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लखनऊ पहुंचा वो बंदा जो 'सिर्फ़ एक ही काफी है'

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बॉलीवुड के सुपरस्टार मनोज बाजपेयी अपनी चर्चित कोर्टरूम ड्रामा फिल्म 'सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है' के प्रचार प्रसार के लिए लखनऊ पहुंचे। मनोज बाजपेयी ने लखनऊ के प्रसिद्ध कोनेश्वर महादेव के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उनको देखने के लिए उनके चाहने वालों की भीड़ जुट गई। अपूर्व सिंह कार्की के निर्देशन में बनी इस मूवी में पद्मश्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनोज बाजपेयी ने मुख्य किरदार निभाया है। यह ZEE-5 की सभी फिल्मों में सबसे जल्दी 400 मिलियन से ज्यादा व्यूइंग मिनट के साथ स्ट्रीमिंग चार्ट में सबसे ऊपर है।  

फिल्म की कहानी क्या है-

फिल्म के बारे में अभिनेता मनोज बाजपेयी ने बताया कि ‘सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है’ की कहानी सच्ची घटनाओं पर आधारित है। यह एक कोर्टरूम ड्रामा फिल्म है जिसमें पीसी सोलंकी नाम के एक वकील की भूमिका उन्होंने निभाई है। इस फिल्म की कहानी एक आम इंसान की है, जो पेशे से हाईकोर्ट का वकील है और अपने बलबूते पर देश में भगवान का दर्जा पाने वाले सबसे बड़े धर्मगुरु के खिलाफ एक असाधारण मुकदमा लड़ता है।  जिसके अंत में उस धर्मगुरु को पॉक्सो एक्ट के तहत एक नाबालिग के साथ बलात्कार के जुर्म की सजा दिलाने में कामयाबी हासिल होती है। 

सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने किया शानदार अभियन-

इस फिल्म में लखनऊ के सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने काम किया है। उनके साथ के अनुभव के बारे में बताते हुए मनोज बाजपेयी कहते हैं कि लखनऊ के लोगों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए। कि सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने कैसा काम किया उन्होंने इस फिल्म में कैसे अपना झंडा फहराया है। मनोज बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने इस फिल्म में बहुत ही शानदार काम किया है।

क्यों इनते डाउन टू अर्थ हैं मनोज बाजपेयी-

मनोज बाजपेयी आज जिस मुकाम पर पहुंच चुके हैं बतौर एक्टर उनकी खूब तारीफ की जाती है। फिल्म प्रमोशन के लिए लखनऊ आए मनोज बाजपेयी ने अपनी जिंदगी से जुड़े हुए कुछ किस्से भी उजागर किए उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल वो रहा जब वो अपने मां-बाप के साथ गांव में रहते थे। इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि वो इतने डाउन टू आर्थ क्यों हैं तो उनका जवाब था बचपन में जो उनके मां-बाप ने उन्हें सिखाया वो आज भी कायम है। बचपन की शिक्षा ही उनको अपने ऊपर घमंड करने से रोकती है।

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