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क्यों मनाया जाता है "राष्ट्रीय समुद्री दिवस" ?

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(Special Story) भारत के लिए जितनी महत्वपूर्ण नदियां हैं उतने ही महत्वपूर्ण समुद्र हैं। वैसे भारत का समुद्री इतिहास बहुत ही समृद्ध और गौरवशाली रहा है और पुराने समय से ही दक्षिण भारतीयों का पूर्वी एशिया और पश्चिम में अरब जगत के साथ जहाजरानी संबंध रहा है। इतिहासकारों के अनुसार समुद्र की शुरुआत ईसा पूर्व सिंधु घाटी के लोगों द्वारा मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार की शुरुआत के समय से मानी जाती है। भारत में हर साल 5 अप्रैल के दिन को "राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime Day)" के रूप में मनाया जाता है। यह दिन एक वार्षिक उत्सव है जो उन बहादुर लोगों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है जो महीनों तक समुद्र में रहकर भारत के वैश्विक व्यापार और वाणिज्य में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारत में राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाने की परंपरा वर्ष 1964 से चली आ रही है।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से महाद्वीप वाणिज्य, व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में समुद्र के महत्व को बढ़ावा देना है। 1919 में सबसे पहली बार 5 अप्रैल को समुद्री दिवस मनाया गया था। हड़प्पा संस्कृति के व्यापारिक संबंधों के भी प्रमाण मिले हैं, जो मेसोपोटामिया मिस्र और रोमनों से शिपिंग द्वारा स्थापित किए गए थे। नए जमाने में भी भारत ने समुद्री क्षेत्र में काफी प्रगति की है। भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा शिपिंग देश है और इसके पास दुनिया का 11वां सबसे बड़ा बंदरगाह है। भारत के पास 7 हजार 517 किलोमीटर लंबा समुद्र तट है, जो 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरता है।

क्या है समुद्री दिवस का इतिहास ?

भारत के नेविगेशन में, एक इतिहास तब रचा गया जब द सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड के पहले जहाज एसएस लॉयल्टी ने यूनाइटेड किंगडम की यात्रा की। यह भारत के नौवहन इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था जब समुद्री मार्गों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। आपको बता दें कि पहली बार यह दिन 5 अप्रैल 1964 को दुनिया भर में अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य और अर्थव्यवस्था के बारे में लोगों को जानकारी देने और जागरूकता फैलाने के लिए मनाया गया था।

समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भूमिका-

राष्ट्रीय समुद्री दिवस भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यह दिन समुद्री इतिहास और समुद्री क्षेत्र के विकास में योगदान देने वालों को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है। समुद्री अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था का एक खास हिस्सा है। भारत 5 महासागरों में व्यापार को सुविधाजनक बनाकर समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है। अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के आंकड़ों की मानें तो भारत समुद्री व्यापार के मामले में दुनिया का 16वां सबसे बड़ा देश है। देश का लगभग 95 फीसदी  व्यापार समुद्री मार्ग से होता है।

समुद्री व्यापार का ऐतिहासिक महत्व-

भारत के समुद्री रास्तों के जरिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों का लंबा इतिहास रहा है। प्राचीन काल से ही भारत के पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका तक के देशों से हमारे दक्षिणी राज्यों के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं जिनकी झलक संस्कृति में आज भी दिखाई देती है। भारत की यूरोप तक ख्याति अरब देशों से होते हुए समुद्री व्यापार के जरिए ही पहुंचा करती थी यवनों से भारत के पुराने समुद्री व्यापारिक संबंध रहे हैं।

समुद्री दिवस पर पुरस्कार-

इस दिन, भारतीय समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को ‘वरुण’ नामक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों का दिया जाता है जिन्होंने भारतीय समुद्री उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। और अनुभूति के उच्चतम स्तर पर महान उपलब्धियां हासिल की हैं। 

राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2024 की थीम-

हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय समुद्री दिवस की थीम तैयार की गई है। इस साल की थीम ‘भविष्य को नेविगेट करना, सुरक्षा पहले’ है। यह थीम समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा के महत्व पर रोशनी डालती है।

हिंदू धर्म में समुद्र की मान्यता-

हिंदू धर्म ग्रंथों में अदिति के पुत्र वरुण देव को समुद्र का देवता कहा गया है। हिंदू धर्म में समुद्र से जुड़ी पौराणिक और सबसे प्रचलित कथा में समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है, जिसमें देवताओं और असुरों ने अमृत कलश के लिए समुंद्र मंथन किया और इस दौरान समुद्र से 14 बहुमूल्य रत्न निकले थे। वहीं दूसरी ओर पौराणिक साहित्य कहानियों में हम समुद्र में जलपरियों के होने की कहानी भी बचपन से सुनते आए हैं। 

खारा  क्यों होता है समुद्र का पानी

हम सभी जानते हैं कि समुद्र का पानी बहुत खारा है, जोकि पीने योग्य बिल्कुल नहीं है। समुद्र के पानी के खारा होने के कई वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं। हालांकि धार्मिक कथाओं के अनुसार, शुरु में समुद्र का पानी दूध की तरह सफेद और मीठा हुआ करता था। समुद्र से जुड़ी एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक शाप के कारण समुद्र का पानी खारा हो गया था। 

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