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'गेम एडिक्शन' से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है असर, बचने के लिए करें ये उपाय

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आज की डिजिटल दुनिया में वीडियो गेम्स बच्चों और किशोरों के बीच एक प्रमुख आकर्षण बन गए हैं। हालांकि वीडियो गेम्स एक मनोरंजन का साधन हैं, लेकिन इनका अत्यधिक उपयोग बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आइए समझते हैं कि गेम एडिक्शन क्यों होता है और यह कैसे बच्चों के विकास में रुकावट बनता है।

गेम एडिक्शन क्यों होता है?

  1. डोपामाइन रिलीज़: जब बच्चे वीडियो गेम खेलते हैं, तो उनके मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रसायन रिलीज़ होता है। यह रसायन खुशी का अनुभव देता है और बार-बार गेम खेलने की इच्छा को बढ़ावा देता है।

  2. चुनौतीपूर्ण और पुरस्कृत करने वाला: कई वीडियो गेम्स में चुनौतीपूर्ण लेवल और पुरस्कार प्रणाली होती है, जो बच्चों को अधिक समय तक गेम से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करती है। वे नए लेवल्स को पार करने और पुरस्कार जीतने की चाह में गेम के प्रति और भी अधिक जुनूनी हो जाते हैं।

  3. सामाजिक प्रभाव: बच्चों पर उनके दोस्तों का प्रभाव भी बहुत बड़ा होता है। अगर उनके दोस्त भी लगातार गेम खेलते हैं, तो वे भी सामाजिक रूप से जुड़ाव बनाए रखने के लिए गेम खेलने लगते हैं।

  4. मनोरंजन का साधन: कई बच्चे तनाव या बोरियत से बचने के लिए गेम्स खेलते हैं। गेम्स एक त्वरित और सुलभ मनोरंजन का साधन बन जाते हैं, जिससे वे वास्तविक जीवन की समस्याओं से बचने का प्रयास करते हैं।

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट

  1. शारीरिक विकास पर प्रभाव:

    • शारीरिक गतिविधियों की कमी: वीडियो गेम्स में अत्यधिक समय बिताने के कारण बच्चे शारीरिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते। इससे उनकी मांसपेशियों का विकास प्रभावित होता है और मोटापा जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
    • नेत्र समस्या: लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है। उन्हें आंखों में जलन, सूखापन और दृष्टि में कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
    • अनियमित नींद: गेम्स खेलने के लिए देर रात तक जागने से बच्चों की नींद का पैटर्न प्रभावित होता है, जिससे शारीरिक विकास में रुकावट आती है।
  2. मानसिक विकास पर प्रभाव:

ध्यान की कमी:

अत्यधिक गेमिंग से बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। वे पढ़ाई या अन्य गतिविधियों में ठीक से ध्यान नहीं दे पाते।

मनोवैज्ञानिक समस्याएं:

गेम्स में हारने या दूसरों से पीछे रहने पर बच्चे तनाव, अवसाद और गुस्से का शिकार हो सकते हैं। कुछ मामलों में, यह आक्रामक व्यवहार का कारण भी बन सकता है।

सामाजिक अलगाव:

गेम्स के प्रति बढ़ता जुनून बच्चों को सामाजिक गतिविधियों से दूर कर देता है। वे परिवार और दोस्तों के साथ कम समय बिताने लगते हैं, जिससे उनका सामाजिक विकास बाधित होता है।

समाधान क्या है?

समय सीमा निर्धारित करें

बच्चों के लिए गेम खेलने का समय निर्धारित करें और यह सुनिश्चित करें कि वे दिनभर में सीमित समय ही गेम्स खेलें।

शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें:

 बच्चों को खेल-कूद और अन्य शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका शारीरिक विकास बेहतर होगा।

शैक्षणिक गेम्स का चयन:

बच्चों के लिए ऐसे गेम्स का चयन करें जो शैक्षणिक हों और उनकी मानसिक क्षमता को बढ़ावा दें।

परिवार के साथ समय बिताएं:

बच्चों को परिवार के साथ अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका सामाजिक और भावनात्मक विकास बेहतर होगा।

मनोवैज्ञानिक सहायता:

अगर बच्चे में गेम एडिक्शन की समस्या गंभीर हो, तो मनोवैज्ञानिक से परामर्श लें और आवश्यक सहायता प्राप्त करें।

गेम एडिक्शन एक गंभीर समस्या-

गेम एडिक्शन बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है। माता-पिता और अभिभावकों को इस बारे में जागरूक रहना चाहिए और अपने बच्चों को इस आदत से बचाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। संतुलित जीवनशैली और सकारात्मक गतिविधियों के माध्यम से ही बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

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