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(Special Story) अभिभावकों को अपने बच्चे की मन की बात जानना बहुत जरूरी है। बच्चे की जो इच्छा है यानि उसका जो गोल है उसे वही करने के लिए प्रेरित करें। बच्चे पर पैरेंट्स अपने गोल को अचीव करने का दबाव कतई नहीं डाले नही तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। दरअसल एक तैयारी करने वाली लड़की की ऐसी कहानी सामने आई है जो ये सोचने पर मजबूर कर रही है कि बच्चों के मन की बात को न मानना अभिभावकों के लिए कितना खतरनांक साबित हो सकता है। आइए पहले पूरी कहानी जानते हैं जो बिल्कुल फिल्मी ही प्रतीत होती है लेकिन है बिल्कुल असली....
कोटा में पढ़ने गई काव्या की कहानी-
एमपी के शिवपुरी से 20 वर्षीय काव्या धाकड़ NEET की तैयारी करने के लिए कोटा गई थी। जिसके बाद 18 मार्च को काव्या के पिता को उसके हाथ-पैर बंधे होने की फोटो मिली जिसमें रिहाई के बदले 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी। इससे काव्या के पिता परेशान हो गए उन्होंने इसकी पुलिस में रिपोर्ट लिखाई जिसके बाद राजस्थान पुलिस हरकत में आई और उसके बाद जो मामला सामने आया वो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। हुआ यूं कि काव्या घर से पैसे लेकर NEET की तैयारी करने कोटा आई ही नहीं, ना ही उसने एडमिशन लिया। वह इंदौर में जाकर रूम लेकर अपने दोस्त के साथ रहने लगी और मां-बाप को बोलती रही कि कोटा में पढ़ाई कर रही है। दरअसल, काव्या कोटा में पढ़ना ही नहीं चाहती थी। वो दोस्त हर्षित संग विदेश जाना चाहती थी। कोटा पुलिस इंदौर में उस रूम तक पहुंच गई है, जहां काव्या ने हाथ-पैर बंधवाकर फोटो खिंचवाए थे। फिलहाल काव्या और उसके दोस्त की तलाश जारी है। पुलिस ने सूचना देने वाले को 20 हजार का इनाम देने की घोषणा की है।
उपरोक्त घटना अभिभावकों के लिए बेदह चौंकाने वाली है खासकर उनके लिए जिनके बच्चे बाहर रहकर तैयारी कर रहे हैं। आपके अपने बच्चे इस हद तक जा सकते हैं कि अपने ही मां-बाप को अपने किडनैपिंग की खबर देखर परेशान कर दें। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इसके पीछे क्या कारण हैं इन्ही सब मुद्दों पर बातें यूपी की टीम ने बात की बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाले विश्वम् फाउंडेशन के संस्थापक यूपी त्रिपाठी से आइए जानते हैं उनका क्या कहना है....
बच्चों के मन की बात जानना जरूरी-
देखिए बच्चों पर कभी अपनी चाहतों को थोपने का प्रयास अभिभावकों को नहीं करना चाहिए। ना तो पैरेंट्स को और ना ही टीचर्स को जैसे मान लीजिए कि कोई बायो का टीचर है तो मेडिकल लाइन में ही जाने की सलाह देगा क्योंकि वो वही जानता है। लेकिन देखा जाए तो हर बच्चे की जो individual capacity को identify करके ही उसको career की तरफ आगे बढ़ाना चाहिए।
तभी इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी कि बच्चा अपनी मनगढ़ंत कहानी बना के परिवारवालों को परेशान करे। इसलिए बच्चों के मन की बात को जानना बहुत जरूरी है। आप बच्चे के स्वभाव उसकी रुचियों का ध्यान रखते हुए ही करियर के लिए प्रेरित करें। हां अगर बच्चा किसी बात को कह रहा है तो उसे समझे और अगर वो उसके लिए ठीक नहीं है तो उसे बताएं कि इसमें कितनी ग्रोथ है और आपका भविष्य कैसा रहेगा।
दूसरा ये कि बच्चे की हर बात विश्वास भी नहीं करना चाहिए अगर वह लड़की कोटा जाकर कहीं और चली गई तो कहीं ना कहीं मां-बाप ने उसे ट्रैक क्यों नहीं किया कि बच्ची हमारी कोटा पहुंची है या नहीं। उसे देखने मिलने क्यों नहीं गए। इसलिए बच्चों के साथ मां-बाप की जिम्मेदारी है कि उसे सही रास्ता दिखाएं और अपनी मनमर्जी न चलाए जिससे ऐसी घटनाएं सामने न आएं जिसके गंभीर परिणाम हों।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 21 March, 2024, 4:02 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...