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राजनीतिक या वैचारिक संबंद्धता के आधार पर संस्थाओं को सैनिक स्कूलों के लिए आमंत्रित करने की खबरों का रक्षा मंत्रालय ने खंडन किया है। अपने बयान में कहा है कि ऐसे आक्षेप निराधार है सैनिक स्कूलों की स्थापना 1960 के दशक में सैनिक स्कूल समिति के तहत की गई थी। सैनिक स्कूलों की सफलता को देखते हुए देश में अतिरिक्त सैनिक स्कूलों की लगातार मांग होती रही है। बयान में कहा गया है कि नए सैनिक स्कूल युवाओं का अनुशासन साहस नेतृत्व और देशभक्ति पर आधारित मूल्यों और लोकाचार को बढ़ावा देने वाली शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इसी के तहत देशभर में 100 स्कूल गैर सरकारी संगठनों राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में कार्य कर रहे हैं।
माकपा ने लगाया है आरोप-
सैनिक स्कूलों की स्थापना को लेकर विवाद तब खड़ा हो गया जब माकपा ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नए सैनिक स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी RSS और बीजेपी से जुड़े संस्थानों को दी गई है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया कि जिन निजी संस्थानों ने नए सैनिक स्कूल के संचालन के लिए सैनिक स्कूल सोसायटी के साथ समझौता किया है उनमें से बहुत से निजी संस्थानों का संबंध भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि RSS से है। माकपा ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सैनिक स्कूलों के संचालन में निजी संस्थानों की भागीदारी की सुविधा देने के लिए भी सरकार की निंदा की और कहा कि यह कदम शिक्षा के सांप्रदायीकरण' को मजबूत करता है।
100 से अधिक सैनिक स्कूलों को मिली थी मंजूरी-
केंद्र सरकार ने पिछले साल गैर सरकारी संगठनों, निजी स्कूलों और राज्य सरकारों के साथ भागीदारी में कक्ष 6 से कक्षावार क्रमिक तरीके से 100 सैनिक स्कूलों की स्थापना की अनुमति दी थी। इस पहल के तहत सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा पूरे देश में स्थित 19 नए सैनिक स्कूलों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल 23 सैनिक स्कूलों की स्थापना को मंजूरी दी थी।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 April, 2024, 8:15 pm
Author Info : Baten UP Ki