जेड मोड़ टनल प्रोजेक्ट की कहानी 2012 में शुरू हुई जब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) को इसका जिम्मा सौंपा गया। लेकिन बाद में इसे प्राइवेट कंपनी के हवाले किया गया। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अगस्त 2023 तक चालू होना था, लेकिन कोरोना महामारी ने निर्माण में देरी कर दी। इसी बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने से उद्घाटन कुछ और समय के लिए टल गया। आखिरकार, 12 साल की लंबी यात्रा के बाद, इस टनल का निर्माण पूरा हुआ। 2700 करोड़ रुपये की लागत से बने इस प्रोजेक्ट में 36 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में खर्च हुए।
समुद्र तल से 5652 फीट की ऊंचाई पर बनी-
यह टनल समुद्र तल से 2600 मीटर यानी 5652 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है, जो मौजूदा जेड शेप सड़क से करीब 400 मीटर नीचे स्थित है। इस टनल को न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से बनाया गया है, जो इसे भूस्खलन और एवलांच से सुरक्षित बनाता है। NATM तकनीक के तहत, टनल बनाने के दौरान पहाड़ों की मिट्टी और जलवायु का गहन अध्ययन किया जाता है, जिससे निर्माण के दौरान पहाड़ के बेस को नुकसान न पहुंचे और हादसे से बचा जा सके।
2028 में एशिया की सबसे लंबी टनल बनने का खिताब-
इस टनल के आगे बन रही जोजिला टनल के 2028 में पूरा होने के बाद, यह 12 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 2.15 किलोमीटर की सर्विस रोड भी शामिल होगी। इसके बाद यह एशिया की सबसे लंबी टनल बन जाएगी, जो बालटाल, कारगिल और लद्दाख को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। फिलहाल, हिमाचल प्रदेश में स्थित 9.2 किलोमीटर लंबी अटल टनल इस खिताब की मालिक है, जो मनाली को लाहौल-स्पीति से जोड़ती है।
सेना की रणनीतिक ताकत में बढ़ोतरी-
यह टनल सेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते सेना का सामान और हथियार LAC तक पहुंचाना मुश्किल हो जाता है, जिससे आर्मी पूरी तरह से एयरफोर्स पर निर्भर हो जाती है। लेकिन इस टनल के शुरू होने से सेना कम खर्च में सामान पहुंचा सकेगी, साथ ही चीन से लगी LAC से लेकर पाकिस्तान बॉर्डर तक बटालियन की मूवमेंट भी सुगम होगी।
आतंकी हमले की काली छाया-
इस टनल के निर्माण के दौरान, 20 अक्टूबर 2024 को आतंकियों ने गगनगीर में मजदूरों के कैंप पर हमला किया था। इस हमले में निर्माण कंपनी के 6 मजदूर और एक स्थानीय डॉक्टर सहित कुल 7 लोग मारे गए थे। यह घटना इस प्रोजेक्ट की चुनौतियों और सुरक्षा की गंभीरता को रेखांकित करती है। अब, यह टनल न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धि है बल्कि सामरिक और आर्थिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।