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(Special Story) अच्छे स्वास्थ को जीवन का अनमोल खजाना कहा जाता है क्योंकि अगर हमारा स्वास्थ अच्छा होता है तो, जीवन को और अधिक जीवंत तरीके से जिया जा सकता है। इसीलिए हर किसी के लिए स्वास्थ पहली प्राथमिकता होती है और हर व्यक्ति इसके लिए सजग भी रहता है। लेकिन हमारी सेहत के प्रति सजगता में सबसे बड़े हिस्सेदार होते हैं, जो हमारी हर छोटी-बड़ी बीमारियों को ठीक करते हैं। शायद इसलिए ही इन्हें भगवान का दर्जा भी मिला हुआ है। कोई भी समाज डॉक्टर के बिना अधूरा है। आज के दौर में तो इनकी भूमिका कई ज्यादा व्यापक और महत्वपूर्ण हो गई है। उनके काम, समर्पण, और सेवाओं को सराहना के लिए देश में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने की शुरुआत एक महान डॉक्टर की याद में हुई थी, जिनका नाम डॉ. बिधान चंद्र राॅय था जो बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री भी थे। दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीख को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है वहीं भारत में 1 जुलाई को यह दिन मनाते हैं। अब सवाल उठता है कि यह दिन एक जुलाई को ही क्यों मनाते हैं, तो इस लेख में विस्तार से जानेंगे-
एक जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?
भारत में इस दिन को 1 जुलाई को सेलिब्रेट किया जाता है, क्योंकि 1 जुलाई 1882 में भारत के प्रसिद्ध फिजीशियन और राजनेता डॉ. बिधान चंद्र राय का जन्म हुआ था और उनका निधन भी 1 जुलाई को ही साल 1962 में हुआ था। चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत की गई थी। राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे का आयोजन भारतीय डॉक्टर्स डे के रूप में पहली बार 1991 में किया गया था। आखिर एक राजनेता और चिकित्सक की याद में यह दिवस मनाने का कारण क्या है और यह जानने की जानने की भी जरूरत है कि ये खास व्यक्ति कौन हैं?
एक नजर विधान चंद्र रॉय के जीवन पर-
महान चिकित्सक डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय का जन्मदिन 1 जुलाई 1882 को हुआ था। इतना ही नहीं एक जुलाई 1962 को ही डॉ बिधान का निधन हुआ था। उनका जन्म बिहार में पटना के बांकीपुर में हुआ था। उनके पिता प्रकाश चंद्र रॉय एक्साइज इंस्पेक्टर थे। उनकी माता एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। डॉक्टर रॉय पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनका प्रारंभिक जीवन अभावों में बीता। इन्होंने पटना कॉलेजिएट स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और इंटरमीडिएट की पढ़ाई कोलकाता से और पटना विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। डिग्री लेने के बाद मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास की और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने सबसे पहले कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, बाद में कैंपबेल मेडिकल स्कूल और फिर कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में पढ़ाया. वे इस कॉलेज के अध्यक्ष एवं जीवन पर्यंत प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन रहे. कलकत्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालयों ने डॉ रॉय को डीएस-सी की उपाधि प्रदान की थी।
साल 1925 में राजनीति में ली एंट्री-
बिधान चंद्र रॉय ने 1925 में राजनीति में प्रवेश किया. वे बंगाल विधान परिषद के चुनाव में बैरकपुर निर्वाचन क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और सुरेंद्रनाथ बनर्जी जैसे दिग्गज राजनेता को पराजित किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में जेल भी गए। सालों तक कलकत्ता कॉर्पोरेशन के सदस्य रहे और 1931 से 1933 तक कलकत्ता के मेयर के रूप में कार्य किया। 15 अगस्त, 1947 को उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया, पर उन्होंने स्वीकार नहीं किया था. मेयर यानी महापौर के पद पर रहते हुए उन्होंने मुफ्त शिक्षा, मुफ्त चिकित्सा सहायता, बेहतर सड़कें, रोशनी और जल आपूर्ति के लिए काफी काम किया।
बंगाल के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
बीसी रॉय उन कुछ नेताओं में से एक थे जिन पर जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल भरोसा करते थे। आजादी के बाद कांग्रेस उन्हें बंगाल का मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी. लेकिन बीसी रॉय डॉक्टर के तौर पर समाज सेवा करना चाहते थे. उनका मन तब बदला जब महात्मा गांधी ने उन्हें समझाया। 1950 को रॉय ने पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
जीवन के आखिरी समय तक रहे बंगाल के सीएम-
23 जनवरी, 1948 को बिधान चंद्र रॉय बंगाल के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए और जीवन के अंतिम क्षण तक इस पद पर बने रहे। 1962 में उनकी मृत्यु तक वो (1952, 1957 और 1962 में निर्वाचित) बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। बिधान रॉय को आधुनिक पश्चिम बंगाल का निर्माता माना जाता है। डॉक्टर रॉय ने मानवता की सेवा में जो अभूतपूर्व योगदान दिया उसको मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत की थी। ब्रिटिश जर्नल ने दुनिया का सबसे बेस्ट फिजिशियन और चेस्ट एक्सपर्ट बताया था। वे चेहरा देखकर बीमारी बता देते थे. नेताजी सुभाष के टीबी के लक्षण पर इन्होंने ही ध्यान दिलाया था।
डॉ. रॉय कम पैसों में भी करते थे इलाज
हमारे चिकित्सकों और चिकित्सा पेशेवरों ने हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉक्टर रॉय अपने खाली समय में भी डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय लोगों का बेहद कम फीस में इलाज करते थे। मेडिकल स्टाफ न होने पर नर्स का काम भी वो खुद कर लिया करते थे। जादवपुर टीबी हॉस्पिटल, चितरंजन सेवा सदन, कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन (कॉलेज) और चितरंजन कैंसर हॉस्पिटल उन्हीं की देन हैं।
डॉ. रॉय ने स्वराज और स्वास्थय के बीच बताया संबंध-
स्वतंत्रता संग्राम में डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे। उन्होंने जो स्वराज और स्वास्थ्य के बीच संबंध बताया, उसे आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा था,’जब तक लोग शरीर और मन से स्वस्थ व सशक्त नहीं होंगे, तब तक स्वराज स्वप्न ही रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि शरीर और मन तब तक सशक्त नहीं होगा जब तक माताओं के पास बच्चों की देखभाल करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य और बुद्धिमत्ता नहीं होगी।
स्वास्थ्य सेवाओं का किया व्यापक विस्तार-
डॉक्टर बीसी रॉय ने चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक विस्तार किया। उनके नेतृत्व में, राज्य में स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 1956 तक बढ़कर 271 हो गई। 1947 में इनकी संख्या सिर्फ 70 थी। इसके अलावा, क्षेत्र में मलेरिया से निपटने के लिए 16 राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण इकाइयां स्थापित की गईं। उस दौर में पश्चिम बंगाल में प्रति एक हजार जनसंख्या पर अस्पताल के बिस्तरों की संख्या देश में सबसे ज्यादा थी।
क्यों इतना महत्वपूर्ण है ये अवसर
हमारे देश में स्वास्थ्य को एक सेवा के रूप में देखा जाता है और हमारे चिकित्सा पेशेवरों ने अथक और निस्वार्थ भाव से काम करके अपने देश की सेवा भाव एवं सेवा परमो धर्म की परंपरा का पालन किया है। राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस 2024 का अवसर महत्वपूर्ण है जब हम स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए हमारे डॉक्टरों को सम्मानित करते हैं , हम स्वास्थ्य के समर्पणी योद्धाओं को सलामी अर्पित करते हैं, इनकी जादुई और समर्पित सेवाओं ने हमें स्वास्थ्य के सम्पूर्ण विकास में मदद की है, और आज उनके साथ हम उनकी महानता को मानते हैं, डॉक्टरों का यह समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है, और इस दिवस पर हम उनके योगदान को हर संभव तरीके से सलामी अर्पित करते हैं। इस दिन पर विभिन्न कार्यक्रम होते हैं जहां स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सम्मानित किया जाता है और उनकी प्रशंसा की जाती है, डॉक्टर्स डे को डॉक्टर्स के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जो समुदाय के लिए चिकित्सा सेवाए प्रदान करते हैं राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे का महत्व यह है कि यह डॉक्टरों के योगदान को सम्मानित करता है और समाज के स्वास्थ्य सेवाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है, इस दिन डॉक्टर्स को उनके समर्पण, संघर्ष और उद्दाम पर गर्व महसूस होता है। डॉक्टर्स डे को मनाकर हम उन व्यक्तियों को याद करते हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना हमारी सेवा में लगे रहते हैं, यह एक अवसर है जब हम उन्हें धन्यवाद देते हैं और उनके साथ हमारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को सुलझाने में उनका सहारा लेते हैं।
डॉक्टरों की अटूट प्रतिबद्धता सम्मान के काबिल-
स्वास्थ्य और उपचार के प्रति डॉक्टरों की अटूट प्रतिबद्धता के लिए उनका आभार व्यक्त करने का यह एक खास अवसर है। यह खास दिन डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के योगदान का सम्मान करता है साथ ही उनके निस्वार्थ भाव से लोगों को ठीक करने। उन्हें आराम देने और जीवन बचाने के लिए धन्यवाद करता है। चाहे वह रेगुलर चेकअप हो या किसी की जान बचाने के लिए कि गई सर्जरी, डॉक्टर हमेशा हमारी देखभाल के लिए मौजूद रहते हैं।
क्या है इस दिवस के लिए 2024 की थीम?
नेशनल डॉक्टर्स डे 2024 का थीम "हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स" है. यह थीम डॉक्टरों की अपने मरीजों के प्रति करुणा और समर्पण पर जोर देती है। डॉक्टर की बात सुनकर किसी भी बीमार मरीज और किसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को उनकी बात सुनकर सुकून मिलता है।
डॉक्टर बीसी रॉय को मिला भारत रत्न-
एक रचनात्मक नेता और देशभक्त के रूप में उनके महान कद को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने साल 1961 में सर्वोच्च भारतीय नागरिक सम्मान भारत रत्न से डॉक्टर बीसी रॉय को सम्मानित किया। उनके सम्मान में, पहला राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस 1991 में मनाया गया था।
By Ankit Verma
Baten UP Ki Desk
Published : 1 July, 2024, 1:35 pm
Author Info : Baten UP Ki