस नई नीति के तहत, यूपी सरकार मल्टीनेशनल कंपनियों को राज्य में अपने GCC स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह नीति मुख्य रूप से कंपनियों को यूपी में अपने वैश्विक संचालन को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करने का उद्देश्य से बनाई गयी है।

ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर के अंतर्गत कंपनियाँ-

ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर के अंतर्गत कंपनियाँ सेंटर आफ एक्सीलेंस (CoE) स्थापित करने पर भी जोर दे रही हैं। CoE उन विशेष क्षेत्रों में Excellence प्राप्त करने के लिए बनाए जाते हैं जहाँ कंपनियाँ अपनी विशेषज्ञता को एकत्रित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, डेटा एनालिसिस, रिसर्च और तकनीकी नवाचार के लिए CoE महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस नई नीति के तहत आईटी विभाग विशेष वर्कशॉप भी शुरू करेगा। इन वर्कशॉप में बताया जाएगा कि कैसे बदलते वक्त के साथ सरकारी कामकाज में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग किया जाना चाहिए। कार्यशाला में नोटिंग, एक्सेल का उपयोग और लैंग्वेज प्रोसेसिंग के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही, हैकर्स से फाइलों को बचाने के तरीके भी सिखाए जाएंगे। इसके अलावा, केंद्र सरकार के ऐप 'भाषिणी' के साथ भी एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) साइन हुआ है। भाषिणी एप का उपयोग अनुवाद, ध्वनि का रूपांतरण, और संवाद को एआई के माध्यम से विभिन्न तरीकों से उपयोग करने के लिए किया जाएगा। यह एप भाषा की बाधाओं को कम करने में मदद करेगा और संचार को सरल बनाएगा।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक सशक्त वातावरण-

ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर की नीति और आईटी विभाग की होने वाली वर्कशॉप्स से यह स्पष्ट होता है कि यूपी सरकार एक नई दिशा में आगे बढ़ रही है। यह नीति न केवल कंपनियों को आकर्षित करेगी, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एक सशक्त वातावरण प्रदान करके, यूपी सरकार एक मजबूत और व्यापारिक इकोसिस्टम की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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