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भारत में बढ़ रही है हीटवेव की मार ! कब सुधरेगा हीट एक्शन प्लान?

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देश में बढ़ती गर्मी और लू (हीटवेव) का खतरा हर साल गहराता जा रहा है। साल 2020 में 530, 2022 में 730 और 2024 में हीटवॉच की रिपोर्ट के अनुसार 17 राज्यों में 733 लोगों की हीटस्ट्रोक से जान चली गई। हाल ही में सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव (SFC) की एक रिसर्च ने इस समस्या को और भी गंभीर बताया है। सवाल उठता है कि क्या सरकार का हीट एक्शन प्लान (HAP) इस बढ़ते संकट से निपटने के लिए पर्याप्त है?

क्या है हीट एक्शन प्लान?

हीट एक्शन प्लान सरकार की वह योजना है, जो भीषण गर्मी के असर को कम करने के लिए बनाई जाती है। इसमें चार प्रमुख बिंदु शामिल होते हैं:

  1. पहले से चेतावनी देना - लोगों को समय रहते हीटवेव के खतरे से अवगत कराना।

  2. राहत के इंतजाम करना - ठंडे पानी की व्यवस्था, काम के समय में बदलाव, और प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध कराना।

  3. लॉन्ग-टर्म उपाय अपनाना - ज्यादा पेड़ लगाना, इमारतों को गर्मी से बचाने के लिए उपयुक्त बनाना।

  4. सरकारी विभागों में तालमेल बैठाना - सभी संबंधित एजेंसियों और विभागों को मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करना।

रिपोर्ट में क्या बताया गया?

नई दिल्ली के सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव (SFC) और विदेशी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कई शहरों में हीट एक्शन प्लान कमजोर और अधूरे हैं। इनमें लंबे समय तक असर दिखाने वाले उपायों की कमी पाई गई। शोधकर्ताओं ने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, फरीदाबाद, ग्वालियर, कोटा, लुधियाना, मेरठ और सूरत जैसे शहरों का अध्ययन किया, जहाँ भीषण गर्मी का खतरा सबसे ज्यादा है।

छोटे इंतजाम, बड़े समाधान की कमी

रिपोर्ट बताती है कि सरकार सिर्फ इमरजेंसी उपायों तक सीमित रह गई है। पानी की सुविधा बढ़ाना, काम के घंटे बदलना और जागरूकता अभियान चलाना जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन लॉन्ग-टर्म समाधान जैसे अधिक हरियाली बढ़ाना, शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को हीट-रेसिलिएंट बनाना और ठंडी छतों (Cool Roofs) जैसी तकनीकों को अपनाने में लापरवाही हो रही है।

हीट एक्शन प्लान को कैसे बनाया जाए अधिक प्रभावी?

विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को हीट एक्शन प्लान को सिर्फ तात्कालिक उपायों तक सीमित न रखकर इसे दीर्घकालिक रणनीति बनाना चाहिए। इसमें निम्नलिखित सुधार जरूरी हैं:

  • ग्रीन कवर बढ़ाना – ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना और ग्रीन स्पेस विकसित करना।

  • शहरी डिज़ाइन में बदलाव – ऐसी इमारतों का निर्माण करना जो गर्मी सहन कर सकें।

  • स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना – समुदायों को तैयार करना और उन्हें लू से बचने के लिए प्रशिक्षित करना

  • नियमित मॉनिटरिंग – हीटवेव की मार झेल रहे क्षेत्रों में नियमित सर्वे और डेटा कलेक्शन करना।

हीट एक्शन प्लान: क्या ये पर्याप्त है?

हीटवेव का खतरा हर साल बढ़ता जा रहा है और भारत में हीट एक्शन प्लान की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार को केवल तात्कालिक समाधान पर ध्यान देने की बजाय लॉन्ग-टर्म रणनीतियों को अपनाना होगा, जिससे देश के लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सके। वरना आने वाले वर्षों में हीटवेव से मरने वालों की संख्या और अधिक बढ़ सकती है।

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