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(Special story) आमतौर पर फरवरी का महीना 28 दिनों का होता है लेकिन 4 चार साल बाद यह 29 का हो जाता है। यह एक दिन कैसे बढ़ जाता है। क्या होता है, लीप ईयर और इस दिन पैदा होने वाले बच्चों को क्या कहा जाता है और हां इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे आखिर अपना जन्मदिन किस दिन मनाते हैं। इसके साथ ही ऐसे बच्चों की क्या खूबी होती है चलिए जानते हैं यह सब कुछ विस्तार से.....
क्या होता है लीप ईयर-
पहले साधारण तौर पर माना जाता था कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन का समय लेती है। इसलिए एक साल का समय 365 दिन रखा गया था। लेकिन बाद में पता चला कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 के साथ ही एक चौथाई दिनों का समय और लेती है। इसलिए इस अतिरिक्त समय की भरपाई हर चार साल बाद एक और दिन जोड़ कर की जाती है। ऐसे ही साल को लीप ईयर कहते हैं जिसमें फरवरी का महीना 28 की जगह पर 29 दिन का होता है और यह हर 4 साल बाद आता है।
जब कैलेंडर में सुधार की जरूरत हुई महसूस-
वैसे देखा जाए तो भारत के हिंदू पंचाग या हिंदू कैलेंडर को लेकर यह दावा किया जाता रहा है कि इसमें कभी सुधार की जरूरत नहीं पड़ी और न ही पड़ने वाली है। लेकिन पश्चिम देशों में, खास तौर से यूरोप में कैलेंडर का इतिहास कुछ अलग रहा है। बताते हैं कि कैलेंडर में सुधार की जरूरत रोम में सबसे पहले महसूस हुई थी, उस समय वहां चंद्रमा के आधार पर कैलेंडर का एक साल 355 दिन का होता था। रोमन लोगों ने देखा कि उनके कैलेंडर का तालमेल कुछ अलग हो रहा है जिसको सुधारने के लिए उन्होंने पहले हर दो साल बाद मर्सिडोनियस नाम का एक और महीना कैलेंडर में जोड़ दिया।
सौर कैलेंडर की शुरुआत-
आपको बता दें कि 45 ईसापूर्व में रोमन शासक जूलियस सीजर ने सौर कैलेंडर की शुरुआत की जो मिस्त्र में बनाए गए कैलेंडर के आधार पर था। इसमें हर चार साल में एक दिन जोड़ा जाता था। समय के साथ लोगों ने यह महसूस किया कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर 365.25 दिनों में नहीं लगाती बल्कि इसमें 365.24219 दिन का समय लगता है यानि अभी और सुधार की जरूरत थी। इसके बाद 1582 में पोप ग्रेगरी 13 ने छोटा सा बदलाव किया उन्होने कहा कि हर चार साल में तो फरवरी में एक दिन जोड़ा जाएगा, लेकिन हर सदी वाले साल जैसे 1700, 2100, आदि वाले साल में लीप ईयर का नियम नहीं लगेगा। लेकिन वह साल 400 से विभाजित नहीं होना चाहिए। इस कैलेंडर में सुधार काफी कारगर रहा और आज भी इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
ये तो हुई लीप ईयर और कैलेंडर की बात लेकिन क्या आप जानते हैं कि 29 फरवरी को जन्म लेने वाले बच्चों को क्या कहा जाता है। आइए हम बताते हैं....
लीप बेबी-
लीप बेबी वे बच्चे होते हैं जिनका जन्म 29 फरवरी को होता है। ऐसे बच्चों को लीपर्स, लीपलिंग्स कहते हैं। यह एक दुर्लभ संयोग है क्योंकि हर 4 साल में ही 29 फरवरी आती है। इसलिए इस दिन पैदा होने वाले बच्चों को लीप बेबी कहा जाता है। आपको बता दें कि दुनियाभर में लगभग 4.1 मिलियन लीप बेबी हैं, जो कि कुल जनसंख्या का 0.0006% हैं।
लीप बेबी का जन्मदिन-
आपको जानकर हैरानी होगी कि लीप बेबी का जन्मदिन 28 फरवरी या 1 मार्च को मनाया जाता है। 28 फरवरी को उनका "वास्तविक" जन्मदिन होता है और 1 मार्च को "गैर-लीप" वर्षों में उनका जन्मदिन मनाया जाता है। हलांकि कुछ देशों में लीप बेबी को विशेष दर्जा दिया जाता है। कुछ देशों में, जैसे कि नीदरलैंड, लीप बेबी को 28 फरवरी और 1 मार्च दोनों दिनों को जन्मदिन मनाने का अधिकार होता है। लीप बेबी के लिए एक विशेष ग्रीटिंग भी है "Happy Leap Day!"
लीप बेबी से जुड़ी कुछ मान्यताएं-
लोगों का मानना है कि लीप बेबी बहुत भाग्यशाली होते हैं क्योंकि वे एक दुर्लभ दिन पर पैदा हुए होते हैं। इसके साथ ही लोगों का ऐसा भी मानना है कि लीप बेबी विशेष प्रतिभा वाले भी होते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि लीप बेबी का जीवनकाल लंबा होता है।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 28 February, 2024, 6:33 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...