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राज्यपाल को 'हाजिर हो' का समन भेजने वाले एसडीएम को पेशकार सहित डीएम ने किया निलंबित

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यूपी के बदायूं में राज्यपाल आन्दीबेन पटेल को समन भेजने वाले एसडीएम और उनके पेशकार को निलंबित डीएम ने निलंबित कर दिया है। डीएम ने यह फैसला मामले में जांच करने के बाद लिया है और यह पूरा मामला जमीन अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है। दररअसल, हाल ही में एसडीएम ने राज्यपाल को एक समन भेजा था जिसमें उन्होंने राज्यपाल को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए थे। जिसके बाद राज्यपाल के सचिव ने पत्र में अनुच्छेद 361 का उल्लंघन मानते हुए आपत्ति दर्ज कराई और डीएम से इस मामले में हस्तक्षेप कर नियमानुसार पक्ष रखने और नोटिस जारी करने वाले के ससंबंध में जरूरी कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। अब शासन ने नोटिस जारी करने वाले एसडीएम को सस्पेंड कर दिया है। 

जिसके बाद मामले पर सफाई देते हुए एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार ने बताया कि वह उस दिन अवकाश पर थे। उन्होंने पेशकार की गलती बताते हुए उससे स्पष्टीकरण भी मांगा। बताते हैं डीएम की रिपोर्ट मिलने के बाद बुधवार को शासन ने एसडीएम न्यायिक को निलंबित कर दिया। डीएम ने बताया कि मामला गंभीर था, लिहाजा शासन स्तर से एसडीएम न्यायिक को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद डीएम ने पेशकार बदन सिंह को भी निलंबित कर दिया।

समन में संविधान के अनुच्छेद 361 का किया गया उल्लंघन-

दरअसल, एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार की कोर्ट ने सात अक्टूबर को अपने न्यायिक कोर्ट से विधि व्यवस्थाओं को नजर अंदाज करते हुए राज्यपाल के नाम समन जारी कर उन्हें 18 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था, इस आदेश में एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए राज्यपाल को कोर्ट हाजिर होने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद समन जब 10 अक्टूबर को राजभवन पहुंचा तो राजभवन में हड़कप मच गया। जिसके बाद राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने तत्काल डीएम को  आदेश जारी करते हुए पत्र लिखा- इसमें उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि समन में संविधान के अनुच्छेद 361 का उल्लंघन किया गया है और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो" और 16 अक्टूबर को डीएम को पत्र भेज दिया गया। इसके बाद डीएम ने मामले पर गंभीरता दिखाते हुए जांच कर एसडीएम और उनके पेशकार को निलंबित कर दिया।

आखिर क्या है पूरा मामला- 

मिली हुई जानकारी के मुताबिक, बदायूं बाईपास पर ग्राम लोड़ा बहेड़ी के पास जमीन राज्य सरकार ने अधिग्रहित की थी। इस अधिग्रहण के बदले लेखराज नाम के व्यक्ति को 12 लाख रुपये की धनराशि मुआवजे के तौर पर मिली थी। यह जमीन लेखराज के ही नाम पर है। इस मुआवजे पर बहेड़ी निवासी चंद्रहास ने आपत्ति जताते हुए एसडीएम सदर कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।  याचिकाकर्ता से की दलील है कि यह जमीन उसकी चाची कटोरी देवी की संपत्ति है, जिसे उनके एक रिश्तेदार ने धोखे से अपने नाम कराकर लेखराज को बेच दिया है। इस मुकदमे में चंद्रहास ने लेखराज के अलावा पीडब्ल्यूडी ऑफिसर और राज्यपाल को भी पक्षकार बनाया था। यही वजह है कि एसडीएम ने राज्यपाल को ही पेशी का समन भेज दिया।

 

 

 

 

 

 

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