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संसद की सुरक्षा चूक पर हंगामा जारी, अब तक 141 विपक्षी सांसद निलंबित, ये परंपरा है पुरानी

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(Special Story) संसद में हुई सुरक्षा चूक का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी सांसद इस मुद्दे को लेकर संसद को चलने नहीं दे रहे हैं। इसी लिए उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए उनको सस्पेंड किया जा रहा है। आज संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन यानी मंगलवार को भी विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर सदन के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने सदन से लेकर सदन के गेट और परिसर में नारेबाजी और जोरदार प्रदर्शन किया। इस कार्रवाई से नाराज कुछ सांसदों को कहना है कि ऐसी कार्रवाई संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ क्या ऐसी कार्रवाई इससे पहले सही में नहीं हुई है। आइए विस्तार से जानते हैं.. 

इतने बार संसद की कार्यवाही हुई स्थगित-

आपको बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही आज सुबह से 3 बार स्थगित की गई है। इसके बाद लोकसभा से विपक्ष के 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इस तरह से अब तक कुल 141 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। अब ये सांसद सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। यही नहीं, लोकसभा की प्रश्नसूची से 27 सवाल भी हटा दिए गए हैं। ये सभी सवाल निलंबित सांसदों की तरफ से पूछे गए थे।
 
किसने किया राज्यसभा के सभापति का अपमान-

आज सुबह संसद के गेट पर बहुत ही अजीब नज़ारा दिखाई दिया। जब टीएमसी के निलंबित सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद के गेट पर राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की। इस दौरान, राहुल गांधी  समेत कई विपक्षी नेता मौजूद थे। टीएमसी सांसद के इस अमरियादित कार्य का कई सांसद वीडियो बनाते भी नज़र आए। 

राज्यसभा सभापति ने जताई नाराजगी-

टीएमसी के निलंबित सांसद कल्याण बनर्जी के इस कारनामें पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जाहिर की है। जगदीप धनखड़ ने कहा है कि एक 'एक सांसद मजाक बना रहे थे और एक बड़े नेता उसका वीडियो शूट कर रहे थे। उन्होंने सदन में कहा कि एक सांसद ने टीवी पर गिरावट की हद पार कर दी। उन्होंने कहा कि हद होती है। चैनल के सामने सदन की मर्यादा को तार-तार किया गया है। भगवान इन्हें सद्बुद्धि दे। धनखड़ ने कहा कि यह बहुत शर्मनाक, अस्वीकार्य है और साथ ही  यह सदन का अपमान है।
आपको बता दें कि हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही  को दोपहर 2 बजे तक स्थगित किया गया था। गौरतलब हो कि संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर विपक्ष लगातार  सरकार पर हमलावर है। विपक्ष की मांग है कि सरकार इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करे। वहीं सरकार विपक्ष पर इसे लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रही है।

18 दिसंबर तक 92 सांसद किए गए निलंबित-

आपको बता दें कि सोमवार यानी 18 दिसंबर को कुल 78 सांसदों (लोकसभा-33, राज्यसभा-45) को निलंबित किया गया था। आजादी के बाद पहली बार एक ही दिन में इतने सांसद निलंबित किए गए हैं। इससे पहले 1989 में राजीव सरकार में 63 सांसद निलंबित किए गए थे। पिछले हफ्ते भी 14 सांसदों को निलंबित किया गया था।  
आइए आपका बताते हैं कि सांसदों के निलंबन पर नेताओ का क्या कहना है.....

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ-

बसपा सांसद श्याम सिंह यादव ने कहा कि 'भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किया गया। इससे पता चलता है कि सत्ताधारी पार्टी काफी अहंकारी हो गई है। वह सत्ता के लालची हो गए हैं और अपनी सारी समझ खो चुके हैं।

यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है-

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर भाजपा पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। खरगे ने कहा कि 'यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं  है, यह संसद का अपमान है। वह हमें डराने के लिए सांसदों को निलंबित कर रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री संसद नहीं आना चाहते। वह वाराणसी और अहमदाबाद से भाषण दे रहे हैं।'

संसदीय लोकतंत्र से धोखा-

लोकसभा से मंगलवार को निलंबित किए गए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि 'यह साफ है कि वह विपक्ष मुक्त लोकसभा चाहते हैं और ऐसा ही वह राज्यसभा में करेंगे। दुर्भाग्य से हमें भारत में लोकतांत्रिक संसद के लिए श्रद्धांजलि लिखनी शुरू करनी होगी। आज हमने अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए विरोध प्रदर्शन किया और जो भी वहां मौजूद था, उन्हें पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। 

सांसदों के निलंबन की प्रक्रिया है पुरानी-

सांसदों के निलंबन का पहला उदाहरण 1963 में देखने को मिला था। इसके बाद 1989 में सबसे बड़ी निलंबन कार्रवाई हुई थी। राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। इसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को  हंगामा करने पर निलंबित किया गया था। वहीं जनवरी 2019 में लोकसभा स्पीकर  सुमित्रा महाजन ने  2 दिन में 45 विपक्षी सांसदों  को सस्पेंड किया था। 

2014 में कांग्रेस ने अपने ही सांसद को किया था सस्पेंड-

13 फरवरी 2014 को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने 18 सांसदों को सस्पेंड किया था। सस्पेंड हुए कुछ सांसद अलग तेलंगाना बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे। जबकि कुछ अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इस दौरान बहुत ही अप्रत्याशित घटना देखने को मिली थी, क्योंकि  सस्पेंड होने वाले एक सांसद एल राजगोपाल कांग्रेस के थे। राजगोपाल पर सदन में पेपर स्प्रे का प्रयोग करने का आरोप लगा था।

किस नियम के तहत स्पीकर करता है कार्रवाई-

संसद को चलाने के लिए नियमों की एक पूरी किताब होती है। सदन को इसी रूल बुक के हिसाब से चलाया जाता है। इसी बुक के रूल 373 के तहत यदि लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है या  बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकता है।

ज्यादा अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए स्पीकर रूल 374 और 374 ए के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। कांग्रेस के सांसदों पर रूल 374 के तहत ही कार्रवाई की गई है। ऐसे में इस रूल के बारे में जानते हैं… लोकसभा स्पीकर उन सांसदों के नाम का ऐलान कर सकते हैं, जिसने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्लंघन किया हो और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई हो।
जब स्पीकर ऐसे सांसदों के नाम का ऐलान करते हैं तो वह सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं। प्रस्ताव में हंगामा करने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसे सस्पेंड करने की बात कही जाती है। इसमें सस्पेंशन की अवधि का जिक्र होता है। यह अवधि अधिकतम सत्र के खत्म होने तक हो सकती है। सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्‍ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है।

राज्यसभा में कैसे होते हैं सांसद निलंबित-

आपको बता दें कि लोकसभा की तरह की राज्यसभा को भी चलाने के लिए एक रूल बुक होती है जिसके हिसाब से राज्यसभा का संचालन होता है।  रूल 355 के तहत सभापति किसी भी सांसद को जिसका व्यवहार सदन के लिए खराब हो। और वह जानबूध कर सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहा हो उसे तुरंत बाहर जाने के लिए कह सकते हैं। यानी सांसद उस दिन की कार्यवाही से सस्पेंड किया जा सकता है। रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता है जिसने जानबूझ कर नियमों की अनदेखी की हो। ऐसी स्थिति में सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकता है। यह सस्पेंशन चालू सत्र तक के लिए हो सकता है।  सदन दूसरे प्रस्ताव के जरिए सांसद के सस्पेंशन को खत्म कर सकता है।
लोकसभा स्पीकर से अलग राज्यसभा के सभापित के पास किसी सांसद को सस्पेंड करने की शक्ति नहीं होती है। राज्यसभा में सांसदों पर सस्पेंशन की कार्रवाई सदन करता है। 

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