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सांसदी गई, जेल भी जाएंगी महुआ मोइत्रा! जानिए क्या होगा आगे ?

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(Special Story) कल तक टीएमसी की सांसद रही महुआ मोइत्रा अब लोकसभा की सांसद नहीं हैं। हैं। शुक्रवार यानी आज उनकी संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है। उनके खिलाफ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में ये कार्रवाई हुई है। महुआ के खिलाफ संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले की शिकायत हुई थी, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने एथिक्स कमेटी के पास भेजा था। कमेटी की पहली सिफारिश पर ही महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई। दूसरी सिफारिश में कमेटी ने सरकार से कहा है कि महुआ को मिले पैसों की तय समय में जांच की जाए। अब सवाल ये उठता है कि संसद सदस्यता जाने के बाद अब आगे क्या होगा। आइए विस्तार से जानते हैं।

संसद सदस्यता जाने के बाद बोलीं महुआ-

लोकसभा से निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने भड़कते हुए कहा है कि ऐसा साजिश के तहत किया गया है। कमेटी ने ठीक से जांच नहीं। उन्होंने कहा कि लोकसभा की एथिक्स कमेटी मुझे झुकाने के लिए बनाई गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया। इसके साथ ही महुआ ने कहा कि ये आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है। हलांकि बीजेपी ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि  ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है।

आइए विस्तार से जानते हैं कैसे क्या हुआ-

आज हुए पूरे घटनाक्रम को 10 बड़ी बातों में समझने की कोशिश करते हैं कि इस मामले में कैसे क्या हुआ।

1- सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोप के मामले में लोकसभा में आज यानी शुक्रवार 8 दिसंबर को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा ने निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया। इसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। 

2- महुआ मोइत्रा ने सदस्यता जाने पर कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं थे। उन्होंने कहा, ''लोकसभा की आचार  समिति की रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा है। मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है जो अस्तित्व में ही नहीं है। नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है। आचार समिति ने मुद्दे की जड़ तक पहुंचे बिना मुझे दोषी ठहराने का फैसला किया। 

3- तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा, ''सांसद आम जनता के सवालों को संसद तक पहुंचाने में सेतु का काम करते हैं। कंगारू कोर्ट (अवैध अदालत)’ ने बिना  सबूत के मुझे सजा दी मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन विवरण  साझा करने पर आधारित है। लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं है। ये फैसला दिखाता है कि मोदी सरकार के लिए अडानी ग्रुप कितना महत्वपूर्ण है।

4- पूरे मामले को लेकर टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हम महुआ मोइत्रा के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, ''हम महुआ मोइत्रा के साथ हैं।  ये गणतंत्र के अधिकारों का हनन है। मुझे लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बात पर सही रवैया होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, ये पूरी संसद के लिए दुख भरा दिन है। 

5- महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाने पर विपक्षी सांसद लोकसभा से बाहर आ गए। इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल रहीं. इस दौरान सभी विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि बीजेपी और केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है।

6- कांग्रेस सासंद अधीर रंजन चौधरी भी महुआ मोइत्रा के समर्थन में नजर आए। उन्होंने कहा, ''ये सब बदले की भावना से किया गया है। सारी कार्रवाई बेबुनियाद तथ्यों पर आधारित है। नई सदन में सबसे पहले महिला सांसद को बलि पर चढ़ाया गया। '' 

7- सदन में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से कई बार आग्रह किया कि मोइत्रा को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए, लेकिन बिरला ने पुरानी संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया.  सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ''पूरी रिपोर्ट मीडिया में लीक कर दी गई है. निष्पक्ष सुनवाई तब होती है जब प्रभावित व्यक्ति को सुना जाता है. अगर उसे सुना नहीं जाएगा तो कोई निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।

8- संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सुदीप बंदोपाध्याय के तर्क का जवाब देते हुए कहा,‘‘ लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के समय 10 लोगों को निष्कासित किया गया था। उस समय चटर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आरोपी सांसद समिति के समक्ष पेश हुए, ऐसे में इन्हें सदन में बोलने का अधिकार नहीं है.’’

9- बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा, कि महुआ मोइत्रा का निष्काशन सभी सांसदों के लिए सीख है. उन्होंने कहा, ''सांसद बनने पर हम संविधान के तहत शपथ लेते हैं. इसमें कुछ नियमों के तहत काम करना होता है. महुआ मोइत्रा के मामले में नैतिकता नहीं थी. ऐसे में यह सब कुछ हुआ. रिपोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद पेश की गई.'' 

10- हालही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने अडानी ग्रुप के मामले में सवाल करने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे गिफ्ट लिए हैं। इसके बाद हीरानंदानी ने एक एफिडेविट के जरिए कहा है कि मोइत्रा ने पैसे लिए हैं और वो संसद में सवाल पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए कर रही थीं।

क्या कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं महुआ?

महुआ मोइत्रा पर हुई कार्रवाई के चलते क्या वो लोकसभा के फैसले के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। संविधान और कानून के जानकारों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकती हैं। वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल जल्द समाप्त  हो रहा है। उसके पहले महुआ को  अदालत से प्रभावी राहत मिलना मुश्किल है। ऐसे मामले संसद और स्पीकर के अधिकारों के दायरे में  आते हैं। जो सामान्यतः न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर होते हैं। हालांकि, संसद में पारित कानूनों  को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। पिछले कई सालों से स्पीकर के फैसलों के खिलाफ भी अदालत में सुनवाई होने लगी है। 

महुआ मोइत्रा दोबारा लड़ सकेंगी चुनाव?

वर्तमान परिस्थितियों के मुताबिक महुआ दोबारा चुनाव लड़ सकती हैं। क्योंकि फिलहाल सिर्फ उनकी सदस्यता ही रद्द की गई है। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय लेन-देन के आपराधिक पहलुओं की जांच होनी अभी बाकी है।
सीबीआई में दर्ज आपराधिक मामले की जांच अन्य केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से होगी। जांच के बाद सबूतों के आधार पर चार्जशीट फाइल होने पर अदालत में मुकदमा चलेगा। आपराधिक मामले में 2 साल से ज्यादा सजा होने पर महुआ के चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है, लेकिन क्रिमिनल मामलों के ट्रायल और सजा होने में लंबा समय लगता है। ऐसे में महुआ लोकसभा का अगला चुनाव लड़ सकती हैं।

क्या महुआ पर हुई कार्रवाई गलत है ?

इस मामले में सवाल उठाते हुए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि महुआ पर जो कार्रवाई की गई है, वो गलत है। संसद ने महुआ को पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया है। महुआ के लिए जो कमेटी गठित की गई थी, उसमे अधिकांश  बीजेपी के सांसद थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी कहा कि महुआ को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है। यह रिपोर्ट आधी-अधूरी है।
वहीं जेडीयू सांसद और एथिक्स कमेटी के सदस्य गिरिधारी यादव के मुताबिक एथिक्स कमेटी में दर्शन हीरानंदानी को क्रॉस एग्जामिन के लिए नहीं बुलाया गया। कोई कमेटी किसी के एफिडेविट पर कैसे विश्वास कर सकती है। यादव ने स्पीकर से कहा कि कमेटी के चेयरमैन ने हीरानंदानी को बुलाने का वादा किया था।

क्या होती है संसद की एथिक्स कमेटी-

  • 1997 में राज्यसभा में और 2000 में लोकसभा में एथिक्स कमेटी गठित की गयी थी।
  • यह सांसदों के लिए आचार संहिता को लागू करवाने की जिम्मेदारी निभाती है।
  • यह सांसदों के खिलाफ कदाचार के मामलों की जांच करती है। जांच के बाद उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है।
  • आचार समिति के पास लिखित शिकायत दर्ज करायी जा सकती है। शिकायतकर्ता को अपनी पहचान के साथ-साथ आरोपों को सिद्ध करने के लिए  सबूत प्रस्तुत करना होता है।
  •  सदस्य को नैतिक दुर्व्यवहार या आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी होने पर नियम 297 के तहत कार्यवाही होती है।
  • जिसके तहत निंदा, भर्त्सना और एक तय समय के लिए सदन से निलंबन किया जा सकता है।
  •  झूठी शिकायत दर्ज कराने पर समिति संसदीय विशेषाधिकार के उल्लंघन के रूप में लेकर कार्यवाही भी कर सकती है।

कौन हैं महुआ मोइत्रा-

अब इतना हंगामा हो रहा है तो आपको जानना जरूरी है कि आखिर कौन हैं महुआ मोइत्रा- कल तक TMC की सांसद रही महुआ मोइत्रा का जन्म कोलकाता में हुआ था। वे मूलत: बैंकर हैं। बेसिक एजुकेशन के बाद मोइत्रा हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका गईं। हायर एजुकेशन पूरी हुई तो उनकी नौकरी लंदन के एक प्रतिष्ठित बैंक में लगी। अपने काम के बूते पर कम समय में ही वे बैंक की प्रेसिडेंट बन गईं। कुछ सालों में उनका नौकरी से मोह भंग हुआ और वो राजनीति में कूद पड़ीं। उन्होंने 2016 में पहला चुनाव पश्चिम बंगाल के करीम नगर विधानसभा से जीता था। 2019 में वे TMC के टिकट पर कृष्णानगर से लोकसभा का चुनाव लड़ीं और चुनाव जीत गईं।

 

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