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भारत बायोटेक ने अपने नेक्स्ट जनरेशन की ओरल कॉलरा वैक्सीन 'हिलकॉल' (Hillchol) को बाजार में उतार दिया है। इसके साथ ही कंपनी ने ग्लोबल शॉर्टेज को दूर करने के उद्देश्य से मैन्युफैक्चरिंग का भी विस्तार किया है। भारत बायोटेक ने कहा है कि वह कॉलरा (हैजा) से सबसे अधिक प्रभावित देशों के लिए इस वैक्सीन को सुलभ और किफायती बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वैक्सीन की उपलब्धता से हर साल होने वाली 40 मिलियन डोज की वैश्विक कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी।
तीसरे चरण का सफलतापूर्वक पूरा हुआ परीक्षण-
कंपनी के अनुसार हिलकॉल वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ है, जिससे यह साबित हो गया है कि यह वैक्सीन सार्वजनिक उपयोग के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। भारत बायोटेक ने कहा कि वह 100 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की क्षमता के साथ इस वैक्सीन को लॉन्च कर रही है, और इसकी योजना हर साल 40 मिलियन डोज की वैश्विक कमी को पूरा करने की है।
तीन चरणों में हुए कठोर परीक्षण-
हिलकॉल वैक्सीन की सेफ्टी और एफिशिएंसी को लेकर प्री-क्लीनिक, पहले और दूसरे फेज में कठोर परीक्षण किए गए। एक मल्टी स्टेज क्लीनिकल एवोलूशन प्रोसेस के तहत तीसरे फेज में वैक्सीन की सुरक्षा, प्रतिरक्षात्मकता और मौजूदा ओरल कॉलरा वैक्सीन (OCVs) की तुलना में इसके प्रभाव की पुष्टि की गई। इसके बाद इसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए मंजूरी दी गई।
वैश्विक स्तर पर सालाना 40 मिलियन डोज की कमी-
वर्तमान में केवल एक ही कंपनी OCV की सप्लाई करती है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर हर साल 40 मिलियन डोज की कमी होती है। इस शॉर्टेज को कम करने के लिए, भारत बायोटेक ने हैदराबाद और भुवनेश्वर में बड़े पैमाने पर उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि हैजा की रोकथाम और उपचार के बावजूद, वैश्विक स्तर पर 2021 से इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2023 की शुरुआत से मार्च तक, 31 देशों में हैजा के 8,24,479 मामले सामने आए और 5900 मौतें दर्ज की गईं।
हिलकॉल वैक्सीन की विशेषताएं-
हिलकॉल वैक्सीन को दिन 0 और दिन 14 पर ओरली दिया जाता है और यह एक साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है। इसे सिंगल-डोज रेस्प्यूल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और इसे +2°C और +8°C के बीच स्टोर किया जाता है।
हैजा से लड़ने के हमारे प्रयासों को मिलेगा बल-
भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्णा एला ने कहा, "हिलकॉल वैक्सीन हैजा के प्रकोप को रोकने, सीमित करने और नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। हैदराबाद और भुवनेश्वर में हमारी cGMP प्रोडक्शन सुविधाएं इस ओरल हैजा वैक्सीन के उत्पादन और आपूर्ति क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी, जिससे वैश्विक स्तर पर हैजा से लड़ने के हमारे प्रयासों को बल मिलेगा।" डॉ. एला ने भारत बायोटेक की टीम, भागीदारों, CDSCO, भारत सरकार और WHO जिनेवा को उनके नियामक मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मैं इस नए टीके के विकास के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं और उम्मीद करता हूं कि हिलकॉल वैश्विक स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"
कैसे होता है हैजा ?
* हैजा एक गंभीर दस्त की बीमारी है जो अगर इलाज न किया जाए तो कुछ घंटों में जानलेवा हो सकती है।
* यह गरीबी से जुड़ी बीमारी है जो उन लोगों को प्रभावित करती है जिनके पास साफ पानी और बुनियादी स्वच्छता की सुविधा नहीं होती।
* युद्ध, Unplanned urbanisation और climate change से हैजा का खतरा बढ़ जाता है।
* शोधकर्ताओं के अनुमान के अनुसार, हर साल दुनिया भर में कोलेरा के 1.3 से 4.0 मिलियन मामले होते हैं, और इससे 21,000 से 143,000 लोगों की मौत होती है।
* ज्यादातर संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं होते या हल्के लक्षण होते हैं और उनका इलाज ORS घोल से किया जा सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 29 August, 2024, 6:59 pm
Author Info : Baten UP Ki