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पूर्वी लद्दाख में चीन ने समेटा बोरिया-बिस्तर! भारत ने उठाया ये कदम...

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आज यानी  शुक्रवार, 25 अक्टूबर को भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख की सीमा से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की है। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, डेमचोक और देपसांग पॉइंट पर दोनों देशों ने अपने अस्थायी टेंट और शेड्स को हटा लिया है। साथ ही, सैन्य गाड़ियां और उपकरण भी लौटने लगे हैं, जो दर्शाता है कि दोनों पक्ष शांति और स्थिरता की दिशा में एक नया रास्ता चुन रहे हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो क्षेत्र में शांति की उम्मीद जगाता है।

अस्थायी ठिकानों का समापन-

डेमचोक और देपसांग पॉइंट पर दोनों सेनाएं अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा रही हैं। इसके साथ ही, सैन्य वाहनों और उपकरणों को भी पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह एक ऐसा संकेत है जो दर्शाता है कि तनाव के दिन अब पीछे छूट रहे हैं।

समयसीमा: शांति का रोडमैप-

सूत्रों के मुताबिक, 28 और 29 अक्टूबर तक दोनों देशों की सेनाएं पूरी तरह से देपसांग और डेमचोक से हट जाएंगी। इस प्रक्रिया में एक सीमित संख्या में सैनिकों की तैनाती तय की गई है, हालांकि इसकी संख्या की जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

पहली जैसी स्थिति की बहाली का वादा-

18 अक्टूबर को दी गई जानकारी के अनुसार, यह समझौता यह सुनिश्चित करता है कि दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी। अब वे उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां पहले जाया करती थीं, और कमांडर स्तर की मीटिंग्स निरंतर होती रहेंगी।

तनाव की लंबी कहानी-

2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बढ़ गया था। लगभग चार साल बाद, 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच एक नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि इसका मुख्य उद्देश्य गलवान जैसी घटनाओं को रोकना और शांति की बहाली है।

पेट्रोलिंग नियमों में बदलाव-

हालांकि, गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर पेट्रोलिंग के संबंध में स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन समझौते में देपसांग के तहत चार पॉइंट्स पर सहमति बनी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि बातचीत और सहयोग की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

गश्त के लिए नई सीमाएं-

देपसांग में: भारतीय सेना अब पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 11-A, 12 और 13 तक जा सकती है, जिससे यह दर्शाता है कि गश्त में बदलाव आ रहा है।

डेमचोक में: पेट्रोलिंग पॉइंट-14 (गलवान घाटी) और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स (PP-15 और PP-17) बफर जोन में हैं। यह बफर जोन एक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा, जहां सेनाएं आमने-सामने नहीं आ सकेंगी।

प्रमुख बिंदुओं का पुनर्निर्धारण-

इस समझौते के पीछे कई महत्वपूर्ण पहलू हैं:

  • पीएम मोदी की ब्रिक्स यात्रा: यह समझौता पीएम मोदी की ब्रिक्स यात्रा से पहले फाइनल हुआ, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मिलकर शांति बनाए रखने का आश्वासन दिया।

  • LAC पर स्थिति बहाल करना: दोनों देश पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति को बहाल करने पर सहमत हुए हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि चीन की सेना उन क्षेत्रों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था।

  • संकट समाधान की तैयारी: भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में पेट्रोलिंग के साथ-साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों का समाधान खोजने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।

इतिहास के पन्नों में एक दर्दनाक घटना-

15 जून 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प ने भारतीय सैनिकों के लिए एक कठिन चुनौती पेश की थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसके बाद भारत ने मजबूत जवाबी कार्रवाई की, जिसमें लगभग 60 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी। यह घटना न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय लिख गई।

क्या हैं भविष्य की संभावनाएं?

अब, इस नए समझौते के साथ, भारत और चीन के बीच एक नई शुरुआत की उम्मीद है। यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, ताकि वे आपसी विश्वास को बहाल करें और गलवान जैसी घटनाओं को दोहराने से रोक सकें। शांति की दिशा में यह कदम दोनों देशों के लिए न केवल रणनीतिक बल्कि कूटनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

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