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हिन्दुत्व और राम से दूरी कांग्रेस की क्या मजबूरी?

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(Special Story) अयोध्या के भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर जहां देश-दुनिया में भक्तिमय महौल है वहीं कांग्रेस ने कार्यक्रम में जाने के लिए मिले न्योते को ठुकराकर राजनैतिक चर्चा छेड़ दी है। कांग्रेस के इस फैसले पर उनकी पार्टी में ही विरोध के सुर उठने लगे हैं। जहां गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सीनियर नेता अजुर्न मोढ़वाडिया ने पार्टी के फैसले पर असहमति जताई है। वहीं कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकराने के फैसले पर निराशा जताते हुए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। आपको बता दें कि हिन्दुत्व और राम से दूरी कांग्रेस के लिए नई बात नहीं है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि आखिर क्यों राम मंदिर के कार्यक्रम में जाने से कांग्रेस ने इंकार किया....

कांग्रेस ने क्यों ठुकराया प्राण प्रतिष्ठा का न्योता-

अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को होने जा रहे श्रीराम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस ने शामिल नहीं होगी।  पार्टी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया है। पार्टी ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट कि ओर से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन को निमंत्रण मिला था। लेकिन कांग्रेस ने कहा है कि इनमें से कोई भी नेता बीजेपी RSS के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा। इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि ये कार्यक्रम बीजेपी ने राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित किया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक लेटर शेयर किया है, जिसमें उसने राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने के फैसले का कारण बताया है। इसमें कांग्रेस ने लिखा है कि धर्म निजी मामला है, लेकिन BJP/RSS ने मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम को अपना इवेंट बना लिया है। इसलिए कांग्रेस इसमें शामिल नहीं होगी। 

कांग्रेस की हिन्दुत्व और राम से दूरी नई नहीं- 

आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की हिन्दुत्व और राम से दूरी कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन जानकारों का मानना था कि इस कांग्रेस सोमनाथ जैसी गलती नहीं अपनाएगी और कांग्रेस इस बार अयोध्या और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में जरूर शामिल होगी। अपनी 1951 वाली गलती इस बार वो सुधारेगी और ऐसा लग भी रहा था क्योंकि जबतक निमंत्रण नहीं मिला था तब तक तो कांग्रेस के नेता यही कह रहे थे कि राम सबके हैं अकेले बीजेपी के ही नहीं हैं। उन्होंने भी राम मंदिर निर्माण में चंदा दिया है और वो लोग भी शामिल होंगे लेकिन जब कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेताओं को न्योता भेजा गया तो कांग्रेस पार्टी ने कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला कर लिया। आप सभी ने देखा है कि चुनाव के समय पर कैसे राहुल और प्रियंका खुलकर हिन्दूवादी छवि को प्रदर्शित करने के लिए बड़े-बड़े माला और भगवाधारी बन जाते हैं। लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि उनको अयोध्या के कार्यक्रम से दूरी बनानी पड़ी। दरअसल जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के राम मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने से जनता में ये मैसेज जाएगा कि मोदी ने कांग्रेस को भी मंदिर के कार्यक्रम में आने के लिए बाध्य कर दिया और इसे जनता में बीजेपी और मोदी की जीत के तौर पर मैसेज जाएगा। इसके साथ ही शायद कांग्रेस से मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर भी सता रहा है इलीलिए उसने राम मंदिर के कार्यक्रम से किनारा कर लिया। 

जवाहर लाल नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का किया था विरोध-

आपको बता दें कि सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1940 को सोमनाथ के नवनिर्मित मंदिर की आधारशिला रखी थी। 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग  स्थापित किया था। सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया था। बताया जाता है कि सोमनाथ मंदिर के एक कार्यक्रम में भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को आमंत्रित किया गया था लेकिन नेहरू नहीं चाहते थे कि देश के राष्ट्रपति किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हों। लेकिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने उनकी राय नहीं मानी और 1951 में सोमनाथ मंदिर पहुंचे थे। वहीं, नेहरू ने खुद को सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार से पूरी तरह से अलग रखा था। इसके साथ ही नेहरू ने सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर सोमनाथ मंदिर परियोजना के लिए सरकारी फंड के इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश भी दिया था। 

हलांकि कांग्रेस का राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के फैसले ने पार्टी के अपने ही नेताओं के विरोध के सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सीनियर नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कांग्रेस पार्टी द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराने पर कहा है कि पार्टी को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। अर्जुन मोढवाडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा-'भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।'

बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला-

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस पार्टी द्वारा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकराने के फैसले पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा है कि -श्री राम मंदिर के “निमंत्रण” को ठुकराना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है,आज दिल टूट गया। कांग्रेस के इस फैसले पर किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर माँ पवित्रा नंद गिरी ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि  जिसके दिल में राम वो रामनगरी में होगा। जिसके दिल में राम नहीं वो अफ़सोस करेगा कि क्यों नहीं गये। ये विरोधी सोच के हैं। ये कहानी बना ली गई है कि बीजेपी का इवेंट है। ये उनकी सोच है। हम राम लला को महल में ला रहे हैं।

ये लोग राम द्रोही हैं-

वहीं हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि इन लोगों को न्योता भेजा ही नहीं जाना चाहिए था। ये लोग राम द्रोही हैं। इन्हें बुलाना ही नहीं चाहिए था. क्या भगवान राम बीजेपी के हैं? अगर ये कभी आये तो इनको जूतों की माला पहनायेंगे।

जनता उन्हें ठुकरा देगी-

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "अगर उन्होंने निमंत्रण को ठुकराया है तो जनता उन्हें ठुकरा देगी... निमंत्रण भाजपा ने दिया है, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दिया है और उसे नकारने से उनका रामद्रोही आचरण प्रकट होता है... उनका ऐसा निर्णय निश्चित तौर से विनाशकाले विपरीत बुद्धि है।"

कांग्रेस के अंदर हिंदू धर्म के प्रति विरोध दर्शाता है-

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा," कांग्रेस के पास इस बार मौका था कि आप अपने को बदल कर दिखा सकते थे। परंतु इन्होंने इस बार भी ये नहीं किया। आज रामराज्य की प्राण प्रतिष्ठा का श्रीगणेश हो रहा है, लेकिन कांग्रेस उसके पक्ष में नहीं है। इससे साफ है कि गांधी जी की कांग्रेस और नेहरू की कांग्रेस में बहुत अंतर है।..इससे कांग्रेस के अंदर हिंदू धर्म के प्रति जो विरोध है वो दर्शाता है।"

"बड़े दुर्भाग्य की बात है-

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, "बड़े दुर्भाग्य की बात है, उन्होंने पहले राम मंदिर में अड़ंगे लगाए और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अपमान करके देश के बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। कांग्रेस को इसके लिए माफी मांगना चाहिए।.."

कांग्रेस के लिए श्रीराम काल्पनिक हैं-

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "कांग्रेस ने श्री राम को श्रद्धा की दृष्टि से कभी नहीं देखा, उन्होंने कहा ये काल्पनिक हैं इसलिए उनके लिए भगवान राम आस्था का केंद्र नहीं हैं। यह देश की जनभावनाओं का अपमान है और जनता आगामी चुनाव में इसका जवाब देगी।"

कांग्रेस के फैसले से मुझे आश्चर्य नहीं-

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही यही रवैया रहा है, यहां तक कि जब पुनर्निर्माण के बाद सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति ने वहां जाने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी ने इस कदम का विरोध किया... उस दिन से कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण के लिए लगातार हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है। इन 30-40 वर्षों के दौरान जब भी राम मंदिर का मुद्दा आया, या तो उन्होंने इसकी आलोचना की या इसका विरोध किया... इसलिए उनके इस फैसले से मुझे आश्चर्य नहीं हुआ..."

बहरहाल कांग्रेस का राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से अलग होने का दांव उल्टा पड़ता की साबित हो रहा है क्योंकि बीजेपी ही नहीं उनकी पार्टी के नेताओं की भी इस फैसले पर पार्टी से अलग राय सामने आ रही है। 

 

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