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नेटवर्क हॉस्पिटल का झंझट हुआ खत्म, 30 हजार से ज्यादा अस्पतालों में मिलेगा कैशलेस इलाज

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जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) ने सभी सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के परामर्श से "कैशलेस एवरीवेयर" पहल की घोषणा की है। जिसकी मदद से अब पॉलिसीहोल्डर्स को उनके पॉलिसी नेटवर्क से बाहर के अस्पतालों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। यह पहल भारत में स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली है। 

कैशलेस इलाज में नेटवर्क हॉस्पिटल का झंझट हुआ खत्म 

दरअसल, वर्तमान में अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, कैशलेस सुविधा केवल उन अस्पतालों में उपलब्ध है। जहां से संबंधित बीमा कंपनी के साथ कोई समझौता या टाई-अप है। पॉलिसीहोल्डर किसी अन्य अस्पताल में इलाज कराने पर पहले उन्हें अपने पास से पेमेंट करना पड़ता था। बाद में पॉलिसीहोल्डर उसे बीमा कंपनी के पास क्लेम करता था, जो सत्यापन के बाद पास होता था। साथ ही इलाज कंप्लीट होने और उसके बाद पॉलिसीहोल्डर के द्वारा क्लेम करने में ही कई बार बहुत समय लग जाता था। इससे हेल्थ इंश्योरेंस का एक अहम उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता था, जो कि बीमा कंपनी का मुख्य उद्देश्य पॉलिसी होल्डर को बीमारियों से फाइनेंशियल सिक्योरिटी दिलाना है।

बीमा कंपनियों से परामर्श के बाद लिया निर्णय

जीआईसी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैशलेस ट्रीटमेंट के मामले में नेटवर्क की पाबंदियां हटाने का निर्णय लिया है। काउंसिल ने कैशलेस एवरीव्हेयर इनिशिएटिव की शुरुआत करने से पहले जनरल व हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के साथ परामर्श किया। उसके बाद इस मुहिम की शुरुआत का फैसला लिया गया, ताकि हेल्थ इंश्योरेंस होल्डर किसी भी अस्पताल में बिना पैसों के इंतजाम की चिंता किए बिना अपना इलाज करा सकें। 'कैशलेस एवरीवेयर' पहल के तहत, पॉलिसीधारक अपने द्वारा चुने गए किसी भी अस्पताल में इलाज कराने के पात्र होंगे, और अस्पताल बीमा कंपनी के नेटवर्क में नहीं होने पर भी कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही इस पहल के तहत, बीमा कंपनियों को अस्पतालों के साथ अनुबंध करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, पॉलिसीधारक स्वयं किसी भी अस्पताल में इलाज कराने के लिए स्वतंत्र होंगे। बीमा कंपनी सीधे अस्पताल से बिलों का भुगतान करेगी।

GIC के अध्यक्ष ने दी जानकारी

आपको बता दें कि जीआईसी के अध्यक्ष तपन सिंघल ने बताया कि आज, केवल लगभग 63% ग्राहक कैशलेस दावों का विकल्प चुनते हैं, जबकि अन्य को प्रतिपूर्ति दावों के लिए आवेदन करना पड़ता है। ऐसे अस्पतालों में भर्ती कराया जा सकता है जो उनके बीमाकर्ता/टीपीए नेटवर्क से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि “हमें लगता है कि इससे उनके वित्त पर काफी दबाव पड़ता है और प्रक्रिया लंबी और बोझिल हो जाती है। हम दावों की पूरी यात्रा को एक घर्षण रहित प्रक्रिया बनाना चाहते थे। जिससे न केवल पॉलिसीधारक के अनुभव में सुधार होगा बल्कि सिस्टम में अधिक विश्वास पैदा होगा।” उन्होंने कहा कि कंपनी अधिक ग्राहकों को स्वास्थ्य बीमा चुनने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, धोखाधड़ी को कम करने और क्लेम पास होने में लगने वाले समय को समाप्त करने की दिशा में एक कदम के रूप में भी काम करती है। जो बड़े पैमाने पर उद्योग को परेशान कर रही है और सिस्टम में विश्वास कम कर रही है। 

30 से 40 हजार अस्पतालों पॉलिसीहोल्डर्स करा सकेंगे कैशलेस इलाज

 इस दौरान न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की सीएमडी नीरजा कपूर ने कहा कि यह एक ऐसा प्रयास है जहां पूरा सामान्य बीमा उद्योग एक साथ आया है और हर जगह कैशलेस के सपने को साकार करने के लिए संयुक्त रूप से सहयोग कर रहा है। “कुछ बीमा कंपनियों का करीब 1000 अस्पतालों के साथ गठजोड़ है, जबकि अन्य का 4000 से 5000 अस्पतालों के साथ गठजोड़ हो सकता है। लेकिन यह एक ऐसा प्रयास है जहां 30 से 40,000 अस्पतालों का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र सभी बीमाकर्ताओं को कैशलेस सुविधा प्रदान करने के लिए उपलब्ध होगा।''

 

 

 

 

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