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विदेशी जमीन पर बसाया अपना 'भारत', जानिए प्रवासी भारतीयों की असाधारण गाथा...

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हजारों मील दूर, बिहार, बंगाल और यूपी के मेहनतकश हाथों ने विदेशी धरती पर अपनी लगन और जज्बे से एक नया 'भारत' बसाया। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस का भव्य उद्घाटन करते हुए प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उनकी उपलब्धियों को सराहा और भारत की वैश्विक सफलता और उज्ज्वल भविष्य की संभावनाओं पर जोर दिया।

त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति मुख्य अतिथि

इस बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन में त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू मुख्य अतिथि हैं। यह उनके जैसे कई प्रवासी भारतीयों की सफलता की कहानी का प्रतीक है, जिन्होंने विदेशी धरती पर भारतीय संस्कृति और मूल्यों को जीवित रखा।

प्रवासी भारतीय दिवस 2025 की थीम- 

इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस की थीम 'विकसित भारत के लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान' है। पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों से अपील की कि वे भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमोट करें और भारत की समृद्धि में अपनी भूमिका को और अधिक सशक्त बनाएं।

भारत की कुशल प्रतिभा का योगदान-

प्रधानमंत्री ने भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाले दशकों में भारत दुनिया की कुशल प्रतिभा की मांग को पूरा करने में अग्रणी रहेगा। भारत की युवा और कुशल जनसंख्या विश्व के हर कोने में अपनी छाप छोड़ेगी।

भारत के सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने की अपील-

प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया कि वे भारत के मेट्रो शहरों से आगे बढ़कर छोटे शहरों और गांवों में भी जाएं। वहां की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जानें और अपने बच्चों को भी इस अनुभव का हिस्सा बनाएं।

विदेश में रहते हुए भारत को प्रमोट करने की अपील-

पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया कि वे अपने मेजबान देशों में भारत का सही इतिहास और संस्कृति फैलाएं। उन्होंने 'स्टडी इन इंडिया' प्रोग्राम को बढ़ावा देने और 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को अपनाने की अपील की।

प्रवासी भारतीय दिवस: एक खास अवसर की कहानी-

प्रवासी भारतीय दिवस हर साल 9 जनवरी को मनाया जाता है। इसका ऐतिहासिक महत्व इस दिन से जुड़ा है जब 1915 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। यह दिन प्रवासी भारतीयों को उनके देश से जोड़ने के लिए विशेष रूप से समर्पित है। इस दिवस की शुरुआत 9 से 11 जनवरी 2003 के बीच राजधानी दिल्ली में आयोजित पहले प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन से हुई थी, जिसका उद्घाटन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

प्रवासी भारतीय दिवस का उद्देश्य और महत्व-

प्रवासी भारतीय दिवस का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बसे अप्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ना और उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करना है। इस दिवस के जरिए अप्रवासी भारतीयों को भारत के प्रति उनकी भावनाओं और सोच को व्यक्त करने का मंच मिलता है। यह कार्यक्रम भारतवंशियों के बीच नेटवर्क बनाने और युवा पीढ़ी को भी इस कड़ी से जोड़ने का प्रयास करता है।

प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम और सम्मान-

यह तीन दिवसीय कार्यक्रम विभिन्न सत्रों और चर्चाओं के साथ आयोजित किया जाता है, जहां प्रवासी भारतीयों की विशिष्ट उपलब्धियों को मान्यता दी जाती है। इस अवसर पर उन्हें 'प्रवासी भारतीय सम्मान' से सम्मानित किया जाता है। यह सम्मान उनके द्वारा अपने क्षेत्र में किए गए अद्वितीय योगदान के लिए दिया जाता है।

भारत और प्रवासी भारतीयों का विशेष संबंध-

यह दिवस भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच के गहरे संबंध को मजबूत करने का कार्य करता है। यह न केवल उनके योगदान को मान्यता देता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनता है। प्रवासी भारतीय दिवस, भारत की प्रगति में अप्रवासी भारतीयों के योगदान को उजागर करने और उन्हें देश के विकास में सहभागी बनाने का एक विशेष अवसर है।

विश्वभर में भारतीय प्रवासी: एक नजर

1. अमेरिका (USA)

  • NRI: 20,77,158
  • पर्सन ऑफ इंडियन ऑरिजिन (PIO): 33,31,904
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 54,09,062

2. संयुक्त अरब अमीरात (UAE)

  • NRI: 35,54,274
  • PIO: 14,574
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 35,68,848

3. मलेशिया

  • NRI: 1,63,127
  • PIO: 27,51,000
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 29,14,127

4. कनाडा

  • NRI: 10,16,274
  • PIO: 18,59,680
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 28,75,954

5. सऊदी अरब

  • NRI: 24,60,603
  • PIO: 2,906
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 24,63,509

6. म्यांमार

  • NRI: 2,660
  • PIO: 20,00,000
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 20,02,660

7. यूनाइटेड किंगडम (UK)

  • NRI: 3,69,000
  • PIO: 14,95,318
  • कुल ओवरसीज इंडियन: 18,64,318

भारतीय प्रवासियों का वैश्विक योगदान-

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे भारतीय प्रवासियों ने अपने देशों में कितनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रवासी भारतीय न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रख रहे हैं, बल्कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं। चाहे वह अमेरिका हो या म्यांमार, हर जगह भारतीय समुदाय का प्रभाव साफ नजर आता है।

विदेशी जमीन पर बसाया अपना 'भारत': प्रवासी भारतीयों की असाधारण गाथा

सुनहरे भविष्य की तलाश में अपने वतन से दूर गए भारतीय प्रवासियों की कहानी मेहनत, अनुकूलता और कौशल की अद्भुत मिसाल है। इन भारतीयों ने विदेशी धरती पर न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि वहां के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा बन गए।

दुनिया में फैले भारतीय प्रवासियों का नेटवर्क-

आज भारतीय प्रवासी दुनिया के हर कोने में फैले हुए हैं। 150 साल पहले गन्ने की खेती और रेलवे पटरियां बिछाने वाले ये प्रवासी अब वैश्विक कंपनियों के सीईओ, इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ बन चुके हैं। आधुनिक प्रवासी भारतीयों में नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI) और पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO) शामिल हैं, जो अमेरिका, कनाडा, यूके, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अरब देशों में बसे हैं।

तीन चरणों में भारतीय प्रवास-

1947 में आजादी के बाद से भारतीय प्रवासियों का नया दौर शुरू हुआ। 70-80 के दशक में आईआईटी और आईआईएम के पेशेवर ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप की ओर आकर्षित हुए। 20वीं सदी के अंत में गल्फ देशों में भारतीय प्रवासियों का आगमन शुरू हुआ, जिन्होंने इंजीनियरिंग और आईटी कौशल के दम पर वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।

ग्लोबल मंच पर भारतीय नेतृत्व-

आज भारतीय मूल के व्यक्तियों ने गूगल के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, और पेप्सीको की पूर्व सीईओ इंद्रा नूई जैसे नामचीन पदों पर अपनी जगह बनाई है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और कनाडा की प्रधानमंत्री पद की दावेदार अनीता आनंद जैसे उदाहरण भारतीय प्रवासियों की सफलता को दर्शाते हैं।

प्रवासी भारतीयों का आर्थिक योगदान-

विदेशों में बसे भारतीय न केवल वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, बल्कि अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत में अपने परिवारों को भी भेजते हैं। 2024 में भारत को प्रवासी भारतीयों से 129 अरब डॉलर प्राप्त हुए, जो विश्व में किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है। यह धनराशि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है।

सॉफ्ट डिप्लोमेसी में प्रवासी भारतीयों की भूमिका-

भारत के प्रवासी भारतीय सॉफ्ट डिप्लोमेसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अमेरिकी-भारतीय समुदाय ने 2008 में यूएस-इंडिया सिविलियन न्यूक्लियर डील को पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की पैरवी में भी ये प्रवासी समुदाय बड़ा योगदान देता है।

भारत और विश्व के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक पुल की नींव-

प्रवासी भारतीयों की ये गाथा न केवल उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी है, बल्कि यह भारत और विश्व के बीच एक मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक पुल की नींव भी है। उन्होंने विदेशी जमीन पर अपनी पहचान बनाई और भारत को विश्व मंच पर गौरवान्वित किया।

By Ankit Verma 

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