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मासूमों के साथ इतनी हैवानियत क्यों? क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

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(Special Story) यूपी के बदायूं में मंगलवार ठेकेदार विनोद ठाकुर के दो बेटों आयुष (13) और अहान (6) की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई। इस जघन्य हत्या के अभी 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि ऐसी ही एक और दिल दहला देने वाली वारदात समाने आ गई। प्रयागराज के मेजा इलाके में दो मासूम भाइयों 5 वर्षीय लकी और 3 वर्षीय अवि की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। हत्या को किसी और ने नहीं बल्कि सगी बुआ ने अंजाम दिया और फरार हो गई। ऐसी ही न जाने कितने वारदातें हमारे सामने आती हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरी हमारे समाज में ऐसा क्यों हो रहा है कि लोग मासूम बच्चों तक की हत्या करने पर उतर आते हैं। हमारे समाज में आखिर कौन से परिवर्तन हो रहे हैं जो अपनों का भी खून भी करने पर लोग उतारू होते जा रहे हैं। इन घटनाओं को लिए कौन जिम्मेदार है। जब इस मुद्दे पर समाजशास्त्री के साथ ही मनो चिकित्सक भी चिंता जाहिर कर रहे हैं। आज इस मुद्दे पर बात विस्तार से-  

पहले दोनों घटनाओं के बारे में बताते हैं...

पहली बदायूं की घटना-

यूपी के बदायूं की बाबा कॉलोनी में मंगलवार 19 मार्च को शाम 2 सगे भाइयों की उस्तरे से गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। मृतकों की उम्र 14 और 6 साल थी। वारदात से गुस्साई भीड़ ने जमकर हंगामा किया। बाइक और दुकान में तोड़फोड़ की। जिसके बाद मंडी समिति पुलिस ने एक्शन लेते हुए एक आरोपी साजिद को एनकाउंटर में ढेर कर दिया, जबकि दूसरा आरोपी अभी भी आरोपी फरार है। दोनों आरोपी भी भाई हैं। आरोपियों की पड़ोस में ही सैलून की दुकान है।अभी तक वारदात की वजह सामने नहीं आ सकी है।

दूसरी घटना प्रयागराज में दो मासूमों की हत्या-

प्रयागराज के मेजा थाना क्षेत्र के हरगढ़ गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहां अपनी भाभी से झगड़ा होने पर आक्रोशित होकर महिला ने अपने भाई के दो बेटों को मौत के घाट उतार दिया। महिला मानसिक रूप से बीमार बताई जा रही है। उसने दोनों बच्चों के सिर पर पटरे से प्रहार कर दिया था जिससे दोनों लहूलुहान हो गए। अस्पताल में दोनों की मौत से परिवार में गम का माहौल है। 

तीसरी घटना आगरा से-

यूपी के आगरा से दिल को दहला देने वाली एक और घटना सामने आई है। यहां एक मासूम बच्ची का कुछ दरिंदों द्वारा अपहरण कर फिरौती की रकम परिजनों से मांगी गई। फिरौती नहीं देने पर दरिंदों ने मासूम बच्ची की हत्या कर शव को सरसों के खेत में फेंक दिया। इस मामले में दो अपहरणकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की पूछताछ में इन्होंने अपना जुर्म कबूल भी किया है। पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है। 

ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन?

सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी घटनाए समाज में क्यों घटित हो रही है। आखिर हमारे सामाजिक मूल्यों में ऐसी गिरावट क्यों आ रही है कि लोग इतने खूंखार हो रहे हैं जो इन जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इन दोनों घटनाओं को लेकर जब हमने राम स्वरूप मेमोरियल विवि लखनऊ के समाजशास्त्र विभाग के डॉ अरुण विसेन से बात की तो उन्होंने कहा कि इसके लिए बदलते सामाजिक मूल्य हैं। उन मूल्यों का ही प्रभाव देखने को मिला है और इसके लिए कोई बाहरी लोग या दूसरे समाज या दूसरे देश या दूसरे जगहों के लोग उत्तरदाई नहीं हैं। इसके लिए जिम्मेदारी लेने की बात कही जाए तो इसके लिए कोई एक जिम्मेदार नहीं है। यह हमारी  सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है?

 बच्चों को स्कूल भेजने के पीछे उद्देश्य-

उन्होंने आगे कहा कि आप देखिए कि पहले के जमाने में अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए स्कूल भेजने के पीछे का उद्देश्य क्या होता था। सभी का उद्देश्य यही होता था कि अच्छा इंसान बनना लेकिन अब उद्देश्य का हो गया है कि पढ़ाई करो और अच्छी से अच्छी सैलरी पैकेज पर नौकरी करो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए पश्चिमीकरण का अंधानुकरण करना हमारे समाज के लिए ठीक नहीं है। आज कल की जीवन शैली में लोग स्वयं की पहचाने बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए उतावले हैं। अति महत्वाकांक्षा के चलते समाज में विसंगतियां उत्पन्न हो रही है। जिसके चलते ऐसी घटनाए सामने आ रही हैं।  लोग इसी में लगे हुए हैं कि कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएं कैसे ऊंचा स्थान प्राप्त करे इसी के चलते लोग तनावग्रस्त हो रहे हैं। आप सामान्य तौर पर ही देखिए जैसे आपके घर कोई मेहमान आता है तो आप अपने बच्चे से कहते हैं एबीसीडी सुनाइए ये सुनाओ वो सुनाओ क्योंकि आप अपने बच्चे को स्टेटस सिंबल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चा ही नहीं जैसे मशीन हो तो इसके लिए हम सब को खुद से ऐसी चीजों पर रोक लगानी होगी। 

इमोशनल बाइंडिंग और न्यूक्लियर फैमिली-

वहीं इस विषय पर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल लखनऊ के मनो चिकित्स डॉ. देवाशीष शुक्ल कहते हैं कि समाज में ऐसे परिवर्तन के पीछे बच्चों पर शुरू से ही ध्यान न दे पाना भी शामिल हैं इन सब चीजो के लिए कोई एक कारण नहीं बल्कि कई कारण है। जेसे कि इमोशल बाइंडिंग का कम होना। इसका कारण है कि आजकल न्यूक्लियर फैलिमी ज्यादा सामने आ रही हैं। पहले के जमाने में होता था कि लोग संयुक्त परिवार में रहते थे जिससे बाबा दादी चाचा-चाची समेत सभी की नजर बच्चों पर रहती थी अगर बच्चा कुल गलत सीख रहा होता था तो कोई न कोई टोक देता है। इसके साथ ही आजकल बच्चे छोटे उम्र से ही मोबाइल वीडियो गेम आदि में व्यस्त रहते हैं जिनमे तरह तरह की आवाजें आती है जैसे मारो, काटो आदि जिनका बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और यही बच्चे आग चल कर ऐस घटनाए कर देते हैं तो सामाजिक तौर पर बहुत ही खराब होती हैं।

 

हलांकि ऐसी घटनाओं को रोकने और बच्चों की सेफ्टी के लिए हमारे देश में कई कानून बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी बाल संरक्षण आयोग है जो बच्चों के संरक्षण के लिए काम करता है। हलांकि इन दोनों घटनाओं पर उसका कोई बयान सामने नहीं आया है। 

यूपी में बच्चों की सुरक्षा के लिए 'मिशन भरोसा-

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अभी हाल ही में आधिकारिक तौर पर अपना पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन 'मिशन भरोसा' लॉन्च किया था। स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन के महत्वपूर्ण महत्व को पहचानते हुए, यह पहल छात्रों के लिए स्कूल आने और जाने की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए ड्राइवरों और परिचारकों के पुलिस सत्यापन सहित उचित उपायों को लागू करने के लिए किया गया है।

भारत में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराधों से जुड़े कुछ कानून- 

  • आईपीसी की धारा 323 (मारपीट), धारा 324 (जख्मी करना), और धारा 325 (गंभीर जख्म पहुंचाना)
  • किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015
  • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012
  • बालक श्रम (प्रतिषेध विनियमन) अधिनियम, 1986
  • किशोर न्याय अधिनियम, 1986 (संशोधित) 2000
  • बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
  • बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005
  • शिशु पोषण बोतल एवं शिशु खाद्य (उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 1992 

 

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