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निठारी हत्याकांड में कोर्ट ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल

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16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड से सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को निर्दोष करार कर दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी के विवेचना के तौर-तरीके इतने खराब हैं कि उन्हें बेहद निराशा हो रही है। कोर्ट ने कहा कि सबूतों का ठीक से संग्रह नहीं किया गया। जिसका लाभ आरोपियों को मिला। आरोपी कोली के खुलासे, जिसमें खोपड़ी, हड्डियों, कंकाल की बरामदगी शामिल थी, को ठीक से दर्ज नहीं किया गया। इससे आरोपी कोली के कबूलनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।

कोर्ट ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल-

आपको बता दें कि सोमवार को न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की संघ पीठ ने सीबीआई पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला सुनाते वक्त हमें बड़ी निराशा हो रही है कि निठारी हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को सबूत न मिल पाने की वजह से निर्दोष करार करना देना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल के बगल में स्थित मकान में मानव अंग व्यापार का संगठित गिरोह भी पकड़ा जा सकता था, लेकिन उस ओर दिमाग नहीं लगाया गया। आरोपी कोली की उस अर्जी में दम था, लेकिन सीबीआई की जांच लापरवाही से जरूरी सावधानियों के बिना की गई। 

कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस के जांच अधिकारी ने जो सुझाया, सीबीआई उसी आसान रास्ते पर आगे बढ़ी। अभियोजन का मामला आरोपी कोली के 29 दिसंबर, 2006 को पुलिस के समक्ष दिए गए कबूलनामे पर आधारित है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपी कोली के खुलासे, जिसमें खोपड़ी, हड्डियों, कंकाल की बरामदगी को दर्ज करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाने की जरूरत थी, उसे पूरा ही नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि इससे आरोपी कोली के कबूलनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। 

निठारी हत्याकांड का इतिहास-

साल 2006 के दिसंबर माह में कड़ाके की ठण्ड थी। पुलिस को नोएडा के निठारी गांव में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले में 19 मानव कंकाल मिले। ये कंकाल बच्चों और महिलाओं के थे। कहाँ से आये ये कंकाल और इन इंसानों को कंकाल में बदलने  के लिए कौन जिम्मेदार था। ऐसे ही कई सवालों की तहकीकात के लिए मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को पुलिस द्वारा 29 दिसंबर 2006 को गिरफ्तार कर लिया गया। अगले लगातार 60 दिन उसे यूपी पुलिस और फिर सीबीआई ने हिरासत में रखा। जिसके बाद 9 जनवरी 2007 को निठारी हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी, जिसने दो ही दिन बाद सारी जांच अपने हाथ में ले ली, एफआईआर भी फिर से लिखी।

वहीं कोली के 2007 में दिए गए बयान के अनुसार, 16 हत्याएं करने के दौरान कोली किसी 'स्वचालित अवस्था' में पहुंच जाता था, वह पीड़ितों को ललचाता, घर में लाता, हत्या करता, सेक्स करता, शरीर के टुकड़े करता, उन्हें पकाता व खाता, अवशेष बैग में भरता, नाली में भी बहाता था। फिलहाल अब 16 अक्टूबर को अदालत से बरी कर दिया गया। इस रिहाई के पीछे के कारण में पुलिस और सीबीआई की नाकामयाबी को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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