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भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पकड़ी रफ्तार, इतने अंक की हुई वृद्धि

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भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने सितंबर के आठ महीने के निम्नतम स्तर के बाद अक्तूबर में जबरदस्त सुधार दर्ज किया। मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अक्तूबर में 57.5 तक पहुंच गया, जो कि सितंबर में 56.5 पर था। PMI का 50 से ऊपर का स्तर उद्योग में विस्तार और सुधार का संकेत देता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है। यह उछाल परिचालन स्थितियों में तेजी से हुए सुधार को रेखांकित करता है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य में मजबूती का संकेत देता है।

नए ऑर्डरों और अंतर्राष्ट्रीय बिक्री में तेज वृद्धि से मजबूत मांग-

एचएसबीसी की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री के अनुसार अक्तूबर में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। नए ऑर्डरों में आई तेजी और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में उछाल ने उद्योग की मजबूत मांग को दर्शाया है। यह वृद्धि न केवल घरेलू बाजार बल्कि एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अमेरिका जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी दर्ज की गई है, जिससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिली है।

उत्पादों की लॉन्चिंग और विपणन पहलों से बिक्री में आई बढ़त-

भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने नए उत्पादों की सफल शुरुआत और विपणन पहलों के माध्यम से अपनी बिक्री को और भी मजबूती दी है। अक्तूबर में हुए इस सुधार ने देश की उत्पादन क्षमता को नई दिशा दी है, जो पिछले डेढ़ साल की सबसे धीमी वृद्धि से काफी बेहतर है। पैनल के सदस्यों के अनुसार, मजबूत अंतरराष्ट्रीय मांग और नए अनुबंधों में बढ़ोतरी से सेक्टर का प्रदर्शन और बेहतर हुआ है।

लागत में वृद्धि के बावजूद रोजगार के अवसरों में इजाफा-

अक्तूबर के PMI आंकड़ों के अनुसार, उत्पादन लागत में भी बढ़ोतरी देखी गई। माल उत्पादकों ने नए कर्मचारियों की भर्ती की दिशा में उत्साह दिखाया है, जिससे बढ़ती सामग्री लागत के बावजूद रोजगार में वृद्धि हुई है। इनपुट कीमतों और बिक्री शुल्क में वृद्धि के चलते मुद्रास्फीति के दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद क्षेत्र ने सुधार की राह पकड़ी।

आर्थिक पुनरुत्थान की दिशा में भारत की मजबूत प्रगति-

अक्तूबर का PMI आंकड़ा भारत की अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन और मांग में सुधार ने बाजार में स्थिरता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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