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कब है लोहड़ी का पर्व, जानिए इसका इतिहास...

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देशभर में हर साल लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार पंजाबियों का एक प्रमुख त्यौहार है और पंजाबी समुदाय के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। इस त्यौहार को हर साल मकर संक्राति के एक दिन पहले मनाया जाता है। अगर मकर संक्राति 14 जनवरी को पड़ती है तो लोहड़ी का त्यौहार 13 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन अगर मकर संक्राति 15 को पड़ती है तो इसे 14 जनवरी को मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन सभी लोगों को अपने घरों की बहू-बेटियों और बहनों की हिफाजत करने की शिक्षा दी जाती है कि कैसे वह समाज में बढ़ रही बुराइयों से उनकी रक्षा कर सकते हैं। 

कब और किस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी लोहड़ी- 

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इस साल ज्योतिषीय गणनाओं की मानें तो उनके मुताबिक, 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाएंगे। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। जिसके हिसाब से 14 जनवरी 2024 को लोहड़ी मनाया जाएगा। हांलाकि अधिकतर लोग लोहड़ी का त्यौहार 13 जनवरी यानी की आज ही मना रहे है। क्योंकि पंचांग के अनुसार, इस साल 13 जनवरी 2024 यानी की आज लोहड़ी है और प्रदोष काल लोहड़ी का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर रात को 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। 

लोहड़ी का क्या है महत्व-

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आपको बता दें कि सिख समुदाय में लोहड़ी पर्व का बड़ा महत्व है। यह पर्व किसानों के लिए बेहद खास होता है और लोग इसे काफी धूमधाम से मनाते हैं। आज के दिन लोग शाम को लोग शुभ मुहूर्त में आग जलाकर सूर्यदेव और अग्निदेव की पूजा करते हैं और भगवान को रेवड़ी, खील, गज्जक और मक्का अर्पित करते हैं। साथ ही किसान साल भर अच्छी फसल की कामना करते हुए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं। इसके बाद परिवार और आसपास के लोग एक साथ एकत्रित होते हैं और उस अग्नि की परिक्रमा करते हैं और पारंपरिक गीत भी गाते हैं। लोहड़ी के दिन विधि विधान से पूजा करने के साथ-साथ लोग और रिश्तेदार मिलकर अग्नि के आसपास डांस करते हैं। एक तरफ जहां लड़के भांगड़ा पर नृत्य करते हैं तो वही लड़कियां और महिलाएं गिद्दा करती हैं। लोहड़ी पर कई घरों में मक्के की रोटी और सरसों का साग भी बनता है।

कौन था दुल्‍ला-भट्टा- 

Who was Dulla Bhatti: अगर दुल्ला भट्टी न होते तो आज लोहड़ी न मनाई जाती,  जानिए कौन थे भट्टी? - Who was Dulla Bhatti in whose memory Lohri is  celebrated?

इसी के साथ आपको बता दें कि लोहड़ी के मौके पर दुल्‍ला भट्टी की कहानी जरूर सुनाई जाती है। इस कहानी के बिना लोहड़ी की रस्‍म पूरी नहीं मानी जाती। बताया जाता है कि अकबर के शासन काल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहा करता था। उस समय लोग मुनाफे के लिए लड़कियों को बेचकर उनका सौदा कर लेते थे। एक बार संदलबार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। इस दौरान दुल्ला भट्टी ने सामान के बदले में इलाके की लड़कियों का सौदा होते देख लिया। इसके बाद उन्‍होंने बड़ी चतुराई से न सिर्फ उन लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से आजाद कराया, बल्कि उनके जीवन को बर्बादी से बचाने के लिए उनका विवाह भी करवाया। इसके बाद से दुल्‍ला भट्टी को नायक के तौर पर देखा जाने लगा। तभी से हर साल लोहड़ी के मौके पर सभी को दुल्ला भट्टा की यह कहानी सुनाई जाती है, ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इससे प्रेरणा लेकर घर की महिलाओं की हिफाजत करना सीखें, उनका सम्‍मान करें और जरूरतमंदों की मदद करें। 

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