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हाथरस हादसा: गिरफ्तारी के लिए चौकन्नी हैं एसओजी की टीमें, मुख्य सेवादार पर रखा गया है एक लाख रुपये का इनाम

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जब से हाथरस में खूनी भगदड़ हुई है, तब से यूपी प्रशासन लगातार एक्शन मोड़ में है। इस मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अब तक आयोजन समिति से जुड़े छह सेवादारों को गिरफ्तार किया है। वहीं इस घटना के मुख्य आयोजक-मुख्य सेवादार की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये के इनाम की घोषणा भी की गई है। गिरफ्तार लोगों में उपेंद्र, मंजू यादव, मुकेश कुमार शामिल हैं।

आरोपियों के गिरफ्तारी के लिए लगाई गई एसओजी-

इस घटना पर अलीगढ़ के आईजी शलभ माथुर ने कहा कि जोन स्तर पर सभी जिलों में एसओजी की टीमों को आरोपियों के चिह्नीकरण व गिरफ्तारी के लिए लगाया गया है। साथ ही मौके से मिले साक्ष्यों को विवेचना का हिस्सा बनाया जा रहा है।

न्यायिक आयोग की हुई पहली बैठक-

हादसे को लेकर न्यायिक आयोग की पहली बैठक नैमिषारण्य गेस्ट हाउस में हुई। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष बृजेश श्रीवास्तव ने कहा- जरूरत पड़ी तो पुलिस और मीडियाकर्मियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। बहुत जल्द आयोग की टीम हाथरस जाएगी और सबूत इकट्ठा करेगी। दो महीने में जांच पूरी करके रिपोर्ट सरकार और शासन को सौंपी जाएगी।

हादसे में गईं अब तक 121 जान-

यूपी के हाथरस जिले में हुए सत्संग में भगदड़ मचने से अब तक 121 लोगों की जान जा चुकी है। इस सत्संग का आयोजन सिकंदराराऊ इलाके के फुलरई गांव में किया गया था। सत्संग में प्रवचनकर्ता के रूप में नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि थे, जिन्हें 'भोले बाबा' के नाम से जाना जाता है। भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। अधिकांश मौतें दम घुटने से हुई हैं। यूपी पुलिस ने सत्संग के आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज की है।

हाथरस मामले में हुई लापरवाही-

हाथरस मामले में भी खूब लापरवाही बरती गई। इन्हीं लापरवाहियों ने 121 जिंदगियों को लील लिया। बताया जा रहा है कि पूरे मैदान को समतल करके कम से कम 10 एकड़ जमीन को बराबर करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मैदान के चारों तरफ रास्ते भी नहीं बनाए गए। सिर्फ एक कच्चा रास्ता था। सबसे बड़ी लापरवाही तो यही रही कि आयोजकों ने पुलिस को 80 हजार लोगों के आने की बात कहकर अनुमति ली थी, लेकिन यहाँ ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। जिस रास्ते से बाबा का काफिला गुजरा, वहाँ बैरिकैडिंग भी नहीं थी और न ही एंट्री-एग्जिट प्वॉइंट बनाए गए थे। रास्ता काफी संकरा था। 

 भगदड़ में हुई मौतों का चौंकाने वाला आंकड़ा-
 
ऐसा नहीं है कि इस तरह की भगदड़ कोई पहली बार मची हो। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2000 से 2013 तक देश में भगदड़ की घटनाओं में 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पिछले 11 साल में तो यह आंकड़ा कहीं ऊपर जा चुका है। वर्ष 2013 में आई इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 79 प्रतिशत भगदड़ धार्मिक सभाओं और तीर्थ यात्राओं के कारण होती हैं। 

आखिर क्यों मचती है भगदड़?
 
प्रश्न यह नहीं है कि हाथरस में किसका सत्संग था? देशभर में समय-समय पर ऐसे बड़े धार्मिक आयोजन होते रहते हैं, जिनमें हजारों-लाखों की भीड़ जुटना आम बात है। ऐसा नहीं है कि किसी एक धर्म के अनुयायी ही ऐसे आयोजनों में पहुंचते हैं। सभी धर्मों में ऐसे आयोजन हो रहे हैं। दिन-प्रतिनिधि धार्मिक आयोजन और उनमें भीड़ भी बढ़ती जा रही है। सवाल उठता है कि ये भगदड़ मचती क्यों है?  वेंगुओ वेंग, एक प्रसिद्ध शोधकर्ता हैं, जिन्होंने भीड़ प्रबंधन और भगदड़ के कारणों पर गहन अध्ययन किया है। इनके मुताबिक, भगदड़ एक जटिल सामाजिक-व्यवहारिक घटना है जो तब होती है जब भीड़ एकत्रित होती है और किसी कारणवश वह नियंत्रण से बाहर हो जाती है। इसमें अचानक घबराहट और भागदौड़ की स्थिति, भीड़ का घनत्व ज़्यादा होना, आपसी समन्वय की कमी, व्यक्तिगत सुरक्षा का भय और भगदड़ के दौरान व्यक्तियों के व्यवहार में बदलाव की स्थिति पैदा हो जाती है। लोग भीड़ के प्रभाव में आकर और बिना सोचे-समझे दूसरों की नकल करते हुए भागने लगते हैं। भगदड़ में लोगों की मौत कई कारणों से हो सकती है जैसे कि दम घुटना, कुचल जाना, सिर और गर्दन की चोटें, दिल का दौरा पड़ना, फॉल्टी सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स, घबराहट और अफरातफरी और पानी तथा ऑक्सीजन की कमी आदि। 

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