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यूं धीरे-धीरे बढ़ा भारत-ऑस्ट्रिया की दोस्ती का सिलसिला, अब स्टार्टअप ब्रिज के जरिए करीब आ रहे हैं दोनों देश

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मध्य यूरोप में स्थित एक देश जिसकी आजादी में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नौ राज्यों का संघ ऑस्ट्रिया जिसके भारत के साथ बहुत ही मधुर संबंध रहे हैं। फिर उन्ही संबंधो को ताजा करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 41 साल के अंतराल के बाद ऑस्ट्रिया की ऐतिहासिक यात्रा पर गए हुए हैं। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

भारत और ऑस्ट्रिया की दोस्ती के 75 साल हुए पूरे-

पीएम मोदी ने कहा कि 'मेरी ये यात्रा ऐतिहासिक भी है और विशेष भी है। 41 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया है। ये भी सुखद संयोग है कि ये यात्रा उस समय हो रही है, जब हमारे आपसी संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं। पीएम मोदी और चांसलर नेहमर के बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। दोनों ही नेताओं ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं पर चर्चा की। ऑस्ट्रिया और भारत के बीच कूटनीतिक और सांस्कृतिक रिश्ते समय के साथ मजबूत होते गए हैं। दोनों देशों के बीच का संबंध राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में फैला हुआ है। 1949 में स्थापित कूटनीतिक संबंधों ने कई महत्वपूर्ण मोड़ लिए हैं, जो आज दोनों देशों के मजबूत साझेदारी में परिवर्तित हो चुके हैं।

धीरे-धीरे बढ़ा दोनो देशों के बीच दोस्ती का सफर-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह विदेश यात्रा 9-10 जुलाई को एक महत्वपूर्ण समय पर हो रही है, जब भारत और ऑस्ट्रिया के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। साल 1949 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। इसके बाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1955 में पहली बार ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा की और फिर 1983 में दूसरी बार ऑस्ट्रिया गई थीं। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ, प्रधानमंत्री मोदी की वर्तमान यात्रा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने और विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।

दोनो देशों के बीच लगातार होती रहीं यात्राएं-

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच द्विपक्षीय संबंध हमेशा से मजबूत और स्थिर रहे हैं। साल 1980 में ऑस्ट्रियाई चांसलर ब्रूनो क्रेस्की की भारत यात्रा और 1984 में तत्कालीन चांसलर फ्रेड सिनोवाट्ज़ की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और भी मजबूत किया। इस दौरान, भारत और ऑस्ट्रिया के नेता, मंत्री और सांसद दोनों देशों के संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए लगातार मिलते रहे हैं। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा नहीं किया, लेकिन राष्ट्रपति स्तर पर राजनयिक यात्राएं जारी रहीं। 1999 में राष्ट्रपति के.आर. नारायणन और 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की। इसके साथ ही, 2005 में ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति हेंज फिशर भारत आए और 2010 में ऑस्ट्रिया के उप-चांसलर जोसेफ प्रोल भारत यात्रा पर आए। इन यात्राओं ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूती दी है और दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को और भी बढ़ावा दिया है।

कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा-

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है, जिसमें व्यापार, तकनीकी सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रमुख होंगे। यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक संबंधों को सम्मानित करने का अवसर है, बल्कि भविष्य में सहयोग के नए रास्ते खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच रिश्ते समय के साथ और मजबूत होते गए हैं, और यह यात्रा उन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

स्टार्टअप ब्रिज को मिल सकती है रफ्तार-
इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से जहां दोनों देशों के संबंधों को और बढ़ावा मिलने की संभावना है, वहीं भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज को और भी रफ्तार मिलने की उम्मीद है। स्टार्टअप ब्रिज को इसी साल फरवरी में दोनों देशों ने ऑस्ट्रिया के श्रम और अर्थव्यवस्था मंत्री मार्टिन मार्टिन कोचर की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में शुरू किया था। इसका लक्ष्य भारत और ऑस्ट्रिया के बीच स्टार्टअप्स को लेकर ज्ञान और सहयोग को साझा करना है। इसके तहत जून-2024 में 20 भारतीय स्टार्टअप के प्रतिनिधियों ने वियना में एक बहुत बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।

आर्थिक सहयोग-

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच आर्थिक सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और निवेश संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऑस्ट्रिया के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे इंजीनियरिंग, निर्माण, और सूचना प्रौद्योगिकी, में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति देखी जा सकती है। वहीं, भारत में भी ऑस्ट्रियाई कंपनियां अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापारिक वार्ता ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के नए अवसरों को जन्म दिया।

सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध-

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक संबंध भी गहरे हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारतीय संस्कृति, कला और योग का ऑस्ट्रिया में विशेष महत्व है। इसके अलावा, दोनों देशों के शैक्षिक संस्थानों के बीच सहयोग भी महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे शैक्षिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं।

सुरक्षा और रक्षा सहयोग-

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच रक्षा सहयोग भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा मामलों में संवाद होते रहते हैं, जिसमें आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय अपराध जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाती है। 2022 में दोनों देशों के बीच हुई रक्षा वार्ता ने सुरक्षा सहयोग को और मजबूत किया।

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