बड़ी खबरें

एस्ट्राजेनेका ने दुनियाभर से कोरोना वैक्सीन मंगाई वापस, वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर उठे थे सवाल 16 घंटे पहले लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 93 सीटों पर 64.58 फीसदी मतदान, असम में सबसे ज्यादा 81.71 फीसदी हुई वोटिंग 16 घंटे पहले उत्तराखंड में 10 मई से चारधाम यात्रा गंगोत्री और यमुनोत्री के खुलेंगे कपाट, आज से हरिद्वार-ऋषिकेश काउंटर पर ऑफलाइन पंजीकरण शुरू 16 घंटे पहले मायावती ने भतीजे आकाश आनंद से छीना उत्तराधिकार, नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटाया 16 घंटे पहले शाहजहांपुर में गरजे CM योगी: कहा- रामभक्तों पर गोली चलाने वाले कहते हैं अयोध्या में राम मंदिर बेकार बना 11 घंटे पहले पीएम मोदी के भाषण के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची कांग्रेस, नड्डा-अमित मालवीय को कर्नाटक पुलिस का नोटिस 11 घंटे पहले उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग मामलें में बोला सुप्रीम कोर्ट-उत्तराखंड सरकार और याचिकाकर्ता केंद्रीय समिति को दें रिपोर्ट दें 11 घंटे पहले सनराइजर्स के खिलाफ लखनऊ ने जीता टॉस, पहले बल्लेबाजी का फैसला 10 घंटे पहले सैम पित्रोदा ने ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, 'नस्ली' टिप्पणियों पर विवाद के बाद उठाया कदम 10 घंटे पहले

डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन को लेकर ICMR का बड़ा खुलासा!

Blog Image

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानि ICMR ने बड़ा खुलासा किया है। जिसमें बताया गया है कि भारत में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 45 फीसदी डॉक्टर मरीजों को आधा-अधूरा परचा लिख रहे हैं। यह रिपोर्ट देश के 13 नामचीन अस्पतालों के सर्व के आधार पर तैयार की गई है। संस्थान का कहना है कि ओपीडी में मरीजों को शुरुआती चिकित्सा सलाह देने  वाले डॉक्टर जल्दबाजी में बड़ी लापरवाही कर रहे हैं। आईसीएमआर की इस रिपोर्ट के बाद अब केंद्र सरकार इस लापरवाही को रोकने के लिए जल्द ही सख्त कदम उठा सकती है। 

एम्स, सफदरजंग जैसे नामी अस्पतालों का सर्वे-

आपको बता दें कि साल 2019 में आईसीएमआर ने दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को लेकर एक टास्क फोर्स बनाई थी जिसकी निगरानी में अगस्त, 2019 से अगस्त, 2020 के बीच 13 अस्पतालों की ओपीडी में सर्वे किया गया। इनमें दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, भोपाल एम्स, बड़ौदा मेडिकल कॉलेज, मुंबई जीएसएमसी, ग्रेटर नोएडा स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज, सीएमसी वेल्लोर, पीजीआई चंडीगढ़ और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज पटना मुख्त तौर पर शामिल हैं। इन अस्पतालों से कुल 7,800 मरीजों के परचे (प्रिस्क्रिप्शन)  लिए गए। इनमें से 4,838 की जांच की गई, जिनमें से 2,171 परचों में खामियां पाई गईं। हैरानी तब हुई जब 475, यानि करीब 9.8 फीसदी परचे पूरी तरह गलत पाए गए। यह ऐसी स्थिति है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह भी गौर किया गया कि पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल-डोमपेरिडोन व एंजाइम दवाएं सर्वाधिक मरीजों को लेने की सलाह दी गई है जबकि ऊपरी श्वास नली संक्रमण व उच्च रक्तचाप के परचे सबसे ज्यादा गलत मिले हैं। 

सभी डॉक्टर विशेषज्ञ कई सालों से कर रहे हैं प्रैक्टिस-

सर्वे के दौरान लिए गए प्रिस्क्रिप्शन का जब परीक्षण किया गया तो पता चला कि उन्हें लिखने वाले लगभग सभी डॉक्टर स्नातकोत्तर हैं और प्रैक्टिस करते चार से 18 साल तक हो चुके हैं। परचे में दवा की खुराक, लेने की अवधि कितनी बार सेवन करना है इसके साथ ही दवा का फॉर्मूलेशन क्या है आदि जानकारियां मरीज को नहीं दी गईं। 

दुनिया में 50% दवाएं गलत तरीके से लिखी जा रहीं-

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने 1985 में तर्कसंगत परचों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिशा-निर्देशों को लागू किया था। उसके बावजूद दुनियाभर में 50 फीसदी दवाएं गलत तरीके से मरीजों को दिए जाने का अनुमान है। अधिकांश मरीजों को नहीं पता होता है कि उन्हें कौन सी दवा किस परेशानी के लिए दी जा रही है और इसका सेवन कब तक करना है? रिपोर्ट के मुताबिक पूरी तरह से गलत 475 परचों के विश्लेषण में से कोई अमेरिका तो कोई ब्रिटेन के दिशा-निर्देशों पर आधारित पाया गया है। 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें