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7 दिनों के अंदर देश में लागू हो जाएगा CAA!, जानिए क्या है CAA और क्यों हुआ था इसका विरोध?

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(Special Story) 7 दिनों के अंदर देश में लागू हो जाएगा CAA' जी हां... ऐसा ही दावा किया है केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने। उन्होंने कहा है कि देश में अगले एक सप्ताह में नागरिक संशोधन अधिनियम यानि (CAA) लागू हो जाएगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि- मैं मंच से ये  गारंटी दे रहा हूं कि अगले 7 दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा। आइए विस्तार से जानते हैं कि शांतनु ठाकुर ने क्यों ये बात कही और क्या है CAA कानून और क्यों हुआ था इसका विरोध..

जानिए शांतनु ठाकुर ने क्या कहा-

बंगाल के बनगांव से बीजेपी के लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक सार्वजनिक सभा में भाषण दे रहे थे जब उन्होंने ये बात कही। शांतनु ठाकुर ने कहा, ‘इस राज्य की मुख्यमंत्री कहती हैं, अगर आपके पास वोटर कार्ड है, अगर आपके पास आधार है, तो आप नागरिक हैं। आप मतदान कर सकते हैं। आप एक मतदान करने वाले नागरिक हैं लेकिन यहां मैंने सुना कि हजारों लोगों को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि इन लोगों को मताधिकार से क्यों वंचित किया गया है। ये सभी मतुआ समुदाय से हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं इसलिए उन्हें वोटर कार्ड नहीं दिया जाएगा। ’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं मंच से ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले 7 दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा।

गृहमंत्री ने भी दिया था ऐसा ही बयान-

आपको बता दें कि शांतनु ठाकुर ने सीएए को लेकर जो बयान दिया है उसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बात ही दोहराई है। पिछले साल अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार CAA लागू करेगी और कोई भी इसे रोक नहीं सकता। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था। अमित शाह के बयान को तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमले के तौर पर देखा गया था। क्योंकि ममता बनर्जी लगातार सीएए का विरोध करती रही हैं।

ममता बनर्जी ने लगाया था भेदभाव का आरोप-

आपको बता दें कि गृहमंत्री के बयान के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था, कि वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था "पहले, नागरिकता कार्ड जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी थी, लेकिन अब इसे केवल राजनीति के लिए छीन लिया गया है। वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं।  वे इसे (नागरिकता) किसी को देना चाहते हैं और दूसरों को इससे वंचित करना चाहते हैं। यदि किसी (समुदाय) को नागरिकता मिल रही है तो दूसरे समुदाय को भी मिलनी चाहिए। यह भेदभाव गलत है। 

क्या है नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019-

नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है। ये संसद में पास होने से पहले CAB यानि (Citizenship Amendment Bill) था। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद ये बिल नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) यानि कानून बन गया। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019, जिसे CAA के रूप में भी जाना जाता है, भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधित करता है। यह अधिनियम भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उत्पीड़न के शिकार छह धार्मिक अल्पसंख्यकों, अर्थात् हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है। 

कब पास हुआ था कानून-

गौरतलब है कि11 दिसंबर 2019 में संसद से सीएए पारित किया गया था। इस कानून के पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। 

मुसलमानों को इसमें क्यों नहीं जोड़ा गया-

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बताया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़ित नहीं होता है, जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों का धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जाता है। इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया। हांलाकि, इसके बाद भी वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

क्यों हुआ था CAA का विरोध-

इस कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाने की बात की गई है। इससे भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके बावजूद भी इस तरह का भ्रम फैलाया गया कि ये कानून मुस्लिम विरोधी है। भारतीय मुसलमानों को यह डर दिखाकर भरमाया गया कि इससे उनकी नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है।

इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह समेत सरकार के तमाम मंत्रियों ने बयान भी दिए लेकिन इसके बावजूद देश के कुछ हिस्सों में खूब प्रदर्शन हुए।

इन राज्यों ने CAA के खिलाफ प्रस्‍ताव किया पारित-

इस कानून के पास होने के बाद बड़े पैमाने पर देश के कुछ हिस्सों में प्रदर्शन हुए थे। आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। केरल , पंजाब और राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल ने भी विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।

इसके साथ ही पश्चिम बंगाल ऐसा करने वाला चौथा राज्य बन गया। साथ ही ममता बनर्जी ने घोषणा की थी, "बंगाल में, हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे। 

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