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यूपी से लेकर झारखंड तक कितने धनकुबेर, और कितने करोड़ बाकी?

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(Special Story) आपको उत्तर प्रदेश के कन्नौज के इत्र व्यापारी के यहां अकूत धन मिलने का मामला तो याद ही होगा। इत्र व्यापारी पीयूष जैन के यहां से करीब 300 करोड़ रुपए आईटी रेड में मिले थे। कुछ वैसा ही मामला एक बार फिर से सामने आया है। जहां कांग्रेस सांसद धीरज साहू और उनके करीबियों के तीन राज्यों झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के 10 ठिकानों से आयकर विभाग को शनिवार तक 300 करोड़ से ज्यादा का कैश बरामद हो चुका है और ये सिलसिला अभी बदस्तूर जारी है...

कब से चल रही है छापेमारी-

आपको बता दें कि टैक्स चोरी के मामले में इनके घर,ऑफिस और फैक्ट्री पर बुधवार 6 दिसंबर को छापेमारी शुरू की गई थी। धीरज झारखंड से राज्यसभा सदस्य हैं। इनकम टैक्स के अफसरों के मुताबिक ये किसी सिंगल ऑपरेशन में बरामद हुई अब तक की सबसे बड़ी रकम है। आपको बता दें कि शनिवार 8 दिसंबर को नोट गिनने के लिए 40 बड़ी और छोटी मशीनें  लगाई गई थीं। जिनसे नोटों की गिनती अब तक जारी है। है। 

आयकर विभाग के महानिदेशक संजय बहादुर ने भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर मीडिया से कहा- कैश की मात्रा इतनी ज्यादा है कि अभी गिनती में दो दिन और लगेंगे। इसके बाद ही आधिकारिक रूप से इस पर जानकारी दी जा सकेगी।

आइए जानते हैं छापे से जुड़ी अहम बातें-

आयकर विभाग ने बुधवार 6 दिसंबर को छापेमारी शुरू की थी। 7 दिसंबर तक शराब बनाने वाली कंपनी बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनीज के कार्यालय में नोटों से भरी 30 अलमारी मिली थीं। इनमें से 9 में 500, 200 और 100 रुपए के नोट के बंडल जब्त किए थे। नोटों से भरे कई बैग भी छापेमारी के दौरान मिले थे। इनमें कितना कैश था, इसकी जानकारी आईटी टीम ने नहीं दी थी। अभी लॉकरों को खोला जाना बाकी है। गुरुवार की शाम तक 260 करोड़ का कैश मिल चुका जो शनिवार आते-आते 300 करोड़ तक पहुंच चुका है। यह राशि अभी भी बढ़ती चली जा रही है।

इन जगहों पर आयकर विभाग ने मारी रेड- 

  • ओडिशा में बौध डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और इससे जुड़े परिसरों में छापेमारी।
  • बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनीज के ठिकाने (यह बौध डिस्टिलरी की पाटर्नशिप फर्म है)।
  • बौध डिस्टिलरी के भुवनेश्वर स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय और अधिकारियों के घर पर रेड।
  • बोलांगीर के सुदापाड़ा और टिटलागढ़ के दो शराब व्यापारियों के आवास पर मारी गई रेड।
  • रांची के रेडियम रोड स्थित सुशीला निकेतन आवास पर छापा।
  • लोहरदगा स्थित सांसद धीरज साहू के आवास पर छापा।

नोट गिनने के दौरान 4 मशीनें खराब- 

आपको बता दें कि लंबे समय से आलमारी में रखे होने के कारण नोटों में नमी आ गई थी। जिसकी वजह से नोट एक दूसरे से चिपक गए थे। इसी लिए नोट गिनने के दौरान अब तक चार मशीनें खराब हो चुकी हैं। इस कारण गिनती में देर हो रही है।अब भुवनेश्वर से बड़ी मशीनें मंगाई गई हैं। 8 दिसंबर को 12 बजे दिन से छह बड़ी मशीनों से नोटों की गिनती शुरू हुई, जो अब तक जारी है।

क्यों फाड़े 500-500 के नोट-

आयकर की छापेमारी को देखते हुए बौध जिला स्थित बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों ने 500-500 के नोटों को फाड़कर फेंकना शुरू कर दिया। आयकर विभाग के अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान जब कंपनी के चारदीवारी के आसपास देखा तो पाया कि पांच-पांच सौ के नोट फाड़कर फेंके हुए है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने नोटों को जब्त कर लिया। फटे हुए नोट चारदीवारी के अलावा बॉटलिंग प्लांट के बॉयलर के नजदीक मिले।

आयकर विभाग के महानिदेशक संजय बहादुर नोटों की जब्ती और गिनती सहित पूरे अभियान पर नजर रख रहे हैं। इस सिलसिले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। वहीं, शराब का कारोबार करने वाली कंपनी की ओर से भी अभी तक छापे को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

शराब कारोबारी हैं धीरज साहू -

भुवनेश्वर से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित बौध जिले में  यह फैक्ट्री 40 एकड़ में फैली है। इस ग्रुप के निदेशकों में अमित साहू, रितेश साहू और उदय शंकर प्रसाद का नाम है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नोटों की गिनती पूरी होने के बाद ही कंपनी से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा सकती है। कहा जाता है कि यह शराब बनाने और बिक्री करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है।

CS प्रज्ञेश सिंह ने बताया घर पर कैश रखने का नियम- 

भारत में घर में कैश रखने की कोई सीमा निश्चित नहीं है। लेकिन आप अपने घर में 1.50 हजार रुपये घर मे रख सकते हैं। लेकिन, अगर आपके घर में कैश की जब्ती हुई और आप उसका स्रोत नहीं बता पाए, तो आप पर कर्रवाई हो सकती है। अगर आपके घर में शादी है। या कोई भंडारा करना है या कोई और ऐसी आवश्यकता है जिसमें नकद कैश की जरूरत है तो उसके लिए कैश ज्यादा रखने की अनुमति दी जाती है। अगर ज्यादा कैश रखना है तो आपको बताना पड़ता है। पहले ऐसा नहीं था लेनिक नोटबंदी के बाद कैश रखने की सीलिंग बना दी गई थी। हलांकि चुनावों के दौरान ये सीमा और घट जाती है चुनावों के दौरान 50 हजार से ऊपर आप कैश लेकर जा रहे हैं तो उसका सोर्स बताना पड़ता है। अगर आपको कोई सरकारी काम के लिए अधिक नगदी की जरूरत है तो उसके लिए आपको बताना पड़ेगा। लेकिन जब बात 300 करोड़ की हो तो बात अलग है।  हलांकि इनको ये बताना जरूरी हो जाता है कि धन कहा से आया है और ये किस उद्देश्य के लिए रखा गया है। क्योंकि कुछ लोगों को अधिक कैश की जरूरत होती है तो वो कैश रखते हैं लेकिन उनको बताना पड़ेगा कि इसका सोर्स क्या है और किसलिए रखा गया है।

जानिए कौन हैं धीरज साहू-

23 नवंबर 1955 को रांची में जन्मे धीरज प्रसाद साहू  के पिता का नाम राय साहब बलदेव  साहू और मां का नाम सुशीला देवी है।  रांची के मारवाड़ी कॉलेज से बीए तक की पढ़ाई की है। तीन बार राज्यसभा सांसद रहे हैं। धीरज की एक वेबसाइट है, जिसमें वह खुद को एक कारोबारी भी बताते हैं। पिता राय साहब बलदेव साहू स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल रहे हैं। आजादी के वक्त से ही परिवार कांग्रेस से जुड़ा है।

राजनीति में  कैसे आए साहू- 

धीरज 1977 में लोहरदग्गा जिला यूथ कांग्रेस में शामिल हुए थे। भाई शिव प्रसाद साहू रांची से दो बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद रहे हैं। 2018 में दायर हलफनामे में अपनी संपत्ति 34.83 करोड़ बताई थी। उन्होंने 2.04 करोड़ चल संपत्ति की भी जानकारी दी थी। उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं है। हलफनामे के मुताबिक उनके पास एक रेंज रोवर, एक फॉर्च्यूनर, एक बीएमडब्ल्यू और एक पजेरो है।

PM बोले- जनता से लूटी, पाई-पाई होगी लौटानी-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस छापेमारी की खबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा- था कि देशवासी इन नोटों के ढेर को देखें और फिर इनके नेताओं के ईमानदारी के भाषणों को सुनें... जनता से जो लूटा है, उसकी पाई-पाई लौटानी पड़ेगी। यह मोदी की गारंटी है।

कन्नौज के इत्र व्यापारी के यहां मिले थे इतने सौ करोड़-

कन्नौज के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के यहां से करीब 300 करोड़ रुपयों  मिले थे। जिनको घर से ले जाने के लिए नोटों की गड्डियां भरने के लिए करीब 50 बक्से लग गए थे। जिसे देखकर लोगों की आंखें चौंधिया गईं थीं। 

जब्त रकम का क्या होगा-

अब सवाल उठता है कि बरामद की गई सैकड़ों करोड़ों की रकम को इनकम टैक्स या जीएसटी विभाग रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में जमा करा देता है या ट्रेजरी में जमा किया जाता है। इन एजेंसियों के पास पैसा रखने का कोई सिस्टम नहीं है। इसलिए रकम को बैंक या ट्रेजरी में ही रखाजाता है।

पहले व्यापारी से मांगा जाता है जवाब-

आमजन जानना चाहते हैं कि इतनी भारी-भरकम रकम का अभ क्या होगा? क्या यह रकम वापस जाएगी या जनता को मिलेगी या फिर इसे सरकार इस्तेमाल करेगी। तो एक्सपर्ट्स बताते हैं कि किसी भी जांच या छापेमारी में एजेंसी को रकम बरामद होती है तो उसे सबसे पहले एजेंसी अपनी कस्टडी में लेती है। इसके बाद रकम का जो ओनर होगा, उसे अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। अगर व्यापारी के पास इतनी रकम रखने की वैलिड वजह है या आधार है और यह पैसा ऑन रिकॉर्ड है, तो इसे काला धन नहीं माना जाएगा।  साथ ही, व्यापारी को पैसा वापस कर दिया जाएगा। 

अगर साबित नहीं कर पाए कमाई तो होगा यह-

अगर व्यापारी सही जवाब नहीं दे पाता और पैसे का सोर्स नहीं बता पाता, तो रकम सीज़ कर ली जाती है। इसके बाद विधिवत कार्रवाई होती है। अगर व्यापारी प्रूव नहीं कर पाता तो इनकम टैक्स के रूप में, पेनाल्टी के रूप में  यह पैसा वसूला जाता है। अगर जीएसटी अथॉरिटी कार्रवाई करेगी तो उस रकम को प्रूव करना पड़ेगा कि कितना जीएसटी चोरी किया गया है। इसके बाद इसी हिसाब से कार्रवाई होती है। बेसिक आमदनी व्यापारी को वापस की जा सकती है।

कुल मिलाकर अभी देखना होगा कि धीरज साहू के साथ ही और कौन-कौन सामने आता है और रेड में सामने आ रही धनराशि का आंकड़ा और कहां तक जाता है।

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