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(Special Story) हमारा भारत पूरी दुनिया में कला, साहित्य, और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। क्योंकि भारत का इतिहास कला, साहित्य और विविधताओं से परिपूर्ण है। हमारी सांस्कृतिक विरासत एक राष्ट्र और संस्कृति के रूप में हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी बहुत ज्यादा है क्योंकि सांस्कृतिक विरासत के जरिए हमें अपनी समृद्ध परंपराओं और इतिहास से जुड़ने का मौका मिलता है। हालांकि सांस्कृतिक धरोहर और पुराने स्मारकों को संरक्षण और सुरक्षा की भी आवश्यकता है। दुनिया भर में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जो मानव सभ्यता से जुड़े हैं जिनका संरक्षण और सुरक्षा बेहद जरूरी है। इसीलिए हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य विश्व के महत्वपूर्ण स्मारकों और स्थलों के प्रमोशन और संरक्षण को बढ़ावा देना है।
विश्व धरोहर दिवस के माध्यम से, लोगों को धरोहर की महत्वता, सांस्कृतिक विविधता, और ऐतिहासिक महत्व को महसूस कराया जाता है और साथ ही कई सेमिनार और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें लोगों को धरोहरों के महत्व को बताया जाता है और उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके साथ ही, यह दिन विशेष रूप से धरोहर संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित करने का भी मौका प्रदान करता है।
क्यों मनाया जाता है ?
विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने की थी। पहला विश्व धरोहर दिवस ट्यूनीशिया में मनाया गया था। इसके बाद 1983 में इसे 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (यूनेस्को) की मंजूरी मिली। 1983 के बाद से हर साल अलग-अलग थीम के साथ विश्व धरोहर दिवस दुनियाभर में मनाया जाता है। विरासत स्मारक और स्थल अक्सर मानवीय गतिविधियों, प्राकृतिक आपदाओं और शहरीकरण का भी शिकार होते हैं। यह दिन उनकी सुरक्षा और संरक्षण के महत्व को पुनः स्थापित करता है।
क्या है विश्व धरोहर दिवस का महत्व?
प्राकृतिक परिदृश्य, ऐतिहासिक स्मारक, सांस्कृतिक प्रथाएं, परंपराएं, रीति-रिवाज और प्राचीन खंडहर विश्व की विरासत का हिस्सा हैं। इन्हें सुरक्षित रखना जरूरी है। वे अपने सांस्कृतिक मूल्य के लिए जाने जाते हैं और यूनेस्को द्वारा उनके सार्वभौमिक महत्व के लिए भी मान्यता प्राप्त हैं। ये विरासत स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी हैं जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा हमें अपने समृद्ध इतिहास और अतीत पर प्रकाश डालने में मदद करते हैं जिसके बारे में हम पहले नहीं जानते थे। उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित और सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
स्मारक की देखभाल की जिम्मेदारी उठाता है यूनेस्को
अगर यूनेस्को किसी स्मारक या स्थल को धरोहर घोषित करता है तो उसके बाद उस जगह का नाम विश्व में काफी मशहूर हो जाता है। जिस वजह से वहां विदेशी पर्यटकों का आवागमन भी काफी बढ़ जाता है, जिसका लाभ सीधा देश की अर्थव्यवस्था को मिलता है। विश्व धरोहर घोषित होने के बाद उस जगह का खास ध्यान रखा जाता है और उसकी सुरक्षा भी बढ़ा दी जाती है। यदि ये स्मारक ऐसे देश में है, जिसकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है, तो यूनेस्को ही स्मारक की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ ये दो संगठन है, जो इस बात का आकलन करते हैं, कि स्थल विश्व धरोहर बनने लायक है या नहीं। साल में एक बार इस विषय के लिए समिति बैठती है और जगहों का चयन करती है। जगह का चयन करने के बाद दोनों संगठन इसकी सिफारिश विश्व धरोहर समिति से करते हैं। फिर ये फैसला लिया जाता है कि जगह को विश्व धरोहर बनाना है या नहीं।
भारत के कुछ ऐतिहासिक स्मारक-
भारत में कुल 3691 स्मारक और स्थल हैं। इनमें से 40 को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है। जैसा कि हम विश्व धरोहर दिवस 2024 मना रहे हैं, आइए कुछ ऐतिहासिक स्मारकों पर नजर डालें।
भारत के आगरा शहर में बना ताजमहल भी सात अजूबों में से एक होने के साथ ही विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है। ताजमहल मुगल वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था। बाद में इस सफेद पत्थरों से बने महल में शाहजहां और उनकी पत्नी मुमताज को साथ में दफनाया गया था।
दिल्ली ही देश की भी शान लाल किला को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। मुगल सम्राट शाहजहां ने 1638 ईसवी में इसका निर्माण शुरू करवाया था। किले का निर्माण 1638 में शुरू और 1648 ईसवी तक चला। कुल मिलाकर इसके निमार्ण में तकरीबन 10 साल वर्ष लगे।
आइए अब जानते हैं विश्व धरोहर दिवस के मौके पर दुनिया की सबसे प्रसिद्ध विरासत के बारे में..
चीन की विशाल दीवार
द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, यानी चीन की विशाल दीवार दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। यह दुनिया की सबसे लंबी दीवार है। इस दीवार के निर्माण में ईंट, पत्थर, लकड़ी और धातुओं का इस्तेमाल हुआ है। इसे दुनिया की सबसे पुरानी मिट्टी और पत्थर की बनी दीवार भी कहा जाता है। एक राजकीय सर्वेक्षण के मुताबिक, 'चीन की दीवार' की कुल लंबाई 21,196 किलोमीटर है।
गीज़ा के पिरामिड, मिस्र
मिस्र पिरामिडों के लिए मशहूर है। यह पिरामिड दुनिया की सबसे ऊंची बनावट है, जिसकी लंबाई 481 फुट है। यहां 138 पिरामिड हैं, हालांकि गीजा का 'ग्रेट पिरामिड' विश्व के सात अजूबों में से एक है। दुनिया के सात अजूबों में से एकमात्र इस स्मारक को लेकर यह दावा दिया जाता है कि इसे चांद से भी देखा जा सकता है।
चिचेन इट्जा
मेक्सिको में स्थित चिचेन इट्जा दुनिया के अजूबों की सूची में शामिल है। इस जगह को मेक्सिको के सबसे संरक्षित पुरातात्विक स्थलों में माना जाता है, जिसका इतिहास 1200 साल पुराना है। चिचेन इट्जा में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र पिरामिड एल कैस्टिलो है। पूर्व कोलंबियाई माया सभ्यता के लोगों के लिए चिचेन इट्जा बनाया गया था। इसे पवित्र स्थल भी माना जाता है।
माचू पिच्चू, पेरू
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में स्थित माचू पिच्चू दुनिया के सात अजूबों में से है। इसी रहस्यमयी शहर भी कहा जाता है। माचू पिच्चू इंका सभ्यता से संबंधित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह एक पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। माचू पिच्चू को लोग 'इंकाओं का खोया हुआ शहर' भी कहते हैं। इसके अलावा पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय भी कहा जाता है। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया है।
क्राइस्ट द रिडीमर
रियो डी जेनेरियो में क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा स्थित है, जो विश्व धरोहर होने के सात ही दुनिया के सात अजूबों में से एक है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 30 मीटर है। क्राइस्ट द रिडीमर स्टैच्यू को ईसाई धर्म का एक वैश्विक प्रतीक माना जाता है। इस प्रतिमा की वजह से ही रियो डी जेनेरियो शहर का पर्यटन उद्योग भी चलता है।
पेट्रा, जॉर्डन
जॉर्डन का 'पेट्रा' शहर अपनी विचित्र वास्तुकला के लिए मशहूर है। पेट्रा की गिनती दुनिया के सात अजूबों में होती है। पेट्रा में तरह तरह की इमारत है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं। यहा पर बनी इमारतों, दीवारों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। पेट्रा में 138 फुट ऊंचा मंदिर बना है, इसके अलावा सुंदर नहरें, पानी के तालाब हैं।
रोम का कोलोसियम
इटली के रोम शहर में कोलोसियम स्थित है, जिसे फ्लावियन एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर कहा जाता है। इस अद्भुत विशाल अखाड़े का निर्माण रोम के सम्राटों ने कराया था। यूनेस्को ने कोलोसियम को विश्व धरोहर का दर्जा दिया तो वहीं सात अजूबों में भी यह जगह शामिल है।
विश्व विरासत दिवस की थीम
विश्व विरासत दिवस 2024कीथीम है "Discover and Experience Diversity" यानी ‘विविधता की खोज करें और अनुभव करें’ यह विषय हमारे इतिहास की समृद्धि को उजागर करता है। यह हमें विभिन्न समुदायों की अनूठी विरासत का पता लगाने और उसकी सराहना करने की भी याद दिलाता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 18 April, 2024, 1:13 pm
Author Info : Baten UP Ki