हर साल छठ पर्व का पावन उत्सव हमें छठी मैया और सूर्य देवता की अनुकंपा प्राप्त करने का अनुपम अवसर देता है। यह पर्व सूर्य उपासना और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु पूरी निष्ठा से उपवास रखकर और विशेष भोग अर्पित कर छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। इस अनुष्ठान में शामिल होने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए कौन-कौन से विशेष भोग पूजा में शामिल किए जाने चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद घर-परिवार पर सदा बना रहे।

1. छठ पूजा की शुरुआत: नहाय-खाय की पवित्र परंपरा
छठ पूजा का पहला दिन "नहाय-खाय" से आरंभ होता है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र स्नान के बाद सात्विक भोजन करते हैं। भोजन में लौकी और चने की सब्जी के साथ कच्चे चावल का भात तैयार किया जाता है, जिसे छठी मैया को भोग में अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस विशेष प्रसाद से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है और घर में खुशियां आती हैं।
2. खरना पूजा: दूध, चावल और गुड़ की खीर का भोग
दूसरे दिन की पूजा को "खरना" कहा जाता है। इस दिन भक्त दूध, चावल और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करते हैं, जो छठी मैया और सूर्य देवता के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस खीर को प्रसाद के रूप में परिवार और मित्रों के बीच बांटा जाता है, जिससे व्रतधारियों को आंतरिक शक्ति मिलती है और परिवार में समृद्धि का आगमन होता है।
3. पूजा थाली में विशेष फलों का प्रसाद
छठ पूजा की थाली में गन्ना, केला, नारियल, और सिंघाड़ा जैसे विशेष फल भी शामिल किए जाते हैं। ये सभी फलों को शुभ माना जाता है और इनसे पूजा में छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। इन फलों का भोग लगाने से पूरे परिवार पर छठी मैया की अनुकंपा बनी रहती है और जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
4. चावल के लड्डू: छठी मैया का प्रिय भोग
चावल के लड्डू छठ पूजा में विशेष महत्व रखते हैं। इन्हें श्रद्धा और प्रेम के साथ तैयार किया जाता है और पूजा में छठी मैया को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि चावल के लड्डू का भोग लगाने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अपने आशीर्वाद से निहाल करती हैं।
5. ठेकुआ का भोग: खुशी और समृद्धि का प्रतीक
ठेकुआ, जिसे खजूरिया या थिकारी भी कहते हैं, छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भोग है। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं का आटा, गुड़ और घी का प्रयोग किया जाता है, और इसे प्रेमपूर्वक पूजा की थाली में शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ठेकुआ का भोग छठी मैया को अत्यंत प्रिय है और इसे अर्पित करने से पूजा सफल मानी जाती है। इस भोग से जातक का जीवन खुशहाल और समृद्ध होता है।

छठ पर्व की विधि: डूबते हुए सूर्य से उगते सूर्य को अर्घ्य तक-
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। श्रद्धालु इस दिन नदी या तालाब में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन खरना पूजा के दौरान गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है, जिससे व्रत का आरंभ माना जाता है। इसके अगले दिन व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और संध्या के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है। छठ पर्व के इन खास भोगों और परंपराओं को निभाने से छठी मैया की कृपा सदैव बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
क्या है छठ पूजा की विशेष मान्यता?
छठ पूजा की विशेष मान्यता है कि इस पर्व में छठी मैया की उपासना सूर्यदेव के माध्यम से की जाती है। आराघर चौक स्थित हनुमान मंदिर के पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट बताते हैं कि छठी मैया को सूर्यदेव की बहन माना जाता है, और इस पूजा के माध्यम से लोग अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि सूर्य की उपासना करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं और परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखती हैं। इस पर्व में दो से तीन दिन तक निर्जला व्रत रखा जाता है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक कठिन तपस्या होती है।