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महात्मा बुद्ध ने बताया तृष्णा ही सभी दुखों का मूल कारण है, उनके ऐसे उपदेश, जो बदल देंगे आपकी जिंदगी

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त्याग, अहिंसा, करुणा व मध्यम मार्ग का संदेश देकर जिसने संपूर्ण मानव समाज को सार्थक जीवन जीने की राह दिखाई, जिनकी शिक्षाएं युगों-युगों तक हम सभी का मार्गदर्शन करती रहेंगी ऐसे गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अहम बातें -बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है।

 कई देशों में मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर सभी भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते है, साथ ही ज्ञान और बुद्धि की कामना करते हैं। इस दिन बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप प्रज्जवलित कर बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। 

महात्मा बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग

भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह माध्यम है जो दुख के निदान का मार्ग बताता है। उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता है। गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दुखों का कारण उसके स्वयं का अज्ञान और मिथ्या दृष्टि बताया है। महात्मा बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में प्रवचन दिया था उनका प्रथम उपदेश 'धर्मचक्र प्रवर्तन' के नाम से जाना जाता है जो उन्होंने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच भिक्षुओं को दिया था। 

केवल मांस खाने वाला ही अपवित्र नहीं

भेदभाव रहित होकर हर वर्ग के लोगों ने महात्मा बुद्ध की शरण ली व उनके उपदेशों का अनुसरण किया। कुछ ही दिनों में पूरे भारत में ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणम् गच्छामि’का जयघोष गूंजने लगा। उन्होंने कहा कि केवल मांस खाने वाला ही अपवित्र नहीं होता बल्कि क्रोध, व्यभिचार, छल, कपट, ईर्ष्या और दूसरों की निंदा भी इंसान को अपवित्र बनाती है। मन की शुद्धता के लिए पवित्र जीवन बिताना जरूरी है।

भगवान बुद्ध का महानिर्वाण

भगवान बुद्ध का धर्म प्रचार 40 वर्षों तक चलता रहा। अंत में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नामक स्थान पर 80 वर्ष की अवस्था में ई.पू. 483 में वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही महानिर्वाण प्राप्त हुआ।

कुशीनगर में मेले का आयोजन-

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में एक महीने तक चलने वाले विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश के लाखों बौद्ध अनुयायी यहां पहुंचते हैं।

गौतम बुद्ध के  उपदेश

वैशाख पूर्णिमा के दिन ही सिद्धार्थ का जन्म लुंबिनी में हुआ था, जो बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए। गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन होने के कारण इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान बुद्ध ने सत्य की खोज के बाद लोगों को उपदेश दिए, उन उपदेशों को हमें याद रखना चाहिए। जो इस प्रकार हैं-

  • जीवन में अगर शांति और खुशी चाहिए, तो मनुष्य को भूतकाल और भविष्य काल में नहीं उलझना चाहिए।
  • मनुष्य को क्रोध की सजा नहीं मिलती, बल्कि क्रोध से सजा मिलती है।
  • हजारों लड़ाइयों के बाद भी मनुष्य तब तक नहीं जीत सकता, जब तक वह अपने ऊपर विजय प्राप्त नहीं कर लेता है।
  • सूर्य, चंद्र और सत्य ये तीन चीजें कभी नहीं छिप सकती।
  • मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से अधिक अपनी यात्रा पर ध्यान देना चाहिए. जैसे हजारों शब्दों से एक अच्छा शब्द जो शांति प्रदान करता हो।
  • मनुष्य को अतीत के बारे में नहीं सोचना चाहिए और न ही भविष्य की चिंता करनी चाहिए। हमें अपने वर्तमान समय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यही खुशी का मार्ग है।
  • मनुष्य को अपने शरीर को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी है। अगर शरीर स्वस्थ नहीं है तो आपकी सोच और मन भी स्वस्थ और स्पष्ट नहीं होंगे।
  • सभी गलत कार्य मन में जन्म लेते हैं। अगर आपका मन परिवर्तित हो जाए तो मन में गलत कार्य करने का विचार ही जन्म नहीं लेगा।
  • हजारों खोखले शब्दों से वह एक शब्द अच्छा है, जो शांति लेकर आए।
  • किसी से घृणा करने से आपके मन की घृणा खत्म नहीं होगी, यह केवल प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है। वैसे ही बुराई से बुराई खत्म नहीं होती, वह प्रेम से खत्म होती है।

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