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क्या है आध्यात्मिक पर्यटन, देश की अर्थव्यवस्था में इसका योगदान, किस नंबर पर है अयोध्या?

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(Special Story) हम सभी अपनी भागदौड़ भरी जिन्दगी, आपाधापी भरे जीवन एवं व्यस्त दिनचर्या के चलते अपने जीवन के कुछ पल शान्त एवं प्राकृतिक सौन्दर्ययुक्त स्थान पर बिताना चाहते हैं। इन्ही समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, पर्यटन व्यवसाय जो आपके मन के मुताबिक स्थान का चुनाव करने का आपको मौका देता है। पर्यटन उद्योग आज दिन दूनी व रात चैगुनी प्रगति पर है। यह विश्व का एक महत्वपूर्ण उद्योग बन गया है। इसी पर्यटन का ही एक स्वरुप हैं आध्यात्मिक पर्यटन। भारत में आध्यात्मिक पर्यटन कैसे बढ़ रहा है और भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित हो रही है। यूपी में धार्मिक या आध्यात्मिक पर्यटन का क्या स्कोप है आइए जानते हैं विस्तार से...

धार्मिक या आध्यात्मिक पर्यटन-

धार्मिक या आध्यात्मिक पर्यटन किसी विशेष धर्म से संबंधित ना होकर समस्त धर्मों का समन्वय है। यह एक ऐसा पर्यटन है जहां व्यक्ति आत्मशोधन व आत्म परिष्कार के लिए यात्रा करता है। यह स्थान विशेष के वातावरण तथा वहां चल रहे क्रिया-कलापों द्वारा परिवर्तित व्यक्तित्व से संबंधित है। आध्यात्मिक पर्यटन पर्यटकों को मनोरंजन यात्रा के साथ-साथ जीवन के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण देने का प्रयास करता है। पर्यटक अपने स्थान से कहीं दूर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए शांत वातावरण में यज्ञीय वातावरण को प्राथमिकता देता है। वहां आकर पर्यटक स्वास्थय, नवीन प्रेरणा, उत्साह एवं आनन्द की प्राप्ति करता है। धार्मिक पर्यटन कोई नई अवधारणा नहीं है, यह एक तरह से हमारी संस्कृति का ही हिस्सा है। इसे आप ऐसे समझिए कि जब कोई व्यक्ति मुख्य रूप से अपने धार्मिक विश्वास के आधार पर किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करता है, तो इसे धार्मिक पर्यटन या फिर रिलीजियस टूरिज्म के रूप में जाना जाता है। इसमें यात्री पूजा करने और मोक्ष का आनंद लेने के तरीके के रूप में तीर्थ यात्रा करते हैं। हालांकि, कुछ दशकों पहले तक यह यात्रा समाज के उच्चतम वर्ग के लोगों तक ही सीमित थी, लेकिन आज धार्मिक पर्यटन एक विशिष्ट बाजार है, जिसमें लोग धार्मिक स्थलों, तीर्थ स्थलों को देखने के लिए देश और विदेशों में यात्रा करते हैं।

पर्यटन स्थल के तौर पर उभरा अयोध्या-

भारत में होटल बुकिंग साइट की अग्रणी कंपनी OYO के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल ने हाल ही में एक डेटा साझा किया था। जिसके मुताबिक अयोध्या एक पर्यटन स्थल के तौर पर उभरकर सामने आया है। हिल स्टेशनों और समुद्री किनारों की तुलना में अयोध्या में अधिक बुकिंग देखने को मिली है। उन्होंने गोवा, अयोध्या और नैनीताल की तुलना करते हुए एक डेटा साझा करते हुए बताया कि अयोध्या में OYO ऐप उपयोगकर्ताओं में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। जबकि नैनीताल में 60 प्रतिशत और गोवा में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक पर्यटन अगले 5 वर्षों में पर्यटन उद्योग के सबसे बड़े फैक्टर के तौर पर उभरेगा। वैसे हमारे देश में कुल पर्यटन का 60 फीसदी या फिर इससे भी अधिक हिस्सा धार्मिक पर्यटन या रिलीजियस टूरिज्म है। धार्मिक पर्यटन का

देश की अर्थव्यवस्था में योगदान-

पर्यटन मंत्रालय के धार्मिक पर्यटन के नए आकड़ों के मुताबिक जहां साल 2021 में मंदिरों की कुल कमाई 65,070 करोड़ के आसपास थी, वहीं साल 2022 में यह आंकड़ा 1.34 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इससे पहले यानी साल 2020 में 50,136 करोड़, 2019 में 2,11,661 करोड़ और 2018 में 1,94,881 करोड़ की कमाई हुई थी यह आकड़े बताते हैं कि तीर्थ स्थल से कमाई का आकड़ा दोगुना रफ़्तार से आगे बढ़ा है. इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर धर्म के ज़रिये व्यापार ऐसे ही बढ़ता रहा तो देश जल्द ही कोरोनाकाल से पहले वाली ग्रोथ स्पीड में आ जाएगा।

घरेलू पर्यटन का योगदान सर्वाधिक- 

भारत की बात करें तो बौद्ध गया, सारनाथ, कुशीदेव जैसे कई तीर्थ स्थल हैं जहां हर साल दक्षिण एशियाई देश, जैसे चीन, जापान, म्यांमार से लाखों लोग दर्शन करने आते हैं. इन विदेशी धार्मिक पर्यटकों और प्रवासी पर्यटकों के आने से सरकार को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है. हालांकि धार्मिक पर्यटन में घरेलू पर्यटन का योगदान सबसे ज्यादा है. साल 2022 में पूरे भारत में 1,731 मिलियन अधिक घरेलू पर्यटक आए. जिसमें से 30 प्रतिशत से ज्यादा पर्यटक धार्मिक पर्यटन के उद्देश्य से यात्रा पर थे. देश के साथ ही विदेशों में भी चर्चा का केंद्र बनी अयोध्या की बात करें तो राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या में टूरिज्म 4 गुना बढ़ने की बात कही जा रही है. इन बातों को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में टूरिस्ट के आकड़े सच भी साबित कर रहें हैं. आकड़ों के अनुसार, जहां एक साल पहले तक 80 लाख पर्यटक आते थे वहीं 2021 में हुए जीर्णोद्धार के बाद एक साल में करीब 7 करोड़ 20 लाख लोग आए. घरेलू पर्यटक के मामले में भी वाराणसी ने वृद्धि दर्ज की. जहां साल 2022 के जुलाई महीने में वाराणसी में 40.03 लाख घरेलू पर्यटक पहुंचे, वहीँ साल 2021 में यह अकड़ा 4.61 लाख का था. इतना ही नहीं साल 2022 तक काशी विश्वनाथ का दान 500 फीसदी तक बढ़कर 100 करोड़ हो गया।

देश में धार्मिक पर्यटन को मिली ज़बरदस्त ग्रोथ-

धार्मिक पर्यटन पर जोर देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहें हैं. इसमें सबसे प्रमुख कार्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ा हुआ है। पर्यटकों को ज्यादा मुश्किलों का सामना न करना पड़े इसके लिए रोडवेज, सड़क और एयरपोर्ट का निर्माण किया गया है. इसके अलावा इस तरह के टूरिज्म को बढ़ावा मिल सके इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार कई योजनाएं भी चला रही है. जानकारी के लिए बता दें कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रसाद योजना, जिसके तहत चिन्हित तीर्थ स्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर का समग्र विकास किया जा रहा है. इसके अलावा पंजाब सरकार ने निशुल्क तीर्थ यात्रा योजना की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत 7 साल से ज्यादा की आयु के लोगों को निशुल्क तीर्थ यात्रा कराई जाती है।

 

धार्मिक स्थल रोजगार का स्त्रोत-

भारत में मौजूद कई धार्मिक स्थल रोजगार का स्त्रोत है। यानी इन स्थलों पर स्थानीय लोगों को छोटे मोटे काम जैसे फूल बेचने, प्रसाद बेचने का मौक़ा मिल जाता है। इतना ही नहीं कुछ तीर्थस्थल विश्व प्रसिद्ध हैं, जहां देश विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है और वहां ट्रांसपोर्ट, होटल इंडस्ट्री, फ़ूड इंडस्ट्री, इनका विकास भी तेजी से होने लगता है. वहीं स्थानीय उत्पादों की बिक्री भी बढ़ जाती है. इससे सरकार को मिलने वाले राजस्व में इजाफा होता है और राज्य और देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर देखने को मिलता है।

रिलीजियस पर्यटन के मुख्य कारण- 

धार्मिक पर्यटन के विकास के पीछे के कारणों पर बात करें, तो हमारे देश में कई धर्म के लोग रहते हैं और पुरानी सभ्यताओं वाला देश होने के कारण भारत में सभी धर्मों से सम्बंधित तीर्थ स्थान भी मौजूद हैं. लगभग सभी धर्म का व्यक्ति जीवनभर में एक बार अपन-अपने धर्म से सम्बंधित तीर्थ स्थान की यात्रा करने की इच्छा ज़रूर रखता है. विविध धार्मिक परंपराओं के कारण भारत, दुनियाभर से लाखों तीर्थ यात्रियों के साथ ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. ऐसे में कुछ तीर्थ स्थल जैसे, वैष्णो देवी, काशी विश्वनाथ, तिरुपति बालाजी, स्वर्ण मंदिर के साथ ही अजमेर शरीफ, देवा शरीफ जैसे भारत में कितने तीर्थ स्थान है जहां साल भर पर्यटकों या श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है। यहां एक सवाल यह भी है कि आखिर रिलीजियस टूरिज्म अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है।

 देश में कितने मंदिर-मस्जिद-

ट्रेवल ट्राइंगल की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 96 करोड़ हिन्दुओं की आबादी के बीच 20 लाख से ज्यादा मंदिर और तीर्थ स्थल हैं. सबसे ज्यादा करीब तीन लाख मंदिर तमिलनाडु में हैं। वहीं फाइंडिंग डाटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब सात लाख मस्जिद हैं। एक तथ्य यह भी है कि धार्मिक पर्यटन के ज़रिए इन स्थानों पर होटल उद्योग, यातायात उद्योग, छोटे व्यवसायियों आदि को बहुत लाभ पहुंचा रहा है। वर्ष 2028 तक भारत के पर्यटन क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रोजगार के नए अवसर निर्मित होने की सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है। इसके अतिरिक्त देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में त्योहारों और पर्व की भूमिका को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

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