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दिल्ली NCR में बढ़ते प्रदूषण के चलते यूपी प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड की बैठक, दिशा-निर्देश जारी

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दिल्ली-NCR इनदिनों प्रदूषण से हाल-बेहाल है। कई इलाकों में AQI यानी (वायु गुणवत्ता सूचकांक) गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है। जिसे देखते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड ने निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के 17 प्रदूषित शहरों को लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की AQMC (Air Quality Monitoring Committee) कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में निर्देश जारी किए गए कि प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग मशीन का उपयोग बढ़ाया जाए। साथ ही, पराली को लेकर भी निर्देश जारी किए गए। बैठक में कहा गया कि किसी भी खेत में पराली किसी भी हाल में ना जलाई जाए। वहीं, सड़कों पर पानी का छिड़काव होने का भी निर्देश दिया गया। इसके साथ ही निर्माण स्थलों पर ग्रीन नेट के उपयोग का भी निर्देश दिया गया है। इन निर्देशों का पालन करके वायु प्रदूषण को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी।

जानिए क्या होता  AQI-

आपको बता दें कि AQI यानी Air Quality Index एक संख्या है जिससे हवा की गुणवत्ता को मापा जाता है। यह संख्या 0 से 500 तक होती है, जहां 0 सबसे अच्छी हवा की गुणवत्ता को दर्शाती है और 500 सबसे खराब हवा की गुणवत्ता को दर्शाती है।

AQI को 6 श्रेणियों में विभाजित बांटा गया है-

0-50: अच्छी
51-100: संतोषजनक
101-200: मध्यम
201-300: खराब
301-400: बहुत खराब
401-500: गंभीर
जैसे-जैसे AQI की संख्या बढ़ती है, हवा की गुणवत्ता उतनी ही खराब होती जाती है। AQI 200 से ऊपर होने पर हवा साँस लेने के लिए हानिकारक हो सकती है।

AQI को विभिन्न प्रदूषकों के आधार पर मापा जाता है- 

पार्टिकुलेट मैटर (PM)- ये छोटे, कणीय पदार्थ होते हैं जो हवा में तैरते हैं। PM 2.5 और PM 10 दो प्रकार के पार्टिकुलेट मैटर हैं जो हवा की गुणवत्ता को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।  PM 2.5 कण 2.5 माइक्रोन से छोटे होते हैं, जो इंसान के बालों के व्यास के लगभग आधे होते हैं।  PM 10 कण 10 माइक्रोन से छोटे होते हैं। सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)- यह एक गैस है जो जीवाश्म ईंधन के दहन से निकलती है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)- यह एक गैस है जो जीवाश्म ईंधन के दहन और वाहनों के उत्सर्जन से निकलती है। ओजोन (O3)- यह एक गैस है जो सूर्य के प्रकाश से ओजोन परत में ओजोन के टूटने से बनती है। कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)-यह एक गैस है जो वाहनों के उत्सर्जन और अन्य स्रोतों से निकलती है।

 

 

 

 

 

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