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उत्तर प्रदेश में घूस लेने वाले के खिलाफ करें ऑनलाइन शिकायत

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उत्तरप्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी का वीडियो इन दिनों इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है वायरल वीडियो में पैसे का जिक्र किया गया है। एक आईपीएस अधिकारी किसी व्यक्ति से दो लाख रुपये लेने की बात कर रहे हैं, लेकिन इसे लेकर प्रदेश की सियासत हो गई है। हालांकि विपक्ष इस पर तंज कस रहा है और प्रशासन इसे पुराना वीडियो बताते हुए सफाई दे रही है। यह तो वह मुद्दा है जो अख़बारों के लिए हैं पर आमजन और जागरूक नागरिकों के लिए यह जानना जरुरी कोई पब्लिक अफसर अगर भ्रष्टाचार करता है तो उसके लिए क्या कानून बनायें गए हैं और इनके विरुद्ध किस तरह के और किसके समक्ष एक्शन लिए जा सकते हैं। 

क्या है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम?
दरअसल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 यानी Prevention of Corruption Act, 1988 भारत का एक केंद्रीय कानून है। इसका उद्देश्य सरकारी तंत्र एवं पब्लिक अंडरटेकिंग में भ्रष्टाचार को कम करना  है। इस एक्ट के अनुसार रिश्वत लेना और रिश्वत देना दोनों ही अपराध है। इसके अलावा अगर तीसरे पक्ष के माध्यम से भी रिश्वतखोरी की जाएगी तो वह भी अपराध की श्रेणी में आएगा। इस विधेयक को वर्ष 2018 में संसोधित किया गया था। उसके बाद से इस अधिनियम को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2018 कहा जाने लगा। 

लोकपाल और लोकायुक्त की अनुमति आवश्यक- 
इस अधिनियम के अनुसार लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केन्द्र के मामले में लोकपाल से तथा राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी जरुरी है। इसमें रिश्वत देने वाले व्यक्ति को अपना पक्ष रखने के लिये 7 दिन का समय मिलेगा, जिसे 15 दिन तक बढ़ाया जा सकेगा। जाँच के दौरान सबसे महत्वपूर्ण रूप से यह जानने कि कोशिश की जाएगी कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई है।

सजा का प्रावधान- 
रिश्वत लेने वाले लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। इस धारा के अनुसार भ्रष्टाचार में लिप्त लोक सेवक को 3 साल से लेकर 7 साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। 

एंटी करप्शन पोर्टल- 
यदि उत्तरप्रदेश में कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत की मांग करता है तो आप उसके खिलाफ एंटी करप्शन पोर्टल के माध्यम से कर सकते हैं। जिसके बाद ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाएगी। सूचना देने या शिकायत करने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है। 

भ्रष्टाचार से सम्बंधित संस्थान-
भ्रष्टाचार को समाप्त करने में राष्ट्रीय स्तर पर तीन संस्थान प्रमुख भूमिका निभाते हैं -लोकपाल, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI)। राज्य स्तर लोकायुक्त का प्रावधान किया गया है। 

करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2022-
इस सूचकांक में भारत 140 देशों की सूची में 85वें स्थान पर है। वर्ष 2021 में भी देश इसी स्थान पर था जबकि 2020 में भारत 86वें स्थान पर था। वैसे तो सरकार बहुत सारे महत्वपूर्ण कदम उठा रही है पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नागरिको का जागरूक होना, और उनका सुशासन में भागीदारी करना बहुत जरूरी है।
चलते-चलते आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पी.सी. घोष के देश के पहले लोकपाल बने थे।

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