सुनहरे भविष्य की तलाश में अपने वतन से दूर गए भारतीय प्रवासियों की कहानी मेहनत, अनुकूलता और कौशल की अद्भुत मिसाल है। इन भारतीयों ने विदेशी धरती पर न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि वहां के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा बन गए।
दुनिया में फैले भारतीय प्रवासियों का नेटवर्क-
आज भारतीय प्रवासी दुनिया के हर कोने में फैले हुए हैं। 150 साल पहले गन्ने की खेती और रेलवे पटरियां बिछाने वाले ये प्रवासी अब वैश्विक कंपनियों के सीईओ, इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ बन चुके हैं। आधुनिक प्रवासी भारतीयों में नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI) और पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO) शामिल हैं, जो अमेरिका, कनाडा, यूके, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अरब देशों में बसे हैं।
तीन चरणों में भारतीय प्रवास-
1947 में आजादी के बाद से भारतीय प्रवासियों का नया दौर शुरू हुआ। 70-80 के दशक में आईआईटी और आईआईएम के पेशेवर ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप की ओर आकर्षित हुए। 20वीं सदी के अंत में गल्फ देशों में भारतीय प्रवासियों का आगमन शुरू हुआ, जिन्होंने इंजीनियरिंग और आईटी कौशल के दम पर वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।
ग्लोबल मंच पर भारतीय नेतृत्व-
आज भारतीय मूल के व्यक्तियों ने गूगल के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, और पेप्सीको की पूर्व सीईओ इंद्रा नूई जैसे नामचीन पदों पर अपनी जगह बनाई है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और कनाडा की प्रधानमंत्री पद की दावेदार अनीता आनंद जैसे उदाहरण भारतीय प्रवासियों की सफलता को दर्शाते हैं।
प्रवासी भारतीयों का आर्थिक योगदान-
विदेशों में बसे भारतीय न केवल वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, बल्कि अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत में अपने परिवारों को भी भेजते हैं। 2024 में भारत को प्रवासी भारतीयों से 129 अरब डॉलर प्राप्त हुए, जो विश्व में किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है। यह धनराशि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है।
सॉफ्ट डिप्लोमेसी में प्रवासी भारतीयों की भूमिका-
भारत के प्रवासी भारतीय सॉफ्ट डिप्लोमेसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अमेरिकी-भारतीय समुदाय ने 2008 में यूएस-इंडिया सिविलियन न्यूक्लियर डील को पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की पैरवी में भी ये प्रवासी समुदाय बड़ा योगदान देता है।
भारत और विश्व के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक पुल की नींव-
प्रवासी भारतीयों की ये गाथा न केवल उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी है, बल्कि यह भारत और विश्व के बीच एक मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक पुल की नींव भी है। उन्होंने विदेशी जमीन पर अपनी पहचान बनाई और भारत को विश्व मंच पर गौरवान्वित किया।
By Ankit Verma