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कार्यवाहक डीजीपी नियुक्ति मामले की सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

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कार्यवाहक डीजीपी का मामला उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और पंजाब की राज्य सरकार के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। दोनों  प्रदेश में पूर्णकालिक डीजीपी क्यों नहीं है, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायालय की अवमानना का केस दायर किया गया है। जिसकी सुनवाई सोमवार 7 अगस्त को चीफ जस्टिस आफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच करेगी। दरअसल, अवमानना की यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह के मामले में दिए गए निर्णय की अवहेलना का हवाला देते हुए दायर की गई है। याचिका में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और यूपीएससी चेयरमैन के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है। 

क्या है पूरा मामला
1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो पाई है। दरअसल मुकुल गोयल को 11 मई 2022 को यूपी के डीजीपी पद से शासकीय कार्यो की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि नहीं लेने और अकर्मण्यता के आरोप के चलते यूपी के मुख्यमंत्री ने पद से हटा कर डीजी सिविल डिफेंस बना दिया था। उसके बाद से पिछले 15 महीने से यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था का कार्यभार कार्यवाहक डीजीपी चला रहे हैं। इस पूरी अवधि के दौरान अब तक यूपी को कुल तीन कार्यवाहक डीजीपी मिल चुके हैं। इस दौरान नए डीजीपी के लिए प्रदेश सरकार ने जो भी प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग को भेजा था। उसे आयोग ने वापस लौटा दिया था। UPSC ने प्रदेश सरकार से यह प्रश्न किया था कि मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूरा करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं? इसके जवाब के बारे में अभी तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। हालाँकि इस राज्य में डीजीपी की नियुक्ति के लिए काफी योग्य पुलिस अधिकारी भी हैं जिसके बाद भी नियुक्ति के न होने का कारण सरकार की लापरवाही को माना जा रहा है। 
पंजाब 
बात पंजाब की करें तो यहां भी गौरव यादव एक साल से कार्यवाहक डीजीपी  के दायित्व का निर्वहन कर रहें हैं। बीते वर्ष की 5 जुलाई को तत्कालीन डीजीपी वीके भावरा के दो महीने की छुट्टी पर जाने के बाद पंजाब सरकार ने गौरव यादव को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया था। तब से लेकर अब तक गौरव ही इस पद पर बने हुए हैं।
 

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