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सांझी कला को जीवित रखने का प्रयास, वृंदावन में बच्चों को दिया जा रहा है सांझी कला प्रशिक्षण

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उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन को आज भी राधा-कृष्ण की लीलाओं और कलाओं के लिए जाना जाता हैं। राधा-कृ्ष्ण की ऐसी कई कलाएं हैं, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और उनमें से एक सांझी कला है, जिसे नवरात्रि के दौरान  बनाया जाता है। मान्यता है कि सांझी बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। लेकिन यह कला आज के आधुनिक समय में लुप्त होती जा रही। जिसे बच्चे और युवाओं के बीच पहुँचाने के लिए ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा सांझी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिससे देश भर के बच्चे और युवा सांझी कला के महत्व और उसके इतिहास को सकें। 

3 तीन तक होगा सांझी प्रशिक्षण कार्यक्रम- 
आपको बता दे कि वृंदावन में ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा बच्चों के लिए 3 तीन का सांझी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिसको लेकर जानकारी देते हुए गुजरात से आई सांझी कलाकार मैयत्री गोस्वामी ने बताया कि इस कार्यशाला का मकसद बच्चों और युवाओं को ब्रज की धरोहर और सांझी कला के बारे में जानकारी देने और कला का प्रशिक्षण देना है। इस आयोजन में कई बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है और वह सांझी कला को सीखने का पूर्ण  प्रयास कर रहे हैं।  जिसमें बच्चों को सप्त देवालय मंदिर में बनने वाली सूखे रंगो की सांझी, जल सांझी, फूल सांझी के साथ अलग-अलग राज्य और संप्रदायों में बनने वाली सांझी का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। 

सांझी कला को जीवित रखने का प्रयास-

इसके बाद उन्होंने कला को लेकर बताया कि सांझी बनाना बेहद ही कठिन काम है जिसे बनाने में 8 घंटे से भी अधिक का समय लग जाता है और इस कला के कलाकार भी काफी कम बचे हैं। जिस वजह से यह कला लुप्त होने की कगार पर है लेकिन इस कार्यशाला के माध्यम से नयी पीढ़ी को इस कला के बारें के महत्व और इस कला से लोगों को जोड़ने की एक कोशिश की जा रही है। 

सांझी का इतिहास- 
दरअसल, पुरानी मान्याताओं के अनुसार सांझी एक प्राचीन लोक कला है जो ब्रज क्षेत्र में प्रचलित है। द्वापर युग में भी राधा ने कृष्ण के लिए सांझी बनाई थी। राधा कृष्ण को बहुत प्यार करती थीं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए वह अक्सर सांझी बनाती थीं। राधा की बनाई सांझी बहुत ही सुंदर होती थी और कृष्ण उसे बहुत पसंद करते थे।

सांझी एक प्रकार की ऐसी कला है, जिसे गाय के गोबर से बनाया जाता है। इसमें देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों, और अन्य प्रकृति के तत्वों की आकृतियों को बनाया जाता है। सांझी को ब्रज में एक विशेष महत्व दिया जाता है। वृंदावन में बच्चों को सांझी बनाने का प्रशिक्षण देने के पीछे का उद्देश्य है कि इस प्राचीन कला को जीवित रखा जा सके। बच्चों को सांझी बनाना सिखाकर उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक किया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

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